आमतौर पर 30 से 35 वर्ष की आयु तक स्वाभाविक रूप से महिलाओं और पुरुषों का शरीर काफी ऊर्जावान रहता है, लेकिन इसके उपरांत जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ने लगती है उनके शरीर पर उम्र बढ़ने का प्रभाव तथा उससे जुड़ी समस्याओं के लक्षण धीरे-धीरे नजर आने लगते हैं. 40 के बाद महिलाओं के शरीर में होने वाली समस्याओं से आमतौर पर सभी लोग वाकिफ होते हैं लेकिन आयु के इस पड़ाव में पुरुषों के शरीर पर भी बढ़ती उम्र का प्रभाव नजर आने लगता है.
दिल्ली के जनरल फिजिशियन डॉक्टर राजेश शर्मा बताते हैं कि आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों के शरीर पर बढ़ती उम्र के प्रभाव प्रत्यक्ष रूप में नजर आने शुरू होने लगते हैं. विशेष तौर पर वर्तमान समय की बात करें तो अस्वस्थ जीवन शैली, विशेषकर व्यायाम में कमी, आहार में असंतुलन तथा तनावग्रस्त दिनचर्या के चलते पुरुषों में ज्यादा उम्र में नजर आने वाली समस्याएं जैसे कोमोरबिडिटी तथा हड्डियों संबंधित समस्याओं सहित कई अन्य रोग व समस्याएं अपेक्षाकृत काफी कम उम्र में नजर आने लगी हैं.
वह बताते हैं कि 40 के बाद आमतौर पर पुरुषों में नजर आने वाली समस्याओं में से कुछ मुख्य समस्याएं इस प्रकार हैं.
- कोमोरबीटी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है
डॉ राजेश बताते हैं कि आजकल जिस तरह की जीवनशैली अधिकांश लोग जीते हैं उसका गलत प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर कई अलग-अलग तरह से नजर आता है. वर्तमान जीवनशैली में अधिकांश लोग ऐसी दिनचर्या जीते हैं जिसमें संतुलन नही है और जो सेहत के लिए काफी नुकसादायक मानी जाती है. जैसे ज्यादातर लोग या तो बिल्कुल व्यायाम नही करते या फिर जरूरत से बहुत ज्यादा व्यायाम करते है. वहीं ज्यादातर लोगों की आहार संबंधी आदतें भी असंतुलित तथा अस्वस्थ होती है. इसके अलावा ज्यादातर लोग जरूरी मात्रा में तथा सही गुणवत्ता वाली नींद नही लेते हैं. जिसका असर हमारे शरीर की जैविक घड़ी और शरीर के सभी तंत्रों और उनके कार्यों पर पड़ता है. नतीजतन शरीर में जीवन शैली जनित रोग कहे जाने वाली कोमोरबिडिटी समस्याओं व अन्य सामान्य व गंभीर रोगों जैसे मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल की समस्या, ह्रदय रोग, रक्तचाप की समस्या, मोटापा तथा कई मेटाबॉलिज़्म संबंधी समस्याओं आदि का खतरा बढ़ जाता है. - हड्डियों में मांसपेशियों में समस्याएं
डॉ राजेश बताते हैं कि 40 वर्ष की आयु के बाद आम तौर पर हमारे शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी आने शुरू होने लगती है. जिसके लिए बढ़ती उम्र, रोग या किसी भी वजह से शरीर को जरूरी पोषण ना मिल पाना तथा शारीरिक सक्रियता या व्यायाम की कमी आदि कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है. वह बताते हैं कि आमतौर पर इस आयु के बाद व्यक्ति के शरीर के कई तंत्रों के कार्य करने की गति अपेक्षाकृत धीमी होने लगती है जिसके चलते हमारा शरीर हमारे आहार से पूरा पोषण ग्रहण करने में सक्षम नहीं हो पाता है. जिससे शरीर में कैल्शियम तथा विटामिन डी सहित कई जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती है. फलस्वरूप इस उम्र में हड्डियों में ओस्टियोपोरोसिस तथा अन्य प्रकार के हड्डी संबंधित रोगों तथा मांसपेशियों में कमजोरी तथा तनाव सहित कई अन्य समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है. - मिडलाइफ क्राइसिस तथा तनाव
आमतौर पर 40 की आयु के बाद महिलाओं की भांति पुरुषों के शरीर में भी कई जरूरी हार्मोन के स्तर में कमी नजर आने लगती है. जिसका असर उनकी शारीरिक व यौन क्षमताओं पर भी नजर आता है. साथ ही यह एक ऐसा दौर भी होता है जहां पुरुष अपने भविष्य को लेकर, परिवार विशेषकर बच्चों तथा माता-पिता के स्वास्थ्य तथा उनके भविष्य को लेकर, कार्यस्थल या निजी जीवन में परेशानियों के चलते या कई अन्य कारणों से ज्यादा तनाव महसूस करने लगते हैं. जिसका ना सिर्फ उनके व्यवहार पर असर पड़ता है, बल्कि तनाव और अवसाद से जुड़ी चिंता, घबराहट और बेचैनी जैसी समस्याएं भी उन्हें काफी ज्यादा प्रभावित करने लगती हैं. - अन्य समस्याएं
डॉ राजेश बताते हैं कि कई बार इस आयु के बाद से पुरुषों में शरीर में यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी आने की समस्या होने लगती है. जिसके चलते पुरुषों में यौन क्षमता के कमजोर होने या यौन रोग होने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा क्योंकि इस उम्र में शरीर के कई तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं तो पुरुषों को मेटाबॉलिक समस्याएं या सिंड्रोम, किडनी से संबंधित समस्याएं, प्रोस्टेट तथा त्वचा व बालों से जुड़ी कई समस्याओं के होने का जोखिम बढ़ जाता है.
सावधानी बरतें