पहले समय में कहा जाता था कि जब भी आप परेशान हों तो परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं, आप बेहतर महसूस करेंगे. इसी सोच के चलते कई लोग अपनी खुशियों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते थे. लेकिन आज की इस भागती-दौडती जिंदगी में ज्यादातर लोग अपनी जीवन में इतने व्यस्त है की दूसरों के बारें में तो क्या, वे अपने बारें में ही नही सोच पाते हैं. जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ, व्यवहार और यह तक की शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है . इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार आजकल मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी, बेहतर ऊर्जा तथा तनावमुक्त होने के लिए “मी-टाइम” (Me Time) यानी खुद के साथ अकेले में समय बिताने पर जोर देते हैं.
अकेले समय बिताना क्यों है जरूरी?
प्रसिद्ध लेखक डेनियल कन्नमन की किताब ‘थिंकिंग फास्ट एंड स्लो’ (Thinking fast and slow) में बताया गया है की अकेले में समय बिताने वाले लोग शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव से काफी हद तक दूर रहते हैं. दरअसल लगातार लोगों से घिरे रहने के कारण एकाग्रता और निर्णय लेने पर उल्टा असर पड़ता है, इसी वजह से कई बार जल्दी गुस्सा भी आ जाता है.
वहीं एक अन्य लेखक जोसेफ मर्फी की किताब, पावर ऑफ द सबकॉन्शियस माइंड (Power of the subconscious mind) के अनुसार, हमारा शरीर हमारे दिमाग के निर्देशों के अनुसार ही चलता है. इसलिए उसमें आने वाले सकारात्मक और खुशनुमा विचार और भावनाएं हमारे मन और शरीर दोनों को सुंदर और स्वस्थ बनती हैं. वहीं दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचार शरीर में रोगों का कारण बनते हैं.
क्या कहते हैं वैलनेस एक्सपर्ट?
मेंटल वैलनेस विशेषज्ञ तथा जैविक वैलनेस (Jaivik Wellness) की फाउंडर व सी.ई.ओ नंदिता बताती हैं पूरे दिन में कुछ समय यदि आप अपने साथ अकेले बिताते हैं तो आप अपने आसपास घटने वाली परिसतिथ्यों का आँकलन बेहतर तरीके से कर पाते हैं. वे बताती हैं अपने पसंदीदा कार्य को करते हुए जैसे संगीत सुनते हुए या अपनी किसी हॉबी का अनुसरण करते हुए समय बिताना , न सिर्फ आपको बेहतर बल्कि खुश और तनाव मुक्त महसूस कराता हैं.