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फेफड़ों को मजबूत रखने में काफी मददगार हो सकते हैं ये योगासन

माना जाता है कि नियमित योग का अभ्यास करने वाले लोगों पर रोग व संक्रमणों का प्रभाव अपेक्षाकृत काफी कम होता है. इस बात की पुष्टि ना सिर्फ कई शोधों में हो चुकी है बल्कि सभी चिकित्सा विधाओं से जुड़े चिकित्सक व जानकार भी इस बात को मानते हैं कि नियमित व्यायाम विशेषकर योग का अभ्यास करने वाले लोगों के शरीर के सभी तंत्र विशेषकर श्वसन तंत्र व फेफड़े अपेक्षाकृत ज्यादा स्वस्थ रहते हैं, तथा उनके रोग से प्रभावित होने का खतरा भी अपेक्षाकृत कम रहता है. यहां तक की कैंसर जैसे रोग में भी योग का अभ्यास लाभकारी हो सकता है. Lung Cancer Month November . Yoga in winter . yoga for lungs . Strong lungs by yoga .

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Published : Nov 20, 2022, 12:38 AM IST

Updated : Nov 29, 2022, 1:09 PM IST

किसी व्यक्ति के जीवित रहने के लिए सांस लेना सबसे जरूरी क्रिया होती है. वहीं यदि किसी व्यक्ति को श्वसन तंत्र या फेफड़ों संबंधी कोई रोग या समस्या हो जाए तो उसके जीवन की गुणवत्ता काफी खराब हो जाती है, जो उसके आम जीवन को काफी प्रभावित करती है. चिकित्सक मानते हैं कि फेफड़ों या श्वसन तंत्र संबंधी ज्यादातर समस्याओं से, स्वस्थ व संतुलित जीवनशैली तथा आहारशैली अपनाकर तथा नियमित योग व किसी भी प्रकार के व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करके काफी हद तक बचा जा सकता है. वहीं जानकार मानते हैं कि लंग कैंसर जैसे जटिल रोग में भी योग का अभ्यास लाभकारी हो सकता है. यही नहीं कैंसर (लंग कैंसर) से बचाव में अनुलोम विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी, उद्गीत व अन्य प्रकार के प्राणायाम और कई अन्य आसनों के नियमित अभ्यास के लाभ देश विदेश में प्रकाशित कई रिपोर्ट व शोध में माने जा चुके हैं. Pollution level rises in metro cities . Yoga in winter . Yoga fight against pollution . Yoga for lungs strong lungs by yoga .

लंग कैंसर माह (Lung Cancer Month November)
गौरतलब है कि विश्व भर में नवंबर माह को लंग कैंसर माह के रूप में भी मनाया जाता है. इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस रोग से बचाव, उसके इलाज तथा इसके संबंध में अन्य जानकारियों को लेकर जागरूक कराना है, जिससे समय रहते इस रोग से बचाव तथा इसके इलाज के लिए सही दिशा में प्रयास किया जा सके. ETV भारत सुखीभवा ने भी इस अभियान का हिस्सा बनते हुए अपने विशेषज्ञ से फेफड़ों संबंधी समस्याओं विशेषकर लंग कैंसर में योग के फ़ायदों, उससे जुड़ी सावधानियों तथा कौन-कौन से योग आसन इस अवस्था में फायदेमंद हो सकते हैं इस बारें में जानकारी ली.

फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मददगार है योग (Yoga Keep Lungs Healthy)
बेंगलुरु की योग गुरु मीनू वर्मा (Yoga guru Meenu Verma Bangalore) बताती हैं कि नियमित योग का अभ्यास फेफड़ों को स्वस्थ रखने तथा श्वसन प्रक्रिया को सुचारू रखने में काफी मददगार होता है. दरअसल योग में सांसों को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी माना जाता है. ऐसे में आसन के दौरान जब गहरी तथा सही तकनीक से सांस ली जाती है तो फेफड़े मजबूत होते हैं तथा उनकी व श्वास नली की रुकावटे भी दूर होती हैं. जिससे उनमें सिर्फ गंभीर ही नहीं बल्कि हल्के व मध्यम रोगों व संक्रमणों के होने की आशंका भी कम हो जाती है.

Yoga guru Meenu Verma बताती हैं कि आमतौर पर लोगों को लगता है कि अगर आप किसी रोग का ट्रीटमेंट ले रहें हैं तो आप योग नहीं कर सकते हैं. लेकिन कुछ अति जटिल परिस्थितियों को छोड़ दिया जाय तो सामान्यतः चिकिसक से परामर्श के उपरांत किसी थेरेपी या विशेष इलाज के दौरान भी हल्के-फुल्के योग आसनों का अभ्यास किया जा सकता है. बशर्ते उनका अभ्यास किसी विशेषज्ञ के निर्देशन में किया जा रहा हो. Meenu Verma Yoga guru बताती हैं ऐसी अवस्था में योग अभ्यास से ना सिर्फ शरीर का इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है साथ ही इलाज के दौरान होने वाले तनाव, बेचैनी, नींद ना आने, घबराहट तथा कब्ज जैसी समस्याओं में भी राहत मिलती है और साथ ही मूड भी बेहतर होता है.

लाभकारी योग आसन (Beneficial Yoga Postures)
Yoga Expert Meenu Verma बताती हैं कि फेफड़ों को स्वस्थ रखने में नियमित रूप से प्राणायाम तथा उसके विभिन्न प्रकारों का अभ्यास तो लाभकारी होता ही है वहीं और भी कई योग आसन होते हैं जो फेफड़ों को प्राकृतिक रूप से मजबूत बनाने के साथ ही लंग कैंसर जैसी बीमारी के प्रभावों से राहत दिलाने में कुछ हद तक फायदेमंद हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

भुजंगासन (Bhujangasana)

  • सबसे पहले जमीन पर पेट के बल लेट जाएं और अपने पैरों को सीधा करे.
  • अब अपनी हथेलियों को छाती के दोनों किनारों के पास रखें.
  • इस अवस्था में हाथ शरीर के करीब, कोहनी बाहर की ओर तथा माथा जमीन पर होना चाहिए.
  • अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए पहले माथे फिर गर्दन, कंधों और छाती को ऊपर की ओर उठाएं.
  • अब इसी प्रक्रिया में गर्दन को धीरे से पीछे की ओर ले जाएं और ऊपर की ओर देखते हुए आराम से सांस लेते रहें.
  • ध्यान रहे कि इस क्रिया में शरीर का पूरा वजन हाथेलियों पर ना पड़े.
  • इस अवस्था में 20-25 सेकंड के लिए रुके और फिर धीरे धीरे पहली स्थिति में वापस आ जाएं

शलभासन (Shalabhasana)

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं.
  • अब अपने हाथों को बिलकुल सीधा और अपने पैरों को एक साथ रखें.
  • अब सांस लेते हुए सिर और छाती को हवा में ऊपर उठाते हुए दायां हाथ और साथ ही बायां पैर भी एक साथ ऊपर की ओर उठाएं.
  • ध्यान रहें कि इस क्रिया के दौरान घुटने सीधे हों.
  • अब सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को नीचे लाएं.
  • अब दूसरी तरफ से भी ये प्रक्रिया दोहराएं.

त्रिकोणासन (Trikonasana)

  • पांव को एक साथ जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं. हाथ कूल्हों से सटे हुए होने चाहिए.
  • अब दोनों पैरों के बीच में 2 से 3 फुट का फासला बनाते हुए अपनी बाहों को कंधों की सिधाई में ले जाएं.
  • धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी दाईं बांह को ऐसे सिर के ऊपर ले जाएं जिससे वह कान को छूने लगे.
  • अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को बाईं ओर इस तरह झुकाएं की दायां हाथ जमीन के समांतर रहे.
  • ध्यान रहे की इस दौरान ना तो घुटने मुड़ें और ना ही हाथ कान से दूर हों.
  • कुछ सेकेंड इसी स्थिति में रहें और फिर पुरानी स्थिति में वापस आ जाएं.
  • अब इसी क्रिया को दूसरी ओर से भी दोहराएं.

गोमुखासन (Gomukhasana)

  • सबसे पहले सुखासन में या आलथी-पालथी लगाकर बैठ जाएं.
  • इस प्रक्रिया में पहले अपने बाएं पैर को अपने शरीर की ओर खींचते हुए रखें और फिर अपने दायें पैर को बाएं पैर की जांघ के ऊपर रखें.
  • अब अपने दाएं हाथ को कोहनी से मोड़ते हुए व कंधे के ऊपर से अपनी पीठ के पीछे जितना संभव हो ले जाने का प्रयास करें.
  • वहीं अपने बाएं हाथ को भी कोहनी से मोड़ते हुए लेकिन छाती के नीचे की तरफ से पीठ की तरफ़ ले जाने का प्रयास करें.
  • अब दोनों हाथों को पीठ पर आपस में मिलाने की कोशिश करें और यदि संभव हो दोनों हाथों से एक दूसरे को पकड़ लें.
  • इस अवस्था में कुछ देर रुकें और गहरी सांस लेते रहें.
  • फिर पुनः अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं. इसी प्रक्रिया को दूसरी दिशा से भी दोहराएं.

अर्ध मत्स्येंद्रासन (Ardha Matsyendrasana)

  • इसके लिए सबसे पहले दंडासन में बैठ जाएं, ध्यान रहें की रीढ़ की हड्डी सीधी हों.
  • अब दाहिने पैर को मोड़ें और बाएं नितंब के पास जमीन पर आराम से रखें.
  • फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़ें और दाएं घुटने के ऊपर से ले जाते हुए जमीन पर रखें.
  • अब दाहिने हाथ को बाएं पैर के ऊपर से ले जाते हुए बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें.
  • अब जितना सरलता से संभव हो श्वास छोड़ते हुए धड़ तथा गर्दन को बाईं दिशा में मोड़ें और दृष्टि को बाएं कंधे पर केंद्रित करने की कोशिश करें.
  • इस दौरान गहरी सांस लेते रहें.
  • इस अवस्था में कुछ क्षण रहने बाद पुरानी अवस्था में लौट आयें.
  • अब यही प्रक्रिया दूसरी ओर से से भी दोहराएं.

सावधानी जरूरी (Caution)
Meenu Verma Yoga Expert बताती हैं कि लंग कैंसर एक जटिल रोग है तथा इसके प्रभाव भी शरीर पर गंभीर नजर आते हैं. बहुत जरूरी है कि ना सिर्फ लंग कैंसर बल्कि किसी भी जटिल रोग के दौरान योग का अभ्यास शुरू करने से पहले चिकित्सक से अनुमति अवश्य ली जाय . साथ ही विशेषज्ञ से यह जानकारी लेना भी जरूरी है की पीड़ित व्यक्ति कौन-कौन से आसन कर सकता है. और सबसे जरूरी बात है कि इन लोगों को किसी विशेषज्ञ के दिशा निर्देशन में ही योग का अभ्यास करना चाहिए.


Disclaimer: खबर एक्सपर्ट्स की राय पर आधारित है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. दी गई जानकरी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं हो सकता. आपका शरीर आपकी ही तरह अलग है. किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह लें.

Last Updated : Nov 29, 2022, 1:09 PM IST

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