फेफड़ों का कैंसर या लंग कैंसर , कैंसर के उन प्रकारों में से एक है जिनके कारण बड़ी संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ती है. वैश्विक स्तर पर आंकड़ों की माने तो सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका में ही हर साल लगभग 218500 लोग फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित होते हैं, जिनमें से लगभग 142000 लोग इस बीमारी के कारण दम तोड़ देते हैं . सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका ही नहीं भारत सहित दुनिया के कई देशों में इस बीमारी के कारण मरने वालों को संख्या काफी ज्यादा है. जानकार तथा विभिन्न स्वास्थ्य संगठन मानते हैं कि यह विकासशील देशों में पुरुषों में होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है.
लंग कैंसर की गंभीरता से लोगों को अवगत करने तथा इसके लक्षणों को समझने व समय से इसके निवारण के लिए प्रयास करने की जरूरत को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल नवंबर माह को लंग कैंसर माह के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष अन्य आयोजनों के साथ ही सोशल मीडिया पटल पर अपने अनुभवों को साझा करने तथा इस जागरूकता अभियान का हिस्सा बनने के लिए लोगों से #LungCancerAwarenessMonth का इस्तेमाल करने की अपील की गई है.
भारत के आंकड़े
कैंसर अगेंस्ट इंडिया (Cancer Against India) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल फेफड़ों के कैंसर के लगभग 67 हजार नए मामले सामने आते हैं. जिनमें 48 हजार से ज्यादा पुरुष और 19 हजार से ज्यादा महिलाएं होती हैं.चिंता कि बात यह है कि इनमें से लगभग 63 हजार पीड़ित मृत्यु का शिकार हो जाते हैं. दुनिया भर में लंग कैंसर के कारण मृत्यु का शिकार होने वाले लोगों के आंकड़े की बात करें तो यह सभी प्रकार के कैंसर के चलते होने वाली मृत्यु का 18.2% हैं. वहीं राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री (National Cancer Registry) के आंकड़ों की माने वर्ष 2020 में भारत में पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के रोगियों (Male lung cancer patients) की अनुमानित संख्या 679,421 थी, वहीं महिलाओं में यह (Female lung cancer patients) मामले 712,758 थे .
क्या है जोखिम भरे कारक
जानकारों का मानना है कि वैसे तो फेफड़ों में होने वाले इस कैंसर के शुरुआती चरणों की पहचान करना मुश्किल है, लेकिन अगर इसके लक्षणों को समय पर भांप लिया जाय और समय पर इलाज शुरू कर दिया जाय तो इसके खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है. आमतौर पर लोगों को लगता है कि फेफड़ों के कैंसर के लिए सिर्फ धूम्रपान और प्रदूषण कारण होते हैं. यह सत्य है कि प्रदूषण के अलावा फेफड़े के कैंसर के लिए अधिकतर मामलों में सिगरेट, बीड़ी या हुक्का का ज्यादा सेवन या ज्यादा समय तक उनके कारण उत्पन्न धुएं के संपर्क में रहना कारण होता है. लेकिन फेफड़ों का कैंसर कई अन्य कारणों से भी हो सकता है, जिनमें से आनुवंशिकता भी एक है. इसके अलावा विकिरण चिकित्सा या कुछ विशेष प्रकार की जटिल थेरेपी या रोग के पार्श्व प्रभाव, कार्सिनोजेन पदार्थ, , बुढ़ापा तथा ओबेसिटी आदि भी इस रोग के लिए जिम्मेदार कारक हो सकते हैं.