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क्या कोविड टीकाकरण के बाद हैं हृदय स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव?

कोरोना संक्रमण ने दुनिया भर में सभी को समान रूप से प्रभावित किया। यह सर्व ज्ञात हो चुका है की कोमोरबीटी या अन्य जटिल बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिये कोरोना संक्रमण के जोखिम ज्यादा होते हैं। विशेषतौर पर कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर से ही हृदय रोगियों को संक्रमण तथा उसकी जटिलताओं के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है।

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कोविड टीकाकरण

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Published : Sep 11, 2021, 10:34 AM IST

कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए महामारी का यह दौर बहुत संवेदनशील है। जिसका नतीजा यह है की दिल के मरीज अचानक मौत और संक्रमण के गंभीर प्रभाव होने के डर के साए में जी रहे हैं।

आंकड़ों की माने तो पिछले एक साल में कोरोना संक्रमण से पीड़ितों में कार्डिएक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों की संख्या में काफी वृद्धि देखी है। कोरोना की दूसरी लहर में कोविड-19से ठीक होने के उपरांत अचानक हुई मौतें सबसे ज्यादा कार्डियक अरेस्ट के कारण ही हुई। इसलिए चिकित्सकों और जानकारों की ओर से हृदय रोगों के इतिहास वाले लोगों को शीघ्र अतिशीघ्र टीकाकरण करवाने की सलाह दी गई थी।

हालांकि कुछ लोग अभी भी कोविड-19 टीकों के बारे में प्रसारित भ्रम में विश्वास कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान समय में चिकित्सकों द्वारा विशेषकर हृदय रोगियों के लिए वैक्सीन शॉट अनिवार्य बताया गया है। इस तथ्य ने उस प्रश्न का जवाब दे दिया जो लंबे समय से लोगों की जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ था की, क्या कोविड-19 टीके हृदय रोग वाले लोगों के लिए सुरक्षित हैं?

वैसे तो कोविड-19 टीकाकरण के उपरांत पार्श्वप्रभावों के रूप में ह्रदय रोगियों में गिलैन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस),रक्त के थक्कों में वृद्धि,मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन),या एनाफिलेक्सिस (एक एंटीजन के लिए तीव्र एलर्जी प्रतिक्रिया) के जोखिम नजर आने की बात सामने आई है| लेकिन आँकड़े बताते हैं की इस प्रकार के अधिकांश दुष्प्रभाव टीकाकरण के कुछ सप्ताह बाद तक ही रहते हैं। ये समस्याएं लंबी अवधि तक नहीं चलती हैं। समय से इन समस्याओं की जानकारी होने पर उनका निदान तथा प्रबंधन दोनों संभव हैं।

आंकड़ों के अनुसारटीकों से जुड़े गंभीर दुष्प्रभाव का औसत, सामान्य आबादी पर अन्य बीमारियों के पार्श्व प्रभावों के मुकाबले औसत से भी कम हैं। उदाहरण के लिए,सामान्य संक्रमणों के साथ गिलैन-बैरे सिंड्रोम से होने वाला नुकसान, कोरोना पीड़ितों के मुकाबले 17 गुना अधिक होने की आशंका रहती है। इस संबंध में की विभिन्न जांच रिपोर्टें बताती हैं कि कोविड-19 के टीके न केवल हृदय रोगियों के लिए सुरक्षित हैं,बल्कि वे उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण भी हैं।

इस साल की शुरुआत में,अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर सभी लोगों से वैक्सीन लगवाने का आग्रह किया था, जिससे संबंधित सूचना में विशेषतौर पर हृदय रोगों से पीड़ित और दिल के दौरे या स्ट्रोक से जूंझ चुके लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाने के लिए निर्देशित किया गया था।

यहाँ यह जानना भी जरूरी है की टीकाकरण के बाद बुखार,थकान,सिरदर्द और जोड़ों में दर्द तथा इंजेक्शन लगने वाले स्थान पर दर्द, बहुत ही सामान्य पार्श्वप्रभाव हैं। चाहे व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हों या हृदय रोग से पीड़ित, वैक्सीन के यह दुष्प्रभाव सभी में समान रूप से नजर आते हैं। लेकिन कोई भी लक्षण अगर अपेक्षाकृत ज्यादा अवधि या गंभीर रूप में नजर आए तो अपने डॉक्टर से तत्काल परामर्श लें।

यह ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है की टीकाकरण कोरोना से शतप्रतिशत सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है, भले ही वह व्यक्ति स्वस्थ हो या हृदय रोग से ग्रस्त। लेकिन टीकाकरण संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता है जिससे अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम हो जाती है। साथ ही टीकाकरण के उपरांत भी वर्तमान समय में शारीरिक दूरी बनाना,मास्क पहनना,हाथों की स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है।

(आईएएनएस)

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