आमतौर पर डिमेंशिया को बुजुर्ग लोगों की आम बीमारी माना जाता है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है. चिंता की बात यह है कि वर्तमान में डिमेंशिया के रोगियों की संख्या में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी जा रही है. डिमेंशिया पर उपलब्ध आंकड़ों की मानें तो वर्तमान समय में दुनिया भर में लगभग साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया के शिकार हैं. इस बीमारी की गंभीरता के मद्देनजर दुनिया भर में इसके इलाज तथा इससे पीड़ित लोगों की स्थिति को बेहतर करने के लिए उपयोगी उपायों के बारे में शोध आयोजित किए जाते रहे हैं. इसी श्रृंखला में हाल ही में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी एक अध्ययन किया था, जिसमें सामने आया कि मूड स्टेबलाइजर 'लिथियम' की मदद से डिमेंशिया के खतरे को कम किया जा सकता है.
शोध में हुआ 30,000 रोगियों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण
जर्नल पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में इस बात का समर्थन किया गया है कि लिथियम डिमेंशिया की रोकथाम तथा उपचार में काफी प्रभावी हो सकता है. गौरतलब है कि इस शोध में कैम्ब्रिजशायर और पीटरबरो एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के लगभग 30,000 ऐसे रोगियों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का पूर्वव्यापी विश्लेषण किया गया था, जिनकी उम्र 50 साल से अधिक थी और जिन्होंने 2005 और 2019 के बीच एनएचएस मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग किया. शोध में पाया गया था कि ऐसे मरीज जिन्होंने लिथियम का सेवन किया था उनमें ऐसा न करने वालों की तुलना में डिमेंशिया का खतरा काफी कम देखा गया. लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि शोध में शामिल ऐसे लोगों का आंकड़ा काफी कम था जिन्होंने लिथियम का सेवन किया था.
अध्ययन के दौरान पाया गया कि 29,618 रोगियों में से सिर्फ 548 रोगियों का इलाज लिथियम से किया गया था. शोध में जिन लोगों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया था, उनकी औसत आयु 74 वर्ष से कम थी और उनमें से लगभग 40 प्रतिशत रोगी पुरुष थे. अध्ययन में सामने आया कि जिन लोगों के इलाज के लिए लिथियम की मदद ली गई थी, उनमें से 53 / 9.7 प्रतिशत को मनोभ्रंश का निदान दिया गया था. वहीं जिस समूह को लिथियम नहीं मिला था, उसमें 3,244 / 11.2 प्रतिशत को मनोभ्रंश का निदान किया गया था.