नई दिल्ली :आदिम पृथ्वी पर सायनोबैक्टीरिया ( Cyanobacteria ) या बोलचाल की भाषा में 'काई' जीवों द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन ने ओजोन परत का निर्माण किया जिसने घातक पराबैगनी-सी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करके वर्तमान जीवन के विकास में मदद की ऐसा BHU के वैज्ञानिकों का कहना है. Algae (सायनोबैक्टीरिया) किसी भी जगह जैसे ताजे और समुद्री पानी, मिट्टी, पेड़ों की छाल, कंक्रीट की दीवारों, मूर्तियों चट्टानों, गर्म झरनों, पौधों और जानवरों के भीतर, ठंडे और समशीतोष्ण स्थानों, या किसी अन्य चरम वातावरण में शानदार ढंग से विकसित हो सकते हैं.
दरअसल Banaras Hindu University शोधकर्ताओं का कहना है कि Cyanobacteria ने लगभग 3 अरब साल पहले वातावरण में पहली बार ऑक्सीजन का उत्पादन करके वर्तमान ऑक्सीजनजीवी जीवन ( oxygenic life) को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. BHU केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि साइनोबैक्टीरिया प्रमुख कार्बन डाइऑक्साइड और डाइनाइट्रोजन फिक्सर हैं. यह 3 जी और 4 जी जैव ईंधन और मूल्यवान यौगिकों (टॉक्सिन्स, एंटीकैंसरस यौगिक और प्राकृतिक सनस्क्रीन) के स्थायी उत्पादन के लिए संभावित उम्मीदवारों के रूप में उभरे हैं.
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की क्षमता
Cyanobacteria ने Carbon dioxide के कारण होने वाले वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए ग्रीनहाउस गैस को जब्त करने की अपनी शानदार क्षमता भी दिखाई है और दुनिया भर में इस उद्देश्य के लिए पायलट प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग, विज्ञान संस्थान में काम कर रहे वैज्ञानिक फोटोइंजीनियरिंग और जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके साइनोबैक्टीरिया को इस तरह से ढाल रहे हैं कि उनमें जैव ईंधन और मूल्यवान यौगिक उत्पादन उद्योग के लिए बेहतर फेनोटाइप हो.