माहवारी भले ही महिलाओं के जीवन का एक खास हिस्सा होती है लेकिन इसके बावजूद ज्यादातर लोग यहां तक की महिलाएं भी खुलकर घरों में इस बारें में बात करने से झिझकते हैं. आज भी अधिकांश घरों में माहवारी के दौरान महिलाओं के लिए कई तरह की पाबंदियों का पालन किया जाता है. ऐसा नहीं है महामारी को लेकर ऐसा नजरिया सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में या कम शिक्षित लोगों में देखने में आता है. अधिकांश पढे़-लिखे तबके में भी महिलाओं के लिए माहवारी के दौरान कई बहनों और मान्यताओं का पालन किया जाता है. आम धारणा के अनुसार माहवारी की अवधि के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है और ज्यादातर घरों में महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान do’s & don’t’s की एक पूरी सूची रहती है जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है.जैसे माहवारी के दौरान रसोई और मंदिर में नहीं जाना है,पूजा नहीं करनी है, व्यायाम नहीं करना है, बिस्तर पर नहीं सोना है, कुछ खास तरह के आहार नहीं खाने हैं, आदि.
चिकित्सकों तथा जानकारों की मानें तो माहवारी को लेकर प्रचलि भ्रमों ( Menstruation myths ) में से अधिकांश सच्चाई से कोसों दूर हैं. लेकिन कुछ तथ्य ऐसे हैं जिन्हे भले ही गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया जाता है लेकिन उनका पालन माहवारी के दौरान की परेशानियों को कम करने में मदद कर सकता है. मार्च का महीना महिला दिवस के चलते लोगों को एक मौका देता है कि महिलाओं से जुड़े किसी भी मुद्दे को लेकर यदि लोगों में जानकारी का अभाव है, भ्रम हैं या उनकी सोच की दिशा सही नहीं है तो उनके भ्रमों को दूर किया जाय तथा उनकी सोच को भी सही दिशा दी जाय. चूंकि पीरियड महिला जीवन का खास हिस्सा है ऐसे में उससे जुड़े भ्रमों ( Periods myth ) को दूर करने के लिए ETV भारत सुखीभव ने Care Clinic ( केयर क्लिनिक ) नई दिल्ली की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंजना सिंह ( Dr Anjana Singh ) से बात की .
आम भ्रम : Periods Common Misconception
भ्रमों या उनकी सच्चाई के बारें में बात करने से पहले जरूरी है कि यह जाना जाए कि वे कौन से भ्रम, नियम या बातें हैं जिन्हे माहवारी से जोड़ कर देखा जाता है. आमतौर पर माहवारी से जुड़ी जो बातें सबसे ज्यादा सुनने में आती हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- माहवारी में महिलाएं अशुद्ध हो जाती है क्योंकि माहवारी में निकलने वाला खून गंदा होता है. इसलिए इस दौरान उन्हे कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए.
- इस दौरान रसोई व मंदिर में नहीं जाना चाहिए.
- अचार नहीं छूना चाहिए वो खराब हो जाता है. अचार व चटपटे आहार नहीं खाना चाहिए.
- पीरियड के दौरान गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए या सिर नहीं धोना चाहिए.
- पीरियड के दौरान कसरत नहीं करनी चाहिए
- बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.
- महावारी में सेक्स नहीं करना चाहिए, आदि.
सच्चाई
इन भ्रमों तथा माहवारी से जुड़ी कुछ अन्य मान्यताओं का सच्चाई से कितना लेनादेना है इस बारें में Dr Anjana Singh Gynecologist बताती हैं कि सबसे पहले महावारी को धार्मिक मान्यताओं के साथ जोड़ना सही नहीं है. माहवारी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है ऐसे में माहवारी के दौरान उन्हे अशुद्ध कहना सही नहीं है. वहीं इस दौरान निकलने वाला रक्त शरीर का गंदा या दूषित खून नहीं होता है. दरअसल हर महीने महिलाओं के गर्भाशय पर हार्मोन्स के कारण एक परत बनती है. जब तक महिला गर्भधारण नहीं करती है यह परत हर माह माहवारी के दौरान टूटकर रक्तस्राव के रूप में शरीर से बाहर आती रहती है. जब महिला गर्भधारण कर लेती है इस समय यह प्रक्रिया रुक जाती है. ऐसे में यह कहना कि माहवारी के दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं और उन्हे मंदिर या रसोई में जाने से रोकना एक गलत प्रथा है. Dr Anjana Singh बताती हैं कि इसके अलावा भी कई ऐसे पीरियड मिथ हैं जो सच नहीं है. जैसे...
- माहवारी के दौरान अचार या किसी भी प्रकार का आहार छूने से वह खराब नहीं होता है.
- माहवारी के दौरान बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए, यह भी सिर्फ एक भ्रम है.
- माहवारी के दौरान भी महिलाएं सामान्य रूप से व्यायाम कर सकती हैं. बल्कि यदि कोई महिला नियमित व्यायाम करती है तो ऐसे में उसे माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में काफी राहत मिल सकती है. क्योंकि इससे ना सिर्फ मांसपेशियां स्वस्थ व सक्रिय रहती हैं बल्कि शारीरिक, मानसिक व हार्मोनल स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.
- इस दौरान गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए या सिर नहीं धोना चहिए” यह भी कोरा भ्रम हैं. पीरियड के दौरान गर्म पानी से स्नान, शरीर की असहजता तथा दर्द में बेहद राहत दे सकता है. साथ ही इस दौरान सिर धोना चाहिए या नहीं यह पूरी तरह से महिला पर निर्भर करता है.
- Gynecologist Dr Anjana Singh बताती हैं कि इस अवधि में खानपान को लेकर भी काफी मिथ हैं. लेकिन उनमें से सभी झूठ नहीं है. कहा जाता है कि माहवारी में सादा आहार खाना चाहिए और वहीं इस दौरान ठंडे पानी तथा अन्य ठंडे पेय पदार्थ या ठंडी तासीर वाले आहार से परहेज की बात कही जाती है.