कहवा के नाम से प्रसिद्ध पारंपरिक कश्मीरी चाय आजकल अपनी खुशबू, जायके तथा सेहत को फायदा पहुंचाने वाले अपने गुणों के कारण ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर के लोगों को काफी पसंद आ रही है। केसर, इलायची, दालचीनी और अलग-अलग प्रकार की जड़ी-बूटियों से मिलकर बनने वाली कहवा कैफीन मुक्त तो होती ही है, साथ ही प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भी भरपूर होती है। इसके साथ ही इसमें और भी कई औषधीय गुणों की भरमार होती है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम होते हैं। आमतौर पर कहवा दो तरह से बनाई जाती है- नमकीन और मीठी।
कश्मीरी चाय कहवा
कहवा कश्मीर की पारंपरिक हरी चाय है जो केसर, दालचीनी और इलायची के साथ हरी चाय की पत्तियों को उबालकर चाय बनाई जाती है। कश्मीर में कई लोग कहवा में कश्मीरी गुलाब की पत्तियों का भी उपयोग करते हैं। आमतौर पर चीनी या शहद और सूखे मेवों के साथ परोसी जाने वाली यह चाय बेहद सुगंधित होती है। इसे दूध और बगैर दूध वाले दोनों तरीकों से परोसा जाता है। परंपरागत रूप से, कहवा एक तांबे की केतली में तैयार किया जाता है, जिसे समोवर के रूप में जाना जाता है।
कहवा के गुण
कहवा जितनी पीने में स्वादिष्ट होती है, उतनी ही सेहत के लिए भी गुणकारी होती है। कहवा के फायदों में से कुछ इस प्रकार हैं;
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती कहवा चाय