नई दिल्ली:वैसे तो आजकल हर उम्र के लोगों में लंबे समय तक बीमार रहने या जल्दी जल्दी बीमार पड़ने जैसे मामले देखने में आते हैं लेकिन बच्चों में इस तरह का स्वास्थ्य व्यवहार ज्यादा चिंता भरा हो सकता है. क्योंकि यह उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. जानकार मानते हैं कि सिर्फ कोविड़ के पार्श्व प्रभाव चलते ही नहीं बल्कि लगातार बदलती जीवनशैली के कारण भी पिछले कुछ सालों में बच्चों में उनके शरीर को स्वास्थ्य व रोग मुक्त रखने के लिए जरूरी इम्यूनिटी में कमी देखी जा रही है. आजकल बच्चों में किसी भी संक्रमण का प्रभाव ज्यादा समय तक रहने तथा उनके जल्दी जल्दी बीमार होने के लिए उनके इम्यून सिस्टम में कमजोरी को मुख्य कारणों में से एक माना जा सकता है. keep childrens immune system healthy
कारण
इंदौर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सोनाली नवले पुरंदरे बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में बच्चों की आहार शैली तथा उनकी दिनचर्या दोनों ही काफी अस्वस्थ तथा आलसी हो गई है. आजकल बच्चे घर के ताजे भोजन से ज्यादा बाहर का चीज, ज्यादा तेल मसाले वाला तथा कच्चा-पक्का आहार खाना ज्यादा पसंद करते हैं. आज के दौर में ज्यादातर बच्चों की थाली या उनके रोजमर्रा के भोजन में जरूरी मात्रा में हरी सब्जियों, फलों, दालों तथा अन्य पोषक तत्वों से युक्त आहार की मात्रा कम हो गई है. और चिंता की बात यह है की बहुत से अभिभावक इस सोच के साथ की कम से कम बच्चे खाना तो खा रहे हैं उन्हे बाजार का या किसी भी तरह का आहार खाने देते हैं.
इसके अलावा आजकल बच्चों का घर के बाहर मैदान या पार्क आदि में खेलना भी कम हो गया है. जिससे उनके शरीर के लिए जरूरी कसरत या उनके विकास तथा उनके स्वस्थ रहने के लिए जरूरी शारीरिक सक्रियता में भी कमी आई है. कोविड़ के बाद से ज्यादातर बच्चों के सोने जागने के समय, उनकी दिनचर्या में शारीरिक सक्रियता बढ़ाने वाले कार्यों तथा उनके अन्य प्रकार के कार्यों से जुड़े व्यवहार में भी बदलाव आया है. वो बताती हैं कि आजकल ज्यादातर बच्चे अर्ली टू बेड , अर्ली टू राइज कहावत को नहीं अपनाते हैं. सिर्फ पढ़ने के लिए ही नहीं बल्कि खेलने या अन्य जानकारियों को एकत्रित करने के लिए भी उनका अधिकांश समय मोबाइल फोन या लैपटॉप के सामने ही बीतता है. जिससे उनके सोने के समय तथा सोने की अवधि दोनों पर असर पड़ रहा है. वहीं वे कभी भी खाते हैं और कुछ भी खाते हैं. ऐसे में बच्चों में विजन संबंधी समस्याएं, सिरदर्द, मोटापा, पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं, जल्दी जल्दी बीमार होना, ध्यान लगाने जैसी समस्याएं और यहां तक मधुमेह जैसी समस्याएं भी ज्यादा देखने में आने लगी हैं. देखा जाय तो लगातार बीमार रहने के चलते बहुत से बच्चों को लगातार दवाइयां भी लेनी पड़ती हैं जो उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकती हैं.
कैसे बनाएं इम्यूनिटी बेहतर
वह बताती हैं कि किसी भी रोग से बचने के लिए तथा बढ़ती उम्र में शरीर व दिमाग के सही विकास के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम का स्वस्थ होना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि उनके अभिभावकों के लिए भी उनके स्वास्थ्य, खानपान तथा जीवनशैली की ओर ध्यान देना व प्रयास करना बेहद जरूरी है. वह बताती हैं कि बच्चों की इम्यूनिटी दुरुस्त रहें इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना , कुछ जरूरी नियमों को अपनाना व बच्चों को उनका पालन करने की अहमियत समझाना व आदत डालना बेहद जरूरी है . जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
आहार संबंधी
बच्चों में आहार को लेकर अनुशासन बरतने की आदत डालना बेहद जरूरी है. उन्हे सब्जियों व फलों से युक्त घर के बने पौष्टिक, सुपाच्य आहार की अहमियत समझाते हुए रोजमर्रा में घर के खाने को प्राथमिकता देने की आदत डालने का प्रयास करना चाहिए. हफ्ते में एक दिन चीट डे रखा जा सकता है. जिस दिन बच्चा अपनी पसंद का स्नैक्स या भोजन कर सकता है . लेकिन रोजमर्रा के नाश्ते, दोपहर व रात के भोजन में उन्हे सभी जरूरी पोषण से भरपूर आहार दें. इसके अलावा बच्चों को दिन में जरूरी मात्रा में पानी पीने की जरूरत के बारे में भी समझाना तथा इस बात का ध्यान रखना की वे सही मात्रा में पानी पी रहे हैं , बेहद जरूरी है. शरीर में पानी की सही मात्रा कई तरह की समस्याओं से तो बचाती ही है, सभी तंत्रों को सही तरह से कार्य करने में भी मदद करती है, बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास में मदद करती है तथा उनकी ऊर्जा को भी बढ़ती है. शरीर की इम्यूनिटी को दुरुस्त रखने में जरूरी मात्रा में पोषक आहार तथा पानी दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.