कई बार रिश्तों में अलग-अलग कारणों से इस तरह का माहौल पनपने लगता है कि उनमें असहजता का अहसास होने लगता है. एक दूसरे से अपनी बात कहने में असहजता, छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी तथा रिश्ते में फंसा हुआ महसूस करने का एहसास रिश्तों में दूरियां बढ़ाने लगता है. ये सही है कि हर रिश्ते में कई बार कुछ बातों को नजरअंदाज करना पड़ ही जाता है, लेकिन अगर भावनात्मक दूरियां इस कदर बढ़ने लगे कि रिश्तों को निभाना ही दूभर हो जाए तो समझ जाएं कि रिश्ता टॉक्सिक होने लगा है. वह हमारे सामाजिक जीवन के साथ ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करने लगता है. ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि हम में से ज्यादातर लोग जानते-बुझते इन परेशानियों को नजरअंदाज करते हैं या फिर समझ ही नही पाते हैं कि उनका रिश्ता, उनकी खुशियों और जीवन को नकारात्मक रूप में प्रभावित करने लग रहा है.
रिलेशनशिप काउन्सलर आरती सिंह बताती हैं कि समस्याओं का अहसास अगर लगातार होने लगे या कुछ परेशानियां रिश्तों में स्थाई तौर पर नजर आने लगे तो इसका मतलब है आप एक स्वस्थ रिश्तें में नही है. आइए जानते है कौन सी हैं वे बातें जो इस बात का संकेत देती हैं कि आप एक टॉक्सिक रिश्ते की ओर बढ़ रहें हैं.
साथी के साथ खुलकर बात ना कर पाना
किसी भी रिश्ते की नींव होता है एक दूसरे के साथ संवाद तथा भावनाओं की अभिव्यक्ति. यानी अपने मन की बात या भावनाओं को खुलकर अपने साथी को बताना, तथा उसकी बातों व भावनाओं को सुनना व समझना. लेकिन किसी भी कारण से यदि कोई भी महिला या पुरुष अपनी बात या भावना को दूसरे व्यक्ति तक अभिव्यक्त नही कर पाता है या बोल कर उन्हे नही बता पाता है या फिर उनसे संवाद में असहजता महसूस करने लगता है, तो यह रिश्ते के लिए खतरे की घंटी है.
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एक दूसरे के बीच किसी भी माध्यम में संवाद या अभिव्यक्ति में कमी या उसका ना होना रिश्तों में दूरियां पैदा कर देता है. जिसके नतीजे स्वरूप दोनों में झगड़े और असंतोष बढ़ने लगता है. बातों को बहुत लंबे समय तक न कहना, अपनी परेशानी को दूसरे व्यक्ति को न बताना या गलती पर माफी नहीं मिलना जिसके आप हकदार हैं रिश्ते को तो टॉक्सिक बनाते ही हैं साथ ही दोनों लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं.