शादीशुदा जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ियों में से एक होती है, शारीरिक संसर्ग या परस्पर यौन संबंध. नवविवाहित जोड़ों में तो प्रेम को जाहिर करने का तरीका एक तरह से सेक्स ही होता है. लेकिन विभिन्न कारणों से यदि शारीरिक संबंधों में पति-पत्नी असंतुष्टि महसूस करने लगते हैं, तो यह उनके बीच के भावनात्मक संबंध को भी प्रभावित करता है.
टूटते रिश्ते
एक संतुष्टिदायक संसर्ग की कमी रिश्तों को टूटने की कगार पर ले आती है. वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. रश्मि वाधवा इस तथ्य की पुष्टि करते हुए बताती है कि शारीरिक संबंधों में असंतोष, रिश्तों में कलह उत्पन्न करता है और भावनात्मक संबंधों पर भी असर डालता है. वे बताती है कि पिछले कुछ सालों में ऐसे जोड़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो कि अपने शारीरिक संबंधों में असंतोष के कारण अलग होने की कगार पर पहुंच गए हैं. नई-नई शादी में आपसी सामंजस्य तो हमेशा से ही परेशानी उत्पन्न करता रहा है, लेकिन शारीरिक रिश्तों में हद से ज्यादा उम्मीदों और मुखरता से उत्पन्न असंतोष शुरूआत से ही रिश्तों में दरार पैदा कर रहा है.
डॉ. वाधवा बताती हैं कि पुरुषों की प्राकृतिक संरचना ही ऐसी होती है, जहां वह विपरीत लिंग के प्रति सहज आकर्षित हो जाता है. ये आकर्षण ज्यादातर भावनात्मक नहीं होता है. वहीं महिलाओं में विपरीत लैंगिक आकर्षण का आधार भावनात्मक होता है. ऐसे में जब बात शारीरिक संबंधों की आती है, तो पुरुष पक्ष की इच्छा और कामना महिलाओं के मुकाबले ज्यादा मुखर होती है. ऐसे में पारिवारिक समस्याओं, तनाव और संबंधों के लिए अनिच्छा जैसे विभिन्न कारणों से संसर्ग में संतुष्टि प्राप्त न कर पाने की स्थिति में महिलाओं में असंतोष की स्थिति उत्पन्न होने लगती है और उसे यौन संबंधों के प्रति उदासीन बना देती है. और यदि महिला कभी अपने असंतोष को लेकर मुखर होती है, तो पुरुष का अहम उसे बर्दाश्त नहीं कर पाता है और संबंधों में कलह उत्पन्न होने लगता है.
स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक भेद