प्रकृति सूक्ष्म जीवविज्ञान पत्रिका ने ऑनलाइन कोविड-19 के स्रोत के बारे में एक अंतरराष्ट्रीय दल के अनुसंधान का परिणाम जारी किया है. इस अध्ययन से पता चला है कि नोवेल कोरोना वायरस 40 से 70 साल पहले के वायरस से परिवर्तित हुआ है. वास्तव में इस तरह का वायरस चमगादड़ में कई दशकों से फैल चुके थे. अध्ययनकर्ताओं के विचार में वायरस के स्रोत का पता लगाना महामारी के नियंत्रण के लिए नाजुक है. अध्ययनकर्ताओं ने अनुसंधान में पाया गया है कि चमगादड़ इन वायरसों का मुख्य माध्यम है. इस अध्ययन दल के सदस्य अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी, ब्रिटिश एडिनबर्ग युनिवर्सिटी, हांगकांग विश्वविद्यालय से आये हैं.
कोरोना वायरस शायद चमगादड़ों के बीच कई दशकों से फैल चुका था : रिसर्च - चमगादड़ों पर रिसर्च
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए, दुनिया भर में चमगादड़ पर बहुत से शोध और अनुसंधान किये जा रहे है. शोध में संक्रमण का अस्तित्व और कारण का पता लगाया जा रहा है, कि क्या वाकई वायरस सच में चमगादड़ के माध्यम से फैली है या किसी लैब में हुए अध्ययन का नतीजा है.
वहीं, बीबीसी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इस अध्ययन के परिणाम से ऐसे कथन निराधार बन गये हैं, जैसे वायरस लैब से निकला है या फिर इसे बनाया गया है.
गौरतलब है कि पूरी दुनिया में चमगादड़ों पर जो रिसर्च हुई है, उसमें करीब 500 खतरनाक वायरसों का पता चल पाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वैज्ञानिक इस बात का दावा करते हैं कि दुनिया में फैल चुका नोवेल कोरोना वायरस अब तक खोजे गए घातक वायरस से करीब 96 फीसदी तक मिलता-जुलता है. कोरोना वायरस की उत्पत्ति किसी लैब में हुई या कहीं और से, इस सवाल का अभी तक किसी के पास जवाब नहीं हैं. इस बीच इस वायरस के वाहक बने चमगादड़ों पर कई देशों में रिसर्च की जा रही है.
सौजन्य: आईएएनएस