दुनिया भर में मॉक हॉलीडे के रुप में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय पैनिक डे का आयोजन लोगों में इस अवस्था के लक्षणों तथा इसके चलते शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किया जाता है। गौरतलब है की डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर में पैनिक अटैक को अपेक्षति व अनपेक्षित की श्रेणी में रखा गया है। वहीं एक अध्ययन में पता चला है कि शहरों में रहने वाले 30 फीसदी लोग जिंदगी में कम से कम एक बार पैनिक अटैक का सामना करते ही हैं।
पैनिक अटैक तथा उसके लक्षण
पैनिक अटैक ऐसा मनोरोग है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति भयभीत हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप उसके शरीर का सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। मरीज को ऐसा लगता है कि उसका शरीर कई रोगों से ग्रस्त हो गया है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत होती है। पैनिक अटैक आमतौर पर उन परिस्थितियों मैं होता है जब व्यक्ति में डर और बेचैनी हद से ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति बेबसी महसूस करता है तथा उसमें तीव्र गति गति तेजी से सांस लेने और लगातार पसीने आने जैसे शारीरिक लक्षण नजर आने लगते हैं । अगर किसी व्यक्ति में यह अवस्था बार-बार नजर आए तो यह पैनिक विकार भी हो सकता है।
पैनिक होने पर जो लक्षण आमतौर पर नजर आते हैं जो इस प्रकार हैं।
- दिल का तेजी से धड़कना तथा सांसे तेज हो जाना
- हद से ज्यादा और लगातार पसीना आना
- सीने में दर्द और असहजता महसूस करना
- शरीर में थरथराहट या कंपन होना
- शरीर में ठिठुरन महसूस होना
- पेट खराब होना और मितली आना
- चक्कर आना
- सांस लेने में समस्या होना
- सुन्न पड़ जाना
- मृत्यु का डर महसूस होना
- सच्चाई और वर्तमान परिस्थिति को स्वीकार ना कर पाना
- श्वसन मार्ग में अवरोध महसूस करना
पैनिक अटैक के कारण
- फोबिया (भय): किसी भी चीज या परिस्थिति को लेकर डर यानी उसका फोबिया होने पर लोगों को घबड़ाहट के दौरे पड़ सकते हैं।
- परिस्तिथि जन्य: कोई महत्वपूर्ण व्यक्तिगत क्षति या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से दूर हो जाना तथा रोग या दुर्घटना जैसी विशेष परिस्तिथियतां पैनिक के लिए ट्रिगर के रूप में कार्य कर सकती हैं।
- विचारों में दृढ़ता व आत्मविश्वास की कमी – ऐसे व्यक्ति जिनमें आत्मविश्वास में कमी हो आमतौर पर घबड़ाहट के दौरों का शिकार बन सकते हैं।
- आनुवंशिकता: घबराहट संबंधी विकारो के लिए कई बार आनुवंशिकता को भी जिम्मेदार माना जाता है। यदि परिवार में इसका इतिहास है तो नई पीढ़ी में इस अवस्था के लेकर आशंका बढ़ जाती है।
- जैविक कारण: जुनूनी बाध्यकारी विकार, किन्ही भयानक परिस्थितियों के कारण उत्पन्न तनाव , हाइपोग्लाइसेमिया, हाइपरथायराइडिज्म, विल्सन्स डिजीज, मिट्रल वाल्व प्रोलैप्स, फियोक्रोमोसाइटोमा और पोषण में कमी के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- दवाइयां :घबराहट के दौरे कभी-कभी दवाइयों के दुष्प्रभाव से भी हो सकते है।
- हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम (अतिवातायनता संबंधी लक्षण) : हाइपरवेंटिलेशन सिंड्रोम श्वसन संबंधी क्षारमयता और हाइपोकैप्निया का कारण बन सकता है। इस सिंड्रोम में अक्सर प्रमुखता से मुँह से साँस लेना भी शामिल होता है। यह तेज़ी से दिल का धड़कना, चक्कर आना और सिर में हल्कापन महसूस होना सहित कई तरह के लक्षणों का कारण बनता है जो घबड़ाहट के दौरों को बढ़ा सकता है।