अनिद्रा: अमेरिका के नेशनल स्लीप फाउंडेशन के एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में लगभग एक तिहाई लोग नींद की समस्या से पीड़ित हैं. आमतौर पर लोग नींद ना आने या कम नींद आने को एक आम परेशानी समझ कर उसकी ओर ध्यान नहीं देते हैं , लेकिन कई बार इसके लिए अनिद्रा या कोई स्लीप डिसऑर्डर जिम्मेदार हो सकता है. गौरतलब है कि अनिद्रा की समस्या कई बार शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर परेशानियों का कारण भी बन सकती है. यहां तक कि यह समस्या कई बार पीड़ित के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती हैं.
अनिद्रा, इनसोम्निया या नींद ना आना, एक ऐसी समस्या है जिसके कारण कई बार हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव देखने में आ सकते हैं. यहां तक कि कई बार अनिद्रा पीड़ित के जीवन की गुणवत्ता तथा उसकी कार्य करने की व सोचने समझने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है. चिकित्सकों की माने तो आधुनिक जीवनशैली में कई स्वास्थ्य या व्यवहारपरक कारणों से हर उम्र के लोगों में नींद ना आना या कम आना तथा अच्छी गुणवत्ता वाली नींद ना आना जैसी समस्याएं काफी ज्यादा देखने में आने लगी है.
क्या है अनिद्रा तथा उसके लक्षण
भोपाल के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में नींद को त्रयोपस्तंभ या जीवन के जरूरी तीन सहायक स्तंभों में से एक माना जाता है. वहीं अनिद्रा या नींद संबंधी समस्या को आयुर्वेद में कई समस्याओं के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक माना जाता है. वह बताते हैं कि अनिद्रा एक आम नींद विकार है जो किसी व्यक्ति के लिए नींद ना आने या कम आने, खराब गुणवत्ता वाली या कच्ची नींद तथा नींद के पैटन के खराब होने का कारण बनता हैं. अनिद्रा की समस्या कई बार पीड़ित में शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है. यहां तक कि इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति में किसी भी कार्य को करने की क्षमता, उसका व्यवहार तथा कार्य प्रदर्शन भी प्रभावित हो सकता है. डॉ राजेश बताते हैं कि अनिद्रा के लक्षणों की बात करें तो इसके सबसे आम लक्षण इस प्रकार हैं.
- नींद ना आना या कम आना
- दिन के समय उनींदापन या झपकी लेने की प्रबल इच्छा
- सोने और जागने के समय में परिवर्तन
- सोने में कठिनाई या नींद बार बार टूटना
- चिंता, तनाव व बैचेनी बढ़ना
- व्यवहार में चिड़चिड़ापन व क्रोध बढ़ना
- भूलना व एकाग्रता में कमी
अनिद्रा के कारण
वह बताते हैं कि वैसे तो उम्र बढ़ने के साथ लोगों में नींद कम होने की समस्या आमतौर पर देखने में आने लगती हैं. लेकिन कम व ज्यादा उम्र के लोगों में अनिद्रा के लिए कई प्रकार के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. वहीं आज के समय में जीवनशैली जनित कारणों को भी अनिद्रा की समस्या के लिए जिम्मेदार मुख्य कारकों में से एक माना जाता है. वह बताते हैं कि अनिद्रा के लिए जिन आम कारकों को जिम्मेदार माना जाता है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- मानसिक समस्याएं व विकार : तनाव, अवसाद व चिंता जैसे कारकों को ज्यादातर मामलों में अनिद्रा को ट्रिगर करने वाले कारकों में से एक माना जाता है. आमतौर पर लोगों में छोटी- बड़ी चिंताओ या तनाव के कारण नींद ना आने की समस्या आम होती है , जो चिंता या तनाव के कारण के दूर होने पर अपने आप ठीक भी हो जाता है. लेकिन यदि तनाव, अवसाद या चिंता जैसी समस्या विकार का रूप लेने लगे या ज्यादा लंबे समय तक प्रभावित करने लगे तो अनिद्रा कई बार रोग के रूप में भी विकसित हो सकती है. वैसे भी कई प्रकार के मानसिक विकारों में अनिद्रा को मुख्य लक्षणों में से एक माना जाता है.
- शारीरिक कारण : वह बताती हैं कि कई बार मधुमेह, हाइपरटेंशन, हृदय रोग व अन्य कई रोगों के साथ स्लीप एप्निया जैसे विकार ,शरीर में किसी प्रकार का दर्द, कुछ क्रोनिक बीमारियों के प्रभाव तथा कई बार किसी दवा के पार्श्व प्रभाव के चलते भी अनिद्रा की समस्या हो सकती है. अनिद्रा की समस्या के लिए जिन शारीरिक समस्याओं को जिम्मेदार माना जाता है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- कमजोर पाचन तंत्र : कमज़ोर पाचन तंत्र वाले तथा ऐसे लोग जिनका खानपान बहुत ज्यादा गड़बड़ रहता है उनमें अनिद्रा की समस्या होने की आशंका ज्यादा रहती है. असमय असंतुलित तथा पचने में कठिन आहार के सेवन से पाचन तंत्र पर तो असर पड़ता ही है साथ ही हमारे मेटाबॉलिज्म पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जो अनिद्रा का कारण बन सकता है.
- रोग या दवा का पार्श्व प्रभाव : किसी रोग के प्रभाव या दवा के पार्श्व प्रभाव के कारण भी कम या ज्यादा समय के लिए अनिद्रा की समस्या हो सकती है.
- हार्मोन में असंतुलन : किसी भी कारण से हार्मोन में असंतुलन की समस्या होने पर भी नींद ना आने या कम आने की समस्या हो सकती है. विशेषकर महिलाओं में गर्भावस्था तथा मेनोपॉज के दौरान जब हार्मोन में असंतुलन की समस्या होती है तब उनमें नींद संबंधी परेशानियां ज्यादा देखने में आती हैं.
- वृद्धावस्था: उम्र बढ़ने या वृद्धावस्था में भी नींद का पैटर्न प्रभावित होने लगता है, और ज्यादातर लोगों में रात में नींद ना आने, कम आने या कच्ची नींद आने जैसी समस्याएं नजर आने लगती है.