देश में हर मिनट एक नवजात की होती है मौत, जानें Infant Protection Day क्यों है खास - शिशु संरक्षण भारत वैश्विक
कई कारणों से रोजाना बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है. इसके कारणों के बारे में लोगों को जागरूक कर इन मौतों को रोका जा सकता है. इसी उद्देश्य से हर साल 7 नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस या शिशु सुरक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है. पढे़ं पूरी खबर..Infant Protection Day 7 November, Infant Protection Day 2023, Infant Protection Day History.
हैदराबाद :भारत में हर साल 2.50 करोड़ के करीब शिशु जन्म लेते हैं. वहीं हर मिनट में इन शिशुओं में से एक की मौत हो जाती है. सभी मातृ मृत्युओं में से लगभग 46 फीसदी और नवजात शिशुओं की 40 प्रतिशत मौतें प्रसव के दौरान या जन्म के बाद पहले 24 घंटों के भीतर ही हो जाती है. इन मौतों के पीछे कई कारण हैं. शिशुओं की मृत्यु के पीछे मुख्य कारण समय से पहले जन्म लेना, जन्म के बाद संक्रमित होना और जन्मजात विकृतियां शामिल हैं. शिशुओं की मौतों के बारे में लोगों को जागरूक करने और नीति निर्माताओं को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 7 नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस मनाया जाता है.
शिशु संरक्षण दिवस (ग्राफ-यूनिसेफ)
इतिहास:साल 1990 में 50 लाख से अधिक नवजात शिशुओं की मृत्यु वैश्विक स्तर हो गई. इन मौतों के पीछे गरीबी,अशिक्षा, कम उम्र में शादी, 100 फीसदी संस्थागत प्रसव न होना, माता और बच्चे में उचित पोषण का अभाव, नियमिक टीकाकरण सहित कई कारणों को पाया गया. भारत में शिशु मृत्यु दर कई देशों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसके बाद 1990 दशक में दुनिया के कई देशों ने सामूहिक रूप से बाल स्वास्थ्य देखभाल में सुधार और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) को कम करने का संकल्प लिया. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सबसे पहले यूरोपीय देशों ने शिशु संरक्षण दिवस मनाने का फैसला किया. इसके बाद अमेरिका सहित अन्य देशों में 7 नवंबर को शिशु संरक्षण दिवस मनाने का फैसला किया गया. इसका उद्देश्य नवजात शिशुओं और उनकी माताओं को रोग मुक्त रखने के लिए एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करना सहित अन्य कदमों को उठाना है.
IMR क्या है :शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate-IMR) कहा जाता है. जन्म के एक साल के भीतर प्रति 1000 बच्चों में होने वाले मौतों के शिशु मृत्यु दर कहा जाता है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 (NFHS-5)
18 साल से कम में शादी हो चुकी महिलाओं का प्रतिशत 23.3 फीसदी है
15-49 साल की महिलाओं में साक्षरता का प्रतिशत 71.5 है.
प्रति बच्चे महिलाओं में प्रजन्न दर 2.0 प्रतिशत है.
1000 बच्चों पर नवजात मृत्यु दर (Neonatal Mortality Rate) 24.9 फीसदी है.
1000 बच्चों पर इफैंट मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) 35.2 फीसदी है
1000 बच्चों पर 5 साल से कम आयु के मृत्यु दर (Under-Five Mortality Rate ) 41.9 फीसदी है.
सर्वे से 5 साल पहले बच्चों का संस्थागत जन्म का प्रतिशत 88.6 है.
सर्जरी के माध्यम से बच्चों के जन्म का प्रतिशत 21.5 फीसदी है
यूनिसेफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार
भारत में रोजोना 67385 बच्चों का जन्म होता है.
यह संख्या पूरी दुनिया में जन्म लेने वाले बच्चों का छठा हिस्सा है.
भारत में हर मिनट एक बच्चे की मौत हो जाती है.
पूरी दुनिया में भारत ही एक देश है लड़कों के अनुपात में लड़ियों की मृत्यु दर अधिक है.
भारत में बाल मृत्यु दर में लैंगिक असमानता 11 फीसदी के करीब है.
बच्चों के अनुपात में बच्चियों को बेहतर मेडिकल सुविधा के लिए अस्पतालों में कम भर्ती किया जाता है.
2017 के डेटा के अनुसार बच्चों के अनुपात में 150,000 बच्चियां एसएनसीयू में भर्ती हुईं.
भारत में मातृत्व मृत्युदर में 6 फीसदी की गिरावट हुई है.
2014-16 में प्रसव के दौरान एक लाख महिलाओं में से 130 की मौत, 2015-17 में यह आंकड़ा 122 पर पहुंच गई हैं.
गर्भ के दौरान महिलाओं की मौतों के आकड़ों में गिरवाट दर्ज की गई है. 2017 की तुलना में 2000 में 55 फीसदी की कमी आई है.