हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप को साइलेंट यानी खामोश बीमारी कहा जाता है. क्योंकि आमतौर पर इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं, यह एक ऐसी बीमारी है, जो अपने साथ और भी कई बीमारियों को आकर्षित करती है. किसी भी गंभीर बीमारी के रोगी को यदि उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो उससे उनके स्वास्थ्य के गंभीर होने का खतरा दोगुना हो जाता है.
कोविड-19 के इस दौर में भी चिकित्सकों की तरफ से समय-समय पर उच्च रक्तचाप तथा दिल की बीमारी के मरीजों के लिए विशेष चेतावनी जारी की जाती रही है. माना जाता है कि दवाइयों के अलावा उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में हमारी जीवन शैली विशेषकर खानपान तथा व्यायाम की आदतें विशेष भूमिका निभा सकती हैं. इस संबंध में अधिक जानकारी देने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने जनरल फिजिशियन डॉक्टर संजय जैन तथा VINN हॉस्पिटल, हैदराबाद के कंसलटेंट फिजिशियन डॉक्टर राजेश वुक्काला से बात की.
क्यों है हाइपरटेंशन खतरनाक
हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताते हुए डॉक्टर संजय जैन बताते हैं कि उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक और किडनी खराब होना जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है. यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है. उच्च रक्तचाप में हमारी रक्त वाहिनियों में दबाव पड़ने लगता है और उनकी वॉल क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे उनमें ब्लॉकेज हो जाती है. अवस्था गंभीर होने पर मरीज को डिमेंशिया जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.
हाइपरटेंशन के लक्षण तथा कारण
हाइपरटेंशन होने का जिम्मेदार ज्यादातर हमारी भागती दौड़ती तनाव भरी जिंदगी और अनुशासनहीन जीवन शैली को माना जाता है. लेकिन कई बार उच्च रक्तचाप अनुवांशिक भी होता है. शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन तथा धूम्रपान, असंयमित भोजन ग्रहण करना यानी पौष्टिक आहार की कमी, वसा युक्त भोजन का सेवन करना और बेसमय का खाना, ओबेसिटी यानी मोटापा, वजन का बढ़ना, नियमित व्यायाम ना करना तथा तनाव का बढ़ना उच्च रक्तचाप के मुख्य कारणों में गिने जाते हैं.
डॉक्टर जैन बताते हैं कि हाइपरटेंशन एक साइलेंट कंडीशन है, जिसके आमतौर पर शुरुआती कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं. लेकिन जैसे-जैसे रक्तचाप बढ़ता जाता है, मरीजों में गंभीर सिर दर्द, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर या मितली आना, दृष्टि दोष तथा स्थिति गंभीर होने पर पेशाब में खून आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं.
कैसे करें रक्तचाप को नियंत्रित
VINN अस्पताल, हैदराबाद के फिजीशियन डॉ. राजेश वुक्कला बताते हैं कि अपनी रोजमर्रा की जीवन शैली को संयमित और संतुलित कर हम काफी हद तक रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं.
- अनुशासित जीवन शैली :रक्तचाप ही नहीं कई और अन्य समस्याओं से बचने के लिए भी बहुत जरूरी है कि व्यक्ति नियमित जीवन शैली का पालन करें. समय से सोना, समय से जागना, समय पर हल्का तथा पौष्टिक भोजन ग्रहण करना, तथा निर्धारित समय पर नियमित तौर पर व्यायाम, आदि कुछ सामान्य आदतें हैं, जिनका पालन कर काफी हद तक बीमारियों से बचा जा सकता है.
- बीएमआई को नियंत्रित रखें :बीएमआई यानी बॉडी इंडेक्स मास हमारे कद और वजन पर आधारित रहता है. बहुत जरूरी है कि हमारे शरीर में इन दोनों के बीच का संतुलन बना रहे. इस संतुलन के बिगड़ने पर रोगी को सोते समय सांस लेने में समस्या, जिसे स्लीप एपनिया भी कहा जाता है, जैसी परेशानी हो सकती है. इन परिस्थितियों से बचने के लिए दिन में कम से कम 30 से 60 मिनट तक व्यायाम या योग का अनुसरण करना चाहिए. व्यायाम से बीएमआई तो नियंत्रण में रहता ही है, साथ ही शरीर के सभी तंत्र सुचारू रूप से कार्य करते हैं, जिससे बीमारियां होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
- नशीले पदार्थों तथा धूम्रपान का सेवन कम करें :उच्च रक्तचाप से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि नशीले पदार्थों जैसे शराब आदि का सेवन कम से कम किया जाए. इसके अलावा धूम्रपान पर नियंत्रण रखने से भी हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है.
- पौष्टिक आहार का सेवन करें : अत्यधिक वसा युक्त यानी तेल मसाले से भरा हुआ भोजन हमारे शरीर के स्वास्थ्य पर असर डालता है और विशेष तौर पर रक्तचाप जैसी समस्या को बढ़ावा देता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि नियमित अंतराल पर हल्का तथा सुपाच्य भोजन ग्रहण किया जाए.
- भोजन में सोडियम की मात्रा कम करें :उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए बहुत जरूरी है कि आहार में बदलाव किया जाए. फल सब्जियों और साबुत अनाज के सेवन के साथ लो फैट वाले भोज्य पदार्थों का सेवन किया जाए. ऐसे पदार्थ जिनमें सोडियम की मात्रा हद से ज्यादा होती है, उनका सेवन करने से बचना चाहिए. ज्यादा सोडियम युक्त खाना खाने से शरीर में रक्तचाप तेजी से बढ़ता है.
- तनाव से बचे :तनाव को भी उच्च रक्तचाप का एक बड़ा कारण माना जाता है. उच्च भावनाओं का द्वंद हमारे शरीर के हार्मोंस पर असर डालता है. जिसके चलते रक्तचाप के बहुत अधिक बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है.