गर्भधारण के उपरांत कई बार शुरुआती समय में महिलाओं में स्पॉटिंग जैसी समस्या हो जाती है। इस अवस्था को गर्भधारण के संकेतों में भी गिना जाता है और चिकित्सक आमतौर पर इसे सामान्य मानते हैं। स्पॉटिंग के बारें में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए पद्मश्री अवार्डी तथा हैदराबाद के केयर अस्पताल में निदेशक तथा विभागाध्यक्ष, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ मंजुला अनगनी, (एमडीएफ.आई.सी.ओ.जी) बताती हैं की आमतौर पर महिलायें स्पॉटिंग और माहवारी के बीच भ्रमित हो जाती है। लेकिन स्पॉटिंग , जिसे प्रत्यारोपण रक्तस्राव और इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है, मासिक धर्म से जुड़ा नही होता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
स्पॉटिंग या प्रत्यारोपण रक्तस्राव प्रारंभिक गर्भावस्था के सबसे आम लक्षणों में से एक माना जाता है। l लेकिन इस अवस्था को लेकर लोगों के मन में काफी सवाल और आशंकाएं होती हैं जैसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और मासिक धर्म में क्या अंतर होता है या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में कितना रक्तस्राव होता है आदि।
डॉ मंजुला बताती हैं, "इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग वह अवस्था है जब गर्भाधान के लगभग 7 - 10 दिन बाद थोड़ी मात्रा हल्के रक्त के धब्बे या रक्तस्राव होने लगता है। यह बिल्कुल सामान्य है। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग तब होती है जब निषेचित अंडा गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है। लगभग 1/3 गर्भवती महिलाओं को प्रत्यारोपण रक्तस्राव का अनुभव होता है। कई मामलों में, यह गर्भावस्था के पहले लक्षणों में से एक होता है।
यह आमतौर पर ओव्यूलेशन के सात से 10 दिनों के बाद होती है। जो कुछ कुछ घंटों या तीन दिनों तक रह सकती है। लेकिन यदि इस अवधि के बाद भी रक्तस्राव जाती रहे या ज्यादा मात्रा में हो इलाज जरूरी हो जाता है।