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इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और माहवारी में भ्रमित न हो महिलायें

कई बार महिलाओं को माहवारी के अलावा भी बूंदों में या आंशिक रूप से रक्तस्राव या स्पॉटिंग होने की समस्या होने लगती है, जो कई कारणों से हो सकती है। लेकिन आमतौर पर इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग या स्पॉटिंग गर्भधारण होने का संकेत मानी जाती है। लेकिन कई बार महिलायें इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और माहवारी के बीच भ्रमित हो जाती है।

Implantation bleeding
Menstrual problems

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Published : Jul 9, 2021, 1:29 PM IST

गर्भधारण के उपरांत कई बार शुरुआती समय में महिलाओं में स्पॉटिंग जैसी समस्या हो जाती है। इस अवस्था को गर्भधारण के संकेतों में भी गिना जाता है और चिकित्सक आमतौर पर इसे सामान्य मानते हैं। स्पॉटिंग के बारें में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए पद्मश्री अवार्डी तथा हैदराबाद के केयर अस्पताल में निदेशक तथा विभागाध्यक्ष, महिला रोग विशेषज्ञ डॉ मंजुला अनगनी, (एमडीएफ.आई.सी.ओ.जी) बताती हैं की आमतौर पर महिलायें स्पॉटिंग और माहवारी के बीच भ्रमित हो जाती है। लेकिन स्पॉटिंग , जिसे प्रत्यारोपण रक्तस्राव और इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी कहा जाता है, मासिक धर्म से जुड़ा नही होता है।

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग

स्पॉटिंग या प्रत्यारोपण रक्तस्राव प्रारंभिक गर्भावस्था के सबसे आम लक्षणों में से एक माना जाता है। l लेकिन इस अवस्था को लेकर लोगों के मन में काफी सवाल और आशंकाएं होती हैं जैसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग और मासिक धर्म में क्या अंतर होता है या इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में कितना रक्तस्राव होता है आदि।

डॉ मंजुला बताती हैं, "इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग वह अवस्था है जब गर्भाधान के लगभग 7 - 10 दिन बाद थोड़ी मात्रा हल्के रक्त के धब्बे या रक्तस्राव होने लगता है। यह बिल्कुल सामान्य है। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग तब होती है जब निषेचित अंडा गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है। लगभग 1/3 गर्भवती महिलाओं को प्रत्यारोपण रक्तस्राव का अनुभव होता है। कई मामलों में, यह गर्भावस्था के पहले लक्षणों में से एक होता है।

यह आमतौर पर ओव्यूलेशन के सात से 10 दिनों के बाद होती है। जो कुछ कुछ घंटों या तीन दिनों तक रह सकती है। लेकिन यदि इस अवधि के बाद भी रक्तस्राव जाती रहे या ज्यादा मात्रा में हो इलाज जरूरी हो जाता है।

सामान्य माहवारी और प्रत्यारोपण रक्तस्राव में अंतर

माहवारी :माहवारी में रक्तस्राव पहले कम मात्रा में और फिर ज्यादा गति से होता है। माहवारी के दौरान ज्यादातर रक्तस्राव खून के थक्कों के रूप में होता है। यह अवधि 3-7 दिनों तक रह सकती है। माहवारी के दौरान रक्त का रंग चमकदार लाल होता है और इस अवधि में महिलाओं को तीव्र दर्द भी हो सकता है।

प्रत्यारोपण रक्तस्राव :इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में रक्तस्राव बहुत कम, आमतौर पर बूंदों में होता है। इस अवस्था में रक्त का रंग हल्का गुलाबी, लाल, भूरा या काला हो सकता है । प्रत्यारोपण रक्तस्राव में कुछ घंटों के लिए या 1-3 दिनों के लिए स्पॉटिंग हो सकती है। इस अवस्था में कई बार पेट में हल्की ऐंठन भी महसूस हो सकती हैं। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग सामान्य अवस्था में गर्भधारण के साथ ही प्रजनन पद्दतीयों की मदद से गर्भवती होने की अवस्था में भी नजर आ सकती है। दरअसल सहायक प्रजनन पद्दतीयों में एक बार प्रयोगशाला में भ्रूण बनने के बाद, इसे गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। जब यह गर्भाशय के अस्तर से जुड़ा होता है, तो रक्तस्राव हो सकता है।

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चिकित्सकीय सलाह कब होती है जरूरी

डॉ मंजुला बताती हैं की यदि गर्भवती होने के बाद भी महिला को भारी रक्तस्राव या थक्कों मे रक्त स्राव हो रहा हो तो उसे तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किसी समस्या या यहां तक ​​कि गर्भपात का संकेत हो सकता है।

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