नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 देश में सांस संबंधी मौजूदा बीमारी का प्रमुख कारण है. आईसीएमआर ने कहा, "इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 मौजूदा श्वसन बीमारी का प्रमुख कारण है. आईसीएमआर-डीएचआर (स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग) ने 30 वीआरएलडी (वायरल अनुसंधान और नैदानिक प्रयोगशालाओं) में पैन-रेस्पिरेटरी वायरस निगरानी प्रणाली स्थापित की है." Influenza A virus H3N2 symptoms . h3n2 virus symptoms . h3n2 virus .
आईसीएमआर के मुताबिक, गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के लिए भर्ती किए गए सभी रोगियों में से लगभग आधे, साथ ही साथ इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के लिए बाहरी रोगियों का इलाज किया जा रहा है, उनमें Influenza A virus H3N2 ( इन्फ्लूएंजा ए एच3एन2 ) पाया गया है. आईसीएमआर ने कहा, "यह उपप्रकार अन्य इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण प्रतीत होता है. इन्फ्लूएंजा ए एच3एन2 के साथ अस्पताल में भर्ती किए गए रोगियों में लगभग 92 प्रतिशत को बुखार, 86 प्रतिशत को खांसी, 27 प्रतिशत को सांस फूलने और 16 प्रतिशत को घरघराहट की परेशानी थी. इसके अलावा, 16 प्रतिशत में निमोनिया के लक्षण थे और 6 प्रतिशत को अस्थमा का दौरा पड़ा था."
एच3एन2 के लक्षण : h3n2 virus symptoms
शीर्ष अनुसंधान निकाय ने यह भी कहा कि एच3एन2 वाले एसएआरआई के 10 प्रतिशत रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जबकि 7 प्रतिशत को आईसीयू जैसी देखभाल की जरूरत होती है. इस बीच, आईसीएमआर के हालिया आंकड़े भी बताते हैं कि पिछले दो-तीन महीनों से एच3एन2 का व्यापक रूप से प्रकोप है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा, "कुछ मामलों में खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी गई है. बुखार तीन दिनों के अंत में दूर हो जाता है, जबकि खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है."
एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं !
इसके अलावा, आईएमए ने कहा कि मामले आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक और 15 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखे जाते हैं. कुछ लोग बुखार के साथ ऊपरी श्वसन संक्रमण की भी रिपोर्ट कर रहे हैं. 'वायु प्रदूषण' भी इसका एक कारक है. आईएमए ने चिकित्सकों को केवल रोगसूचक उपचार देने की सलाह दी, क्योंकि एंटीबायोटिक दवाओं की कोई जरूरत नहीं है. आईएमए ने बताया कि लोगों ने खुराक और बारंबारता की परवाह किए बिना ऐथरेसिन और एमोक्सिक्लेव आदि एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर दिया है और एक बार जब वे बेहतर महसूस करने लगते हैं तो बंद कर देते हैं. उन्होंने कहा, "इसे रोकने की जरूरत है, क्योंकि यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध की ओर जाता है."