आमतौर पर महिलाओं को अलग-अलग कारणों से निपल्स में दर्द या त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो एक आम बात है। यह समस्याएं उन महिलाओं में ज्यादा नजर आती हैं जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो और जो नियमित रूप से बच्चे को स्तनपान करवा रहीं हों। निपल्स की त्वचा में दरारें आने, त्वचा के कठोर या सख्त हो जाने या सूखापन होने पर न सिर्फ माता को बच्चे को दूध पिलाने में बल्कि सामान्य अवस्था में भी दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उत्तराखंड देहरादून की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. लतिका जोशी बताती हैं की स्तनों में निप्पल के आसपास की त्वचा पर होने वाली समस्या स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिये ज्यादा परेशानी का कारण बन सकती है।
निपल्स की त्वचा में होने वाली समस्याओं के कारण
निपल्स की त्वचा में दरारें या रूखापन कई कारणों से आ सकता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार है:
- स्तनों के स्वच्छता का ध्यान न रखना
- निपल्स के आसपास की त्वचा पर क्षारीय साबुन का ज्यादा उपयोग
- बच्चे को गलत तरीके से और गलत अवस्था में स्तनपान करना या स्तनपान करते समय बच्चे द्वारा माता के निपल्स पर काट लेना
- किसी प्रकार का त्वचा रोग होना
- मधुमेह जैसे रोग का होना
- स्नान करने के बाद स्तनों को मोटे कपड़े या तौलिये से ज्यादा रगड़ कर साफ करना
- तनाव
- पाचन संबंधी समस्याएं और शरीर में पोषक तत्वों की कमी
- हार्मोनल गर्भ निरोधकों का लंबे समय तक उपयोग
- निपल्स की त्वचा का अतिसंवेदनशील होना
निपल्स की रूखी और कटी-फटी त्वचा से राहत के लिये घरेलू उपाय
डॉ. लतिका जोशी बताती हैं की यह समस्या आमतौर पर स्तनपान करने वाली माताओं में ज्यादा सामने आती है इसलिए आमतौर पर चिकित्सक सामान्य अवस्था में उन्हे ऐसे घरेलू उत्पादों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं जो स्तनपान के चलते बच्चे के स्वास्थ्य को भी नुकसान न पहुंचाए। सामान्य परिसतिथ्यों में भी किसी भी उम्र की महिलाएं निपल्स की त्वचा में समस्या होने पर इन घरेलू उत्पादों का उपयोग प्राथमिकता के आधार पर कर सकती है, क्योंकि इनके सामान्य तौर पर त्वचा पर पार्श्व प्रभाव नजर नहीं आते हैं। ये उत्पाद इस प्रकार है:
- शुद्ध घी
सामान्य घरेलू नुस्खों में ही नहीं बल्कि आयुर्वेद में भी ऐसी समस्या होने पर शुद्ध घी के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह प्राकृतिक तौर पर त्वचा की नमीं सहेजने का कार्य करता है। साथ ही इसमें क्लीजिंग और डिटॉक्सीफाइंग गुण होते हैं जो त्वचा संबंधी हल्की-फुलकी समस्याओं के निदान में सक्षम होते है। - माता के दूध से मालिश
यदि सही तरीके से स्तनपान न करवा पाने के चलते महिलाओं के निप्पल में घाव या खुश्की आने लगती है तो स्तनपान कराते समय माता अपने ही दूध से निप्पल तथा उसके आसपास की त्वचा पर मालिश कर सकती है। दरअसल माता के दूध में ऐसे यौगिक होते हैं, जो त्वचा में प्राकृतिक रूप से नमी उत्पन्न करते हैं, जिससे त्वचा का रूखापन कम होता है। - नारियल का तेल
निपल्स पर देसी घी की तरह वर्जिन नारियल तेल की मालिश भी काफी फायदा पहुँचाती है। गौरतलब है की आयुर्वेदिक तथा पारंपरिक पद्दतीयों में भी नारियल तेल किसी भी प्रकार के घाव को भरने में लाभकारी माना जाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि इसमें बायोएक्टिव यौगिक और माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं जो न सिर्फ त्वचा के ठीक होने की गति को बढ़ते हैं साथ ही यह विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से भी बचाव में सक्षम होते हैं। - शहद
शहद के उपयोग से रूखी और दरारों भरी त्वचा में प्राकृतिक रूप से नमी उत्पन्न की जा सकती है। इस संबंध में किए गए कई वैज्ञानिक अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं। जानकार बताते हैं की शहद में शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिससे घाव भरने में मदद मिलती है। निपल्स की त्वचा में समस्या के लिए मेडिकल-ग्रेड शहद का ही इस्तेमाल करना चाहिए। - गर्म सिकाई
निप्पल्स के त्वचा में रूखापन, दर्द या खुजली होने की अवस्था में गर्म पानी की सिकाई भी मददगार हो सकती है।
समस्या गंभीर होने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह जरूरी
डॉ. लतिका जोशी बताती हैं की यदि निपल्स के आसपास चकत्ते दिखने लगे, स्तनपान के दौरान बच्चे के काटने से स्तन पर गहरा घाव हो जाये, बहुत ज्यादा दर्द होने पर या निपल्स से मवाद निकलने जैसे लक्षणों नजर आए तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना जरूरी है। ऐसा न करने पर समस्या गंभीर भी हो सकती है।
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