आमतौर पर खर्राटों को एक गंभीर समस्या के रूप में नहीं लिया जाता लेकिन खर्राटों के पीछे के कारणों को जानना बहुत ज़रूरी है, और ज़रूरत पड़ने पर चिकत्सीय सलाह लेना भी अनिर्वाय है। मोटापा या अधिक वजन होना खर्राटों के प्रमुख कारणों में से एक है। अनियमित श्वास के साथ खर्राटे लेना हृदय रोग के जोखिम का संकेत है।
खर्राटों का और एक महत्वपूर्ण कारण हैं स्लीप एपनिया, यह एक स्लीप डिसऑर्डर है जिसमें सांस बार-बार रुकती है और फिर से शुरू हो जाती है। सौभाग्य से, ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं का उपयोग किए बिना स्वाभाविक रूप से खर्राटों का इलाज करने के लिए बहुत सारे उपचार उपलब्ध हैं।
मोटापा या अधिक वजन होना
जिन लोगों में खर्राटों की समस्या वजन बढ़ने की वजह से शुरू हुई हो, वो लोग कुछ किलोग्राम वजन कम कर के इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश कर सकते हैं। मोटे लोगों के गले के आसपास अधिक मात्रा में फैट होता है जिसकी वजह से वायुमार्ग का आकार कम हो जाता है और कभी-कभी यह मार्ग बंद भी हो जाता है। अगर हम नींद पर किये गए शोध की माने तो जो लोग मोटापे से परेशान हैं वह खर्राटों के भी शिकार हो जाते हैं, और ऐसे लोगों के लिए वजन कम करना एक मात्र इलाज है।
सोने की पोजीशन
खर्राटे तब तेज हो जाते हैं जब लोग लापरवाह स्थिति में या अपनी पीठ के बल लेट जाते हैं। जब कोई पीठ के बल लेट जाता है, तो उनके वायुमार्ग के आसपास के टिश्यू नीचे की तरफ खिंच जाते हैं जिसकी वजह से, यह मार्ग सँकरा हो जाता है। जिंदल नेचरक्येर की प्रमुख चिकत्सा अधिकारी ह प भारती के अनुसार जब लोग एक करवट पर सोते हैं तो उनके खर्राटों में कमी आ सकती है।
अवरुद्ध नासिका मार्ग (ब्लॉक्ड नेसल पैसेज )