आंकड़ों की माने तो कोरोना संक्रमित लोगों में ठीक होने के उपरांत ह्रदय रोग होने की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। जानकार मानते हैं संक्रमण के प्रभाव स्वरूप शरीर के जरूरी अंगों व तंत्रों के क्षतिग्रस्त होने के चलते ह्रदय के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यही नहीं कोरोना के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर के चलते भी विशेषकर कोरोना पीड़ितों में ह्रदय रोगों की घटनाएं बढी है। संक्रमण के प्रभाव के चलते ह्रदय के स्वास्थ्य को पहुँचने वाले नुकसान के बारें में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने इंडियन सोसायटी ऑफ इकोकार्डियोग्राफी तथा एंडोक्राइन सोसायटी के सदस्य, गोवा मेडिकल कॉलेज में पूर्व प्रवक्ता, गोवा का वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ महेंद्र कारे से बात की ।
रिसेप्टार से फैलता है संक्रमण
डॉ महेंद्र बताते हैं कि आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि कोरोना संक्रमण का सिर्फ व्यक्ति के फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर ही असर पड़ता है जबकि सत्य यह है कि रिसेप्टार्स के कारण यह संक्रमण हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित और क्षतिग्रस्त कर सकता है। संक्रमण होने के उपरांत रिसेप्टार एक ऐसा माध्यम बन जाता है जिसकी वजह से वायरस शरीर के सेल्स से जुड़ जाता है। कोरोना संक्रमण के मामले में भी एसीइ 2 रिसेप्टार्स से कोरोना का वायरस जुड़ जाता है। इस प्रकार के रिसेप्टार्स हमारे हृदय में काफी ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं , जो ह्रदय पर संक्रमण के असर का कारण बनते हैं।
संक्रमण के प्रभाव के चलते हमारे हृदय की बाहरी संरचना तथा उसके पंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है। जिसके चलते हमारे हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली नसें भी संक्रमण के प्रभाव में आ जाती हैं । इसके चलते ह्रदय में रक्त की आपूर्ति भी प्रभावित होती है।
इसके कारण जब शरीर के सभी अंगों तक रक्त की आपूर्ति में समस्या होने लगती है तो शरीर के तंत्र कमजोर होने लगते हैं और लोगों में सांस लेने में समस्या बढ़ने लगती है। यदि यह समस्या गंभीर हो जाए तो एल.वी.एफ यानी हार्ट फेल होने की आशंका बढ़ जाती है।
ह्रदय की मांसपेशियां कैसे होती है प्रभावित
डॉ महेंद्र बताते हैं कि आमतौर पर 2 तरीकों से हृदय की मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं।
1. जब कोरोनावायरस सीधे तौर पर हमारे हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करता है और उन्हें क्षतिग्रस्त कर देता है। यह अवस्था मायोकार्डिटी कहलाती है।
2. हमारे शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाएं संक्रमण होने पर कोरोना संक्रमित सेल्स की जांच के लिए मांसपेशियों का निरीक्षण करती हैं और संक्रमण नजर आने पर उन पर आक्रमण करती है । इन मांसपेशियों में ह्रदय की मांसपेशिया भी शामिल होती है। ज्यादातर मामलों में एसीइ 2 सेल्स हमारे हृदय की मांसपेशियों में छुपे होते है। ऐसे में प्रतिरक्षा कोशिकाओ का आक्रमण हृदय की मांसपेशियां को कमजोर कर देता है । नतीजतन ह्रदय पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
डॉ महेंद्र बताते हैं कि एक और तरीका भी है जिससे हमारे हृदय को संक्रमण प्रभावित कर सकता है वह है पेरिकार्डाइटिस। इस अवस्था में संक्रमण का वायरस हमारे हृदय की बाहरी परत को प्रभावित करता है। जिसके चलते हमारे हृदय की बाहरी परतों के बीच में मिलने वाले द्रव्यों जिसे “पेरिकार्डियल एफ्यूजन” कहा जाता है, प्रभावित होते हैं। लेकिन यह एक आम परिस्थिति नही है और बिरले ही नजर आती है।
डॉ महेंद्र बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव स्वरूप हमारे हृदय तक पहुंचने वाले रक्त के संचार में बाधा उत्पन्न होने लगती है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति में दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है। पिछले कुछ समय में संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में दिल का दौरा पड़ने के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं । दरअसल कोरोना के वायरस के प्रभाव के चलते पीड़ितों के शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं। इसीलिए बहुत जरूरी है की मरीज के शरीर पर संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए उसे कोरोना के इलाज के दौरान एंटी फ्लोटिंग सब्सटेंस या एंटीकोगुलेंट्स( दवाइयां) दिया जाय। जिनसे शरीर में थक्के जमने की समस्या ना हो या उससे राहत मिल सके और दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम हो सके।
पढ़ें:कोविड-19 से ठीक हो चुके रोगी लंबे समय तक कर रहे हैं शारीरिक कमजोरी का सामना
लक्षण
डॉ महेंद्र बताते हैं कि ह्रदय रोग से जुड़े लक्षण अलग अलग प्रकार के हो सकते हैं। इन लक्षणों में से कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो सिर्फ ह्रदय रोगियों में ही नजर आते हैं लेकिन कुछ लक्षण सामान्य तौर पर सभी समस्याओं में नजर आ सकते है। इसलिए बहुत जरूरी है की किसी भी प्रकार के लक्षण को नजरअंदाज न किया जाय। ह्रदय रोग के लक्षणों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है असामान्य तथा सामान्य लक्षण।
छाती में दर्द : सामान्य तौर पर इस अवस्था को अंगिना कहा जाता है । यह अवस्था हृदय में रक्त की कम आपूर्ति के कारण उत्पन्न होती है।
सांस लेने में समस्या: सांस लेने में समस्या फेफड़ों और हृदय दोनों के कारण हो सकती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के विभिन्न प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं जिससे पता चल सके कि इस लक्षण का कारण क्या है।
थकान : यह एक ऐसा लक्षण है जो आमतौर पर वायरल संक्रमण के कारण उत्पन्न सभी प्रकार की शारीरिक समस्याओं में नजर आ सकता है। ह्रदय के कमजोर होने पर भी इसे मुख्य लक्षणों में से एक माना जाता है। आमतौर पर देखा जाता है कि यह समस्या मरीज के ठीक होने के बाद भी उसमें लंबे समय तक नजर आती है। इसीलिए इसे पोस्ट कोविड समस्याओं या लॉन्ग कोविड की श्रेणी में भी रखा जाता है। लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि यदि व्यक्ति में थकान जैसा लक्षण नजर आ रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे यकीनन ह्रदय रोग होगा।