कोविड-19 के इस दौर में जब अस्पतालों में जगह की मारा मारी है, चिकित्सक कोरोना के कम लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल की बजाय अपने घर पर ही क्वॉरेंटाइन या दूसरों से अलग रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. ऐसे में छोटे घरों में रहने वाले लोगों के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. एक या दो कमरों वाले घरों विशेषकर फ्लैट्स में रहने वालों में अगर कोई व्यक्ति कोरोना से ग्रसित पाया जाता है, तो उसके लिए आईसीएमआर की ओर से दिये गए दिशा निर्देशों के अनुसार क्वॉरेंटाइन या एकांतवासी होना सरल नहीं हो पाता है.
हालांकि कई शहरों में विभिन्न होटलों तथा अतिथि गृहों की तरफ से कोरोना पीड़ितों को सेल्फ क्वॉरेंटाइन होने के लिए लगभग दो हफ्तों के लिए कमरा देने की व्यवस्था दी जा रही है. घर में क्वॉरेंटाइन होने में असमर्थ लोग इस सुविधा का फायदा ले सकते हैं, लेकिन यह काफी खर्चीला तरीका होता है.
अब इन तमाम परेशानियों से बचने के लिए तथा घर में ही क्वॉरेंटाइन व्यक्ति तथा उसके घर वालों की सुरक्षा व बेहतरी के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने वीएनएन अस्पताल के चिकित्सीय सलाहकार डॉ. राजेश वुक्काला से बात की.
क्या करे पीड़ित
डॉ. राजेश बताते हैं कि आजकल पीपीई किट बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. यदि छोटे से घर में रहने वाले किसी व्यक्ति को क्वॉरेंटाइन होना हो तो जरूरी है कि वो पीपीई किट पहने. इसके अलावा एक कमरा या घर का कोई भी हिस्सा ऐसा होना चाहिए जहां रोगी किट अथवा कपड़े बदल सके. इस कमरे में परिवार का कोई भी अन्य सदस्य न आये तथा कमरे को हर चार घंटे में सैनिटाइज करना अतिआवश्यक है. पीपीई किट को पहनने से लेकर उसे बदलने तक सारी प्रक्रियाओं को लेकर रोगी को विशेष ध्यान देना होगा, ताकि घर में संक्रमण न फैले. कमरा या जगह जहां व्यक्ति क्वॉरेंटाइन है, बाथरूम भी उससे बिलकुल लगा हो तो बेहतर होगा. ताकि संक्रमित व्यक्ति घर के अलग-अलग हिस्सों में न घूमे. रोगी को चाहिए की वह अच्छी नींद ले तथा ज्यादा पानी पिये. इस दौरान अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहें. साथ ही अपने कमरे की सभी मेजों, कुर्सियों, दरवाजों तथा अन्य सामान जिन्हें रोगी लगातार छूता है, स्वयं डिसइन्फेक्टेंट यानि संक्रमण दूर करने वाले कीटाणुनाशक की मदद से साफ करें. अपने शरीर का तापमान बढ़ने तथा सांस संबंधी दिक्कत होने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह लें.