दुनिया भर में लोग हेपेटाइटिस (Hepatitis disease) को जानलेवा बीमारी के रूप में जानते हैं. हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी, दोनों को दुनिया भर में गंभीर बीमारियों के श्रेणी में रखा जाता है. Hepatitis B और hepatitis C को जानलेवा बीमारियां भी माना जाता है क्योंकि यदि सही समय पर पीड़ित को इलाज ना मिल पाए तो यह यकृत को इस कदर प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं कि उसमें कैंसर, लिवर सिरोसिस और यह तक की लिवरफेल (Cancer, liver cirrhosis and liver failure) होने जैसे जानलेवा रोग पनपने की आशंका बढ़ सकती है और पीड़ित की जान भी जा सकती है. हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के अलावा हेपेटाइटिस के और भी प्रकार (Hepatitis types) होते है. जो अपेक्षाकृत ज्यादा गंभीर रोगों की श्रेणी में नहीं आते हैं.
वैसे तो यह एक वायरस जनित रोग है लेकिन इससे जुड़ी कुछ अवस्थाएं कई बार जीवनशैली जनित तथा बहुत ज्यादा शराब पीने के कारण भी उत्पन्न हो सकती हैं. ETV भारत सुखीभव को हेपेटाइटिस के बारें में विस्तार से जानकारी देते हुए बेंगलुरु के पेट संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ जी एस रामा (Dr. GS Rama, Bangalore) बताते हैं कि हेपेटाइटिस बी व सी सहित इसके सभी प्रकारों से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि वैक्सीन लगवाने के साथ कुछ सावधानियों को भी प्राथमिकता के साथ अपने जीवन में अपनाया जाय.
क्रोनिक व एक्यूट हेपेटाइटिस (Chronic and acute hepatitis) : डॉ जी एस रामा बताते हैं कि गंभीरता के आधार पर हेपेटाइटिस को दो श्रेणियों में रखा जाता है एक्यूट हेपेटाइटिस व क्रोनिक हेपेटाइटिस. इन में एक्यूट हेपेटाइटिस (Acute hepatitis) में दूषित आहार और दूषित पानी के सेवन तथा आसपास गंदगी के कारण पनपने वाले विषाणु यकृत को संक्रमित कर देते हैं. जिससे यकृत में गंभीर सूजन आ जाती है. हेपेटाइटिस ए तथा ई को Acute hepatitis की श्रेणी में रखा जाता है. ये संक्रमण आमतौर पर दवाइयों तथा सावधानियों के साथ कुछ समय में ठीक हो जाते हैं.
वहीं Chronic hepatitis में पीड़ित का इम्यून सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. इस प्रकार के हेपेटाइटिस के विषाणु पीड़ित के शरीर में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, जिससे उनके यकृत को काफी नुकसान पहुंच सकता है. यहां तक कि रोगी के यकृत यानी लिवर के खराब होने , लिवर सिरोसिस होने और यहां तक कि लिवर में कैंसर होने जैसे गंभीर रोग होने कि आशंका भी बढ़ जाती है. इस अवस्था में ध्यान ना देने या सही इलाज ना कराने पर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.