भारत में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त1994 में अखिल भारतीयआयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली में प्रोफेसर पनंगीपल्ली वेणुगोपाल के नेतृत्व में कम से कम 20 सर्जनों की एक टीम द्वारा किया गया था। इस पूरे ऑपरेशन में लगभग 59 मिनट लगे थे और इस सफल ऑपरेशन के उपरांत, मरीज कम से कम 15 साल और जीवित रहा था।
7 जुलाई,1994 को तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के हस्ताक्षर के साथ मानव अंग प्रत्यारोपण विधेयक पारित होने के बाद ही, प्रो.पी वेणुगोपाल ने उसी वर्ष 3 अगस्त को एम्स में भारत का पहला हृदय प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक करके इतिहास रचा था। प्रो.पी वेणुगोपाल को 1998 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था|यही नहीं2014 में एम्स के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हे विशेष तौर पर सम्मानित किया।
कैसे होता है हृदय प्रत्यारोपण?
दिल प्रत्यारोपण, या हृदय प्रत्यारोपण एक शल्य प्रतिक्रिया है जिसे ऐसे मरीज पर किया जाता है जो कि हृदय विफलता की अंतिम अवस्था पर हो, या जिन्हे गंभीर कोरोनरी धमनी की बीमारी हो।
इसका सबसे सामान्य तरीका यह की किसी हाल में मृत व्यक्ति के काम करते हुए दिल को तत्काल उसके शरीर से निकाल कर मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है| इस ऑपरेशन में ओर्थोटोपिक प्रक्रिया तथा हेत्रोतोपिक प्रक्रिया की मदद ली जाती है।
भारत में पहला हृदय प्रत्यारोपण और ऑपरेशन कैसे हुआ?
भारत में पहली बार देवी राम नामक 40 वर्षीय मरीज, जो कि कार्डियोमा योपैथी से पीड़ित था, का हृदय प्रत्यारोपण किया गया था। यह एक सफल सर्जरी थी| वहीं दुनिया में पहला हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसंबर, 1967 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में सर्जन क्रिश्चियन बरनार्ड द्वारा किया गया था।