22 साल का रोहित एक हफ्ते से जुकाम और बुखार से पीड़ित था. जिससे उसके शरीर में काफी कमजोरी महसूस हो रही थी. पांच दिन बाद रोहित जब सुबह जागा और बिस्तर से उठने का प्रयास करने लगा, तो वह अपने पांव को हिला भी नहीं पाया. उसे ऐसा लगा जैसे उसके पांवों को लकवा मार गया हो. यही नहीं वह सही तरीके से सांस भी नहीं ले पा रहा था. आनन फानन में जब घर वाले उसे चिकित्सक के पास लेकर गये, जहां तमाम जांच के बाद उसे पता चला कि उसे गिलैन बारे सिंड्रोम यानि जीबीएस हुआ हैं.
ऐसा ही कुछ 16 साल की कशिश के साथ भी हुआ. वायरल से पीड़ित कशिश को अचानक से अपने पैरों में झुनझुनी और कंपकंपाहट महसूस होने लगी. उसे लगा शायद कमजोरी है, लेकिन धीरे-धीरे उसकी यह कमजोरी शरीर में ऊपर की ओर बढ़ने लगी और उसे शरीर को हिलाने में भी तकलीफ होने लगी. इसके साथ ही सांस लेने में भी उसे परेशानी हो रही थी. तमाम जरूरी जांचों के बाद कशिश में भी गिलैन बारे सिंड्रोम की पुष्टि हुई.
क्या है जीबीएस ?
क्या होता है गिलैन बारे सिंड्रोम और क्यों उससे हमारे शरीर में फालिज जैसी स्थिति पैदा हो जाती है? इस बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने डॉ. संजय जैन से बात की. डॉ. संजय ने बताया कि गिलैन बारे सिंड्रोम या संलक्षण एक तरह का वायरल संक्रमण होता है, जोकि उन लोगों को होने का खतरा ज्यादा रहता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो और नसें कमजोर हो. हालांकि, समय पर चिकित्सा प्रारंभ करने से यह एक हफ्ते या दस दिनों में ठीक भी हो जाता है. लेकिन नजरअंदाज करने पर इसका परिणाम खतरनाक हो सकता है.