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माहवारी की शुरुआत होने पर बच्चियों को दे ज्यादा पोषण - ETV Bharat Sukhibhava

माहवारी की शुरुआत लड़कियों के जीवन में काफी अहम मानी जाती है। यह आमतौर पर लड़कियों में अमुनन 8 से 13 साल में शुरू हो जाती है। माहवारी की शुरूआत होने पर लड़कियों के शरीर में विभिन्न हार्मोनल तथा अन्य प्रकार के बदलाव भी होते है।चूंकि यह वह दौर होता है जब विकास की गति पूरे चरम पर होती है ऐसे में बच्चियों के खानपान और पोषण पर ध्यान देना काफी जरूरी हो जाता है।

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Nutritional food for girls

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Published : Jul 29, 2021, 3:57 PM IST

आमतौर पर मासिक धर्म के शुरुआत में लड़कियों को माहवारी के दौरान कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे ज्यादा मात्रा में रक्तस्राव,उल्टी व चक्कर आना,पेट या सिर में तेज दर्द आदि।इस दौरान ज्यादातर लड़कियों में माहवारी को लेकर डर तथा चिंता जैसी मानसिक अवस्थाएं भी देखने में आती है। ऐसे में उनके खानपान को लेकर यदि थोड़ा ध्यान दिया जाय तो समस्यायों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। माहवारी की शुरुआत होने पर कैसा हो बच्चियों का भोजन, इस बारें में ज्यादा जानने के लिए ETV भारत सुखीभव ने दिल्ली की पोषण विशेषज्ञ दिव्या कालेसकर से बात की।

भोजन हो सुपाच्य तथा पौष्टिक

दिव्या कालेसकर बताती हैं की आयुर्वेद में आहार को आमतौर पर तीन तरह से बांटा जाता है-राजसिक, सात्विक व तामसिक आहार। जब लड़कियों में माहवारी की शुरुआत होती है तो उनके शरीर में काफी बदलाव होते हैं, वहीं उनके शरीर के विभिन्न तंत्रों पर भी असर पड़ता है। ऐसे में यदि उन्हे हल्का-फुल्का सात्विक आहार दिया जाय तो न सिर्फ उनका पाचन बल्कि उनका शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।

क्या क्या खाएं

इस उम्र में बच्चों को वैसे भी पोषण की जरूरत ज्यादा होती है, वहीं चूंकि लड़कियों के शरीर को अपेक्षाकृत ज्यादा शारीरिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है , इसलिए उनके भोजन में पौष्टिक तत्वों जैसे प्रोटीन, आयरन, विटामिन, तथा मिनरल की मात्राभी अपेक्षाकृत ज्यादा होनी चाहिए। जैसे हरी पत्तेदार सब्जियों, दालें तथा साबुत अनाज । इनमें कई तरह के विटामिन व मिनरल्स तो होते ही हैं,साथ ही इसमें फोलिक एसिड भी होता है, जो माहवारी के दौरान बच्चियों के लिए बेहद आवश्यक माना जाता है।

आमतौर पर बच्चियों और महिलाओं में आयरन की कमी होती ही है, इसलिए उनके भोजन में आयरन भरपूर मात्रा में होना चाहिए। शरीर में आयरन की पूर्ति के लिए अनार का जूस, गाजर व चुकंदर आदि भी दिया जा सकता है।

दिव्या बताती हैं की यदि बच्ची का शरीर स्वस्थ होगा तो उसे माहवारी की शुरुआत के समय होने वाली समस्याओं का कम सामना करना पड़ेगा। साथ ही माहवारी के दौरान रक्तस्राव नियंत्रित रहेगा और अन्य समस्याओं से भी बचा जा सकेगा।

क्या न खाएं

दिव्या कालेसकर बताती हैं कई बार कुछ दालें या सामान्य भोजन भी कुछ विशेष परिस्थितियों में शरीर में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। माहवारी के दौरान बच्चियों का पाचन तंत्र भी काफी धीमा हो जाता है इसलिए न सिर्फ पहली बार माहवारी होने पर बल्कि आमतौर पर भी उन्हे ऐसा भोजन विशेषकर दालें व साबूत अनाज देने से परहेज करना चाहिए जिनसे बादी या अपच की समस्या हो या जिन्हे पचाने में समस्या हो। जैसे उड़द की दाल, छोले, राजमा, मोटे अनाज आदि। इसके अतिरिक्त तला हुआ, गरिष्ठ व मिर्च मसाले वाला भोजन, प्रोसेस्ड फूड यानी डिब्बों में बंद खाद्य पदार्थ, चिप्स, फास्ट फूड तथा चाय और कॉफी जैसे कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। इन पदार्थों के सेवन से पाचन पर असर पड सकता है,जिससे माहवारी के दौरान दर्द ज्यादा बढ़ सकता है और बच्चियों को अच्छी नींद आने में भी दिक्कत हो सकत

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