रांची :रांची के बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी- BAU Ranchi में औषधीय गुणों से भरपूर गिलोय की प्रोसेसिंग और इसपर रिसर्च के लिए देश का पहला सेंटर स्थापित किया गया है. इसकी स्थापना केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना के तहत झारखंड सरकार के कृषि निदेशालय के सहयोग से की गई है. इसका लोकार्पण जल्द ही किया जाएगा. कोविड-19 के संक्रमण के दौरान गिलोय के पौधे को इम्युनिटी बूस्टर के साथ-साथ इलाज में प्रभावकारी माना गया था. इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता की चर्चा पूरे देश में हुई थी. रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी जानलेवा बुखार के लक्षणों को कम करता है. आयुर्वेद और हर्बल में इसका उपयोग लंबे समय से होता रहा है. रांची में स्थापित किए गए इस सेंटर से राज्य के 16 जिलों के किसानों को भी औषधीय पौधे की खेती से जोड़ा जाएगा.
BAU (बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी) के अधीन कार्यरत वनोत्पाद और उपयोगिता विभाग की ओर से निर्मित इस सेंटर में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से प्रोसेसिंग और अन्य मशीनें लगायी गयी हैं. इस सेंटर को चलाने के लिए बीएयू ने राज्य के 16 जिलों में एक-एक गिलोय विलेज का चयन किया है. चयनित गांवों में किसानों के बीच दो लाख गिलोय के पौधों का वितरण किया गया है. प्रत्येक गांव में 600 वर्ग मीटर व्यास वाले ग्रीन शेड नेट हाउस की स्थापना की गयी है. यहां सिंचाई के लिए सोलर पंप और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया करायी गयी हैं.
यूनिवर्सिटी में गिलोय से संबंधित कार्यक्रमों का संचालन औषधीय पौधों के विशेषज्ञ डॉ कौशल कुमार की ओर से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अन्य लोगों के साथ वे चयनित गांवों में जाकर किसानों को इसके लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं और इस बारे में उन्हें जागरूक भी कर रहे हैं. गिलोय का पौधा करीब डेढ़ वर्षों में तैयार हो जायेगा. तैयार होने के बाद बीएयू इन्हें किसानों से खरीदेगा. इसके बाद उसपर शोध कार्य तथा उसकी प्रोसेसिंग सेंटर के जरिये की जायेगी.