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मारबर्ग वायरस से संक्रमित 3 रोगियों में से 1 हुआ ठीक, GHS ने जारी किया बयान

GHS ने एक बयान में कहा कि Noguchi Memorial Institute for Medical Research द्वारा किए गए परीक्षणों के बाद तीन संक्रमित रोगियों में से एकमात्र जीवित व्यक्ति MVD बीमारी से उबर गया है. रोगी को तब से छुट्टी दे दी गई है, इसलिए देश में मारबर्ग वायरस रोग Marburg virus disease का कोई मामला नहीं है.

Marburg virus disease MVD
मारबर्ग वायरस रोग

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Published : Aug 13, 2022, 5:17 PM IST

अकरा: जीएचएस ने एक बयान में कहा कि घाना में मारबर्ग वायरस रोग (MVD) से उबरने का मामला दर्ज किया गया है. Ghana Health Service ने शुक्रवार को कहा कि देश में (Marburg virus disease) संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं, और दो अन्य संक्रमित रोगियों की बीमारी से मौत हो गई है. घाना स्वास्थ्य सेवा (GHS) ने बयान में आगे कहा गया, "नोगुची मेमोरियल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च (Noguchi Memorial Institute for Medical Research) द्वारा 48 घंटे के अलावा किए गए दो नकारात्मक परीक्षणों के बाद तीनों में से एकमात्र जीवित व्यक्ति बीमारी से उबर गया है. रोगी को तब से छुट्टी दे दी गई है और उसके परिवार के साथ मिल गया है. इसलिए घाना में MVD का कोई मामला नहीं है."

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, GHS ने प्रकोप के बाद से चार जिलों में 198 संपर्को की पहचान की है और 118 ने अपने अनिवार्य 21-दिवसीय अनुवर्ती कार्रवाई को पूरा कर लिया है. बयान में कहा गया है कि देश के महामारी प्रबंधन और रोकथाम मानकों के अनुरूप और विश्व स्वास्थ्य संगठन की जरूरतों के अनुसार, संबंधित राज्य एजेंसियां एमवीडी और अन्य वायरल रक्तस्रावी बुखार के लिए उच्च निगरानी बनाए रखेंगी. MVD एक दुर्लभ लेकिन गंभीर (Hemorrhagic fever) रक्तस्रावी बुखार, मारबर्ग वायरस (Marburg virus) के कारण होता है और इससे मृत्यु हो सकती है. WHO के अनुसार, यह बीमारी पहले अंगोला, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा और केन्या (Marburg virus in Angola, Democratic Republic of the Congo, South Africa, Uganda and Kenya) में हुई थी.

एक नजर मे मारबर्ग वायरस के बारे में महत्वपूर्ण बातें

(1.) WHO के मुताबिक, मारबर्ग भी उस वायरस की वजह से होता है, जिसकी वजह से इबोला रोग होता है. ऐसे में दोनों ही वायरस ‘फिलोविरिडे या फाइलोवायरस’ परिवार से आते हैं. इसकी वजह से रक्तस्रावी बुखार होता है और इस वायरस से संक्रमित होने पर मृत्यु दर 88 फीसदी है.

(2.) मारबर्ग वायरस का नाम जर्मनी के शहर मारबर्ग के नाम पर रखा गया है, जहां ये 1967 में सबसे पहले सामने आया था.

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(3.) रोसैटम चमगादड़ों द्वारा बसाई गई खानों और गुफाओं में लंबा वक्त गुजारने की वजह से इंसान इस वायरस के चपेट में आता है. एक बार संक्रमित होने पर मरीज इस वायरस को खून और शरीर से निकलने वाले तरल के जरिए अन्य लोगों तक पहुंचा सकता है. इसके अलावा, सतह और चीजों के संक्रमित मरीज के शरीर से निकले तरल से गंदा होने के जरिए भी अन्य व्यक्तियों तक ये वायरस पहुंच सकता है.

(4.) मारबर्ग रोग के लक्षणों में तेज बुखार, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, दर्द, दस्त, पेट में दर्द, ऐंठन, मतली और उल्टी शामिल हैं. दस्त एक सप्ताह तक हो सकता है.

(5.) WHO और USCDC (सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) दोनों के अनुसार, मौजूदा समय में इस बीमारी के लिए कोई भी वैक्सीन या एंटीवायरल दवा नहीं है. हालांकि, तरल पदार्थ दिया जाना सहायक हो सकता है.

(6.) इससे पहले, अफ्रीका में मारबर्ग वायरस के मामले अंगोला, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा से सामने आए थे.--आईएएनएस

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