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आयुर्वेद से पाएं पथरी रोग में राहत

आयुर्वेद में अश्मरी नाम से जानी जाने वाली यूरोलीथयसिस यानी मूत्रमार्ग में पथरी की समस्या रोगी के लिए काफी दर्दकारी होती है। आयुर्वेद में इस समस्या से बचाव तथा इसका उपचार दोनों ही उपलब्ध है।

Ayurvedic treatment of kidney stone
पथरी रोग का आयुर्वेदिक इलाज

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Published : Feb 20, 2021, 1:16 PM IST

पेशाब में छोटे-छोटे पत्थर चिंता और परेशानी का कारण बन सकते है। आमतौर पर गुर्दे में पथरी के कारण पेशाब की नली में छोटे-छोटे पत्थर के कण आने लगते हैं। हालांकि यह कोई जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन समस्या ज्यादा बढ़ने पर पीड़ित को काफी दर्द और असहजता का सामना करना पड़ सकता है। आयुर्वेद में मूत्र मार्ग में आने वाले पत्थर या गुर्दे में पथरी की समस्या को लेकर बहुत से उपचार मौजूद है। जो सरलता से इस समस्या से निजात दिला सकते हैं। 'आयुर्वेद के इतिहास' विषय में पीएचडी तथा आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पी.वी. रंगनायकुलु ने ETV भारत सुखीभवा को आयुर्वेद में अश्मरी रोग यानी गुर्दे में पथरी से बचाव तथा उसके उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

पथरी रोग

डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि हमारे गुर्दे यानी किडनी रक्त से यूरिया, यूरिक एसिड चयापचय और उत्पादों को अलग करती है। वहीं शरीर में अंत:स्त्रावी ग्रंथियों के असंतुलन के कारण कई बार पेशाब में कैल्शियम जमा होने लगता है, जो ऑक्सलेट, फास्फेट या कार्बोनेट जैसे अन्य पदार्थों के साथ मिलकर पथरी का निर्माण करते है। इस प्रक्रिया में पहले छोटे-छोटे पत्थर बनने शुरू हो जाते हैं, धीरे-धीरे यह पत्थर एकत्रित होकर बड़ी आकार की पथरी में बदलने लगते हैं और हमारे यूट्रस से होते हुए हमारे गुर्दों और फिर पेशाब की नली में पहुंच जाते हैं। सामान्यत: ये पथरियां अगर छोटी हो, तो बिना किसी तकलीफ के मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं, किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं, तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो एवं कमर और पेट के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।

पथरी रोग होने के कारण

गुर्दे में पथरी रक्त शोधन प्रक्रिया के सही प्रकार से ना होने तथा भोजन संबंधी अस्वस्थ आदतों के चलते होती है। इसके अतिरिक्त मूत्र में कफ की मात्रा बढ़ने पर भी छोटे आकार की पथरी बन सकती है।

गुर्दे तथा मूत्र मार्ग में पथरी के लक्षण

⦁ गर्भनाल क्षेत्र तथा जननांग में तेज दर्द।

⦁ पेशाब करने में समस्या होना तथा उसका बूंद-बूंद में बाहर आना, जिससे ब्लैडर खाली नहीं हो पता है।

⦁ पेशाब करते समय तीव्र दर्द होना।

⦁ पथरी का आकार बड़ा होने पर मूत्र के साथ खून भी आ सकता है।

⦁ बार-बार उल्टी आने जैसा महसूस होना।

⦁ उल्टी होने के बाद थोड़ी देर के लिए दर्द में राहत महसूस होना।

उपचार

डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं मूत्रमार्ग में पथरी की समस्या होने पर पीड़ित के लिए बहुत जरूरी है की वह थोड़े-थोड़े अंतराल में ज्यादा मात्रा में पानी पीते रहें। इसके अतिरिक्त निम्न तरीकों से भी इस समस्या का निवारण संभव है।

⦁ दिन में दो बार कुल्थी की दाल का पाउडर ( 40-80 ग्राम ) पानी के साथ लें।

⦁ गोक्षुरा चूर्ण ( 4 ग्राम ) का दिन में दो बार गाय के दूध और शहद के साथ सेवन करें।

⦁ यवक्षार चूर्ण ( 1/2 ग्राम) नारियल पानी में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें।

⦁ आंवले के रस ( 200 मिलीलीटर ) का गुड ( 25 ग्राम ) के साथ दिन में 2 बार सेवन करें।

⦁ कुल्थी की दाल के रस ( 20 मिलीलीटर) दिन में तीन बार सेवन करें।

⦁ वरुण की छाल, पत्थर चूर, सौंठ, गोक्षुरा को बराबर मात्रा में लेकर उस का रस बना ले, और उसका प्रतिदिन 20 मिलीलीटर मात्रा में 2 बार सेवन करें।

डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि यह सभी उपचार चिकित्सक की सलाह पर कम से कम 2 हफ्ते तक लिए जाने चाहिए। इनके अतिरिक्त चंद्रप्रभा वटी की एक से दो गोली दिन में दो बार पानी के साथ, तथा पत्थर चूर गुरुथम 3 से 6 ग्राम मात्रा में गर्म गाय के दूध के साथ लिया जा सकता है।

पथरी से मुक्ति के लिए क्या खाएं

⦁ पुराना चावल

⦁ अदरक

⦁ कद्दू

⦁ तोरई

⦁ चिचिंडा

क्या ना करें

⦁ आराम से ना पचने वाले भोजन और गरिष्ठ भोजन को ग्रहण करने से बचें।

⦁ पेशाब जैसी प्राकृतिक क्रिया को ना रोके।

⦁ तेज धूप में ज्यादा देर तक ना घूमे इससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

⦁ टमाटर, फूलगोभी तथा पत्ता गोभी जैसी सब्जियों के सेवन से बचें।

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