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प्री मेनोपॉज में पोषणयुक्त आहार के साथ स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना जरूरी

लांसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक 40 से 44 वर्ष आयु की आयु में जिन महिलाओं में प्री मेनोपॉज होता हैं उनमें हृदय संबंधी समस्याएं के होने का खतरा 40 फीसदी ज्यादा होता है. कई अन्य शोधों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्री मेनोपॉज होने पर महिलाओं में मधुमेह व रक्तचाप सहित कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याएं आंशिक या गंभीर रूप में नजर आ सकती हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि ऐसी अवस्था में महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ज्यादा ध्यान रखें और खानपान की आदतों और जीवनशैली को बेहतर बनाएं.

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प्री मेनोपोज में अतिरिक्त पोषणयुक्त आहार लें और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें महिलायें

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Published : May 7, 2022, 8:10 PM IST

आमतौर पर महिलाओं में 45 वर्ष की आयु के बाद रजोनिवृत्ति यानी मासिक धर्म के बंद होने की प्रक्रिया होती है. महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए माहवारी बहुत अहम होती है, लेकिन जब यह प्रक्रिया बंद होती है तो ऐसे में महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. लेकिन यदि रजोनिवृत्ति समय से पहले हो तो महिलाओं में अलग-अलग प्रकार की समस्याएं या रोग ज्यादा प्रभाव दिखा सकते हैं. ऐसी अवस्था में बहुत जरूरी है कि महिलाएं अपने आहार या जीवनशैली का विशेष ध्यान रखें.

समय से पहले रजोनिवृत्ति के कारण
उत्तराखंड की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. विजयलक्ष्मी बताती हैं कि समय से पूर्व रजोनिवृत्ति या प्री मेनोपॉज के कई कारण हो सकते हैं. वहीं अलग-अलग महिलाओं में समय से पूर्व रजोनिवृत्ति के अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी हो सकता है कि कुछ महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान किसी प्रकार के लक्षण नजर आएं ही नहीं, या बहुत हल्के स्वरूप में नजर आएं.

वह बताती हैं कि प्री मेनोपॉज के लक्षण, सामान्य मेनोपॉज जैसे ही होते हैं. जैसे व्यवहारिक समस्याएं (मूड डिसॉर्डर, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, घबराहट आदि) बढ़ जाना, अचानक गर्मी लगना, बार-बार पेशाब आने की समस्या, योनि/वेजाइना में सूखापन बढ़ जाना तथा खुजली होना, रात में पसीना आना, सेक्स के दौरान असुविधा महसूस होना तथा स्तनों में सूजन तथा असहजता आदि.

डॉ. विजयलक्ष्मी बताती हैं कि प्री मेनोपॉज के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:-

  • पारिवारिक इतिहास/ आनुवंशिकता:यदि परिवार में पहले से प्री मेनोपॉज का इतिहास रहा हो तो महिलाओं में प्री मेनोपॉज हो सकता है.
  • हार्मोनल समस्याएं तथा ऑटो-इम्यून रोग: कई बार महिलाओं में सेक्स क्रोमोसोम में असामानता तथा अन्य हार्मोनल समस्याओं के कारण प्री मेनोपॉज हो सकता है. वहीं, कई बार एस.एल.ई यानी सिस्टमिक ल्यूपस एरीटामेटोसस तथा थायरॉइडाइटिस जैसे ऑटो-इम्यून विकार भी प्री मेनोपॉज का कारण बन सकते हैं.
  • कोमोरबीटी : मधुमेह या कुछ अन्य कोमोरबीटी का ज्यादा प्रभाव भी कई बार महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज का कारण बन सकता है.
  • अंडाशय या गर्भाशय को हटाना:कैंसर, हार्मोनल समस्या, सिस्ट या किसी भी अन्य गंभीर रोग के चलते यदि शरीर से अंडाशय या गर्भाशय हटाना पड़ा हो तो भी महिला में समय से पूर्व मासिक धर्म बंद हो जाता है. इसके अलावा कई बार कैंसर या किसी अन्य रोग के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी जैसे उपचारों के पार्श्वप्रभावों के चलते महिलाओं में प्री मेनोपॉज हो सकता है.

प्री मेनोपॉज के प्रभाव

  • मेनोपॉज के बाद महिलाएं संतान को जन्म देने में असमर्थ हो जाती हैं.
  • यह अवस्था महिला में भावनात्मक तनाव और अवसाद का कारण बन सकती है.
  • हृदय रोग, कोमोरबीटी जैसे मधुमेह तथा रक्तचाप की समस्या तथा हड्डियों में कमजोरी की समस्या ज्यादा प्रभावित कर सकती है.
  • शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने पर योनि में सूखापन होने जैसी समस्या भी सामने आ सकती है. जिससे शारीरिक संबंधों में असहजता तथा असुविधा हो सकती है .
  • कम एस्ट्रोजन के कारण पार्किंसंस रोग, मनोभ्रंश और कोरोनरी धमनी रोगों के जोखिम बढ़ जाते हैं.

मेनोपॉज, प्री मेनोपॉज में सेहत का ज्यादा ध्यान रखना जरूरी
मेनोपॉज हो या प्री मेनोपॉज, इस अवस्था में महिलाओं को अपनी सेहत का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. डॉ. विजयलक्ष्मी बताती हैं कि इस दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए उन्हें अपने खानपान तथा जीवनशैली का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके लिए कुछ विशेष सावधानियों को ध्यान में रखा जा सकता है.

  • हमेशा स्वस्थ और ऐसा भोजन करें जिसमें पोषण की मात्रा ज्यादा हो. ऐसी अवस्था में महिलाओं को कैल्शियम तथा फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए. भोजन में फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए, खूब पानी पीना चाहिए, तथा मीठे का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए.
  • दिनचर्या में व्यायाम को नियमित रूप से शामिल करें, यदि संभव हो तो नियमित रूप से मेडिटेशन करें इससे व्यावहारिक व मानसिक समस्याओं में कुछ राहत मिल सकती है.
  • अच्छी व पर्याप्त मात्रा में नींद लें .
  • हड्डियों संबंधी समस्या से बचने के लिए चिकित्सक की सलाह पर कैल्शियम, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने चाहिए.
  • धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए.

डॉ. विजयलक्ष्मी बताती हैं कि प्री मेनोपॉज की अवस्था में जरूरत पड़ने पर लोग हार्मोन थेरेपीकी मदद भी लेते हैं. इससे इस अवस्था के शरीर पर प्रभावों में कुछ हद तक राहत मिल सकती है. लेकिन इस तरह के उपचार सिर्फ चिकित्सीय जांच तथा चिकित्सक की सलाह पर ही लेने चाहिए.

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