कोविड-19 तथा फ्लू, दो ऐसे संक्रमण है, जिनकी संरचना तथा जनक वायरस दोनों बिल्कुल अलग है. ऐसे में फ्लू के टीके से कोविड-19 से बचाव संभव नहीं है. हालांकि बहुत से लोग शुरुआती लक्षणों के आधार पर कोरोना और फ्लू को लगभग एक जैसा संक्रमण समझने की भूल कर जाते है. लेकिन वास्तव में ये दो बिल्कुल ही अलग प्रकार के रोग है. कोविड-19 के इलाज में फ्लू के टीके की भूमिका को लेकर ETV भारत सुखीभवा ने एप्पल अस्पताल, इंदौर के फिजीशियन डॉ. संजय जैन से बात की.
क्या है वैक्सीन?
कोरोना से बचाव में फ्लू की टीकों की भूमिका जानने से पहले जरूरी है की यह जान लिया जाए की वैक्सीन यानि टीका किस तरह की दवाई है और हमारे शरीर पर कैसे असर करती है.
हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम प्राकृतिक रूप से कीटाणुओं से हमारे शरीर की सुरक्षा करता है. जब रोगाणु शरीर पर हमला करता है, तो शरीर का इम्यून सिस्टम इससे लड़ने के लिए विशेष कोशिकाओं को भेजता है. कभी-कभी इम्यून सिस्टम स्वाभाविक रूप से इतना मजबूत नहीं होता है कि रोगाणु को खत्म कर शरीर को बीमारी से बचा सके. ऐसे में वैक्सीन की जरूरत पड़ती है.
रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र (सिडीसी) के अनुसार वैक्सीन शरीर में विशेष संक्रमणों के लिए एंटीजन तैयार करता है, जिनकी मदद से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली वायरस, जीवाणु या अन्य सूक्ष्म जीवों जैसे रोगजनक का सामना करने में सक्षम होती है. यह एंटीजन अलग-अलग रोगाणु पर अलग तरीके से काम करते हैं. जैसे फ्लू और खसरा वायरस के लिए अलग-अलग एंटीजन होते हैं, यहां तक कि दो अलग-अलग प्रकार के फ्लू वायरस के भी कुछ अलग एंटीजन हो सकते हैं.
डॉ. संजय जैन बताते है की हर वैक्सीन का शरीर पर असर अलग-अलग समय तक रहता है, जैसे कुछ वैक्सीन का असर शरीर पर 1 साल, कुछ का पांच साल, तो कुछ का आजीवन. उदारहण के लिए फ्लू या स्वाइन का टीका शरीर को लगभग साल भर तक इस संक्रमण से बचाने में सक्षम रहता है. हालांकि कई बार कुछ टीकों के पार्श्व प्रभाव यानि साइड इफेक्ट भी शरीर पर नजर आते हैं. लेकिन उनमें से ज्यादातर अस्थाई होते है और दवाइयों की मदद से ठीक हो जाते है. लेकिन कुछ शरीर को स्थाई समस्याएं भी दे सकते है. लेकिन यह अवस्था बहुत दुर्लभ होती है.
कोविड-19 के टीके की सुरक्षा अवधि कितने समय की होगी तथा शरीर पर उसके पार्श्व प्रभाव क्या होंगे, इस बारे में अभी कुछ कहना संभव नहीं है. डॉ. संजय बताते हैं की पहले के समय में किसी भी वैक्सीन को बनाने तथा उसको उपयोग में लाने के लिए लंबा समय लगता था. लेकिन वर्तमान समय में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति का असर है की कोविड-19 का वैक्सीन इतने कम समय में विकसित हो गया है.
फ्लू वैक्सीन कोविड-19 से बचाव में सक्षम नहीं
फ्लू का वैक्सीन कोरोना से बचाव करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि दोनों संक्रमणों की संरचना अलग है. डॉ. संजय जैन बताते हैं की प्रत्येक संक्रमण की संरचना और स्वरूप बिल्कुल अलग होते है. कई बार ऐसा लग सकता है कि संक्रमण की प्रकृति या उसका शरीर पर पड़ने वाला असर एक जैसा है, लेकिन उनका मूल कारण अलग होता है. जिसके चलते उस एक खास संक्रमण के लिए बनाई गई वैक्सीन सिर्फ उसी रोग के लिए फायदेमंद होती है. जैसे फ्लू या स्वाइन फ्लू के लिए बनाई गई वैक्सीन सिर्फ इसी संक्रमण से बचाव करेगी.
फ्लू और कोरोना में अंतर
फ्लू और कोविड-19 में अंतर - कोविड-19 एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के कारण होता है, जबकि फ्लू इंफ्लुएंजा ए तथा बी वायरस के कारण फैलता है.
- कोविड-19 श्वसन तंत्र से जुड़ा रोग है, जहां वायरस फेफड़ों को प्रभावित करता है. वहीं फ्लू ज्यादातर नाक और गले को प्रभावित करता है.
- कोविड-19 का वायरस 14 से 21 दिन तक संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है. वहीं फ्लू का वायरस सिर्फ सात दिन तक प्रभाव में रह सकता है.
- कोविड-19 साधारण फ्लू से ज्यादा घातक और लंबे समय तक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला वायरस है.
किन्हे जरूरत है फ्लू के वैक्सीन की
फ्लू के वैक्सीन को लेकर आम जनता में अधिक जागरूकता नहीं है, और जो लोग इसके बारे में जानते भी है, उनमें से एक बहुत बड़ा प्रतिशत इसकी जरूरत को तवज्जो नहीं देता है, क्योंकि साधारण फ्लू को लेकर आम लोगों में यही धारणा है की यह सात दिन में ठीक हो जाता है. लेकिन इसके ज्यादा बढ़ने पर शरीर के कुछ विशेष अंगों पर घातक असर पड़ सकता है.
डॉ. संजय जैन बताते है की वैसे तो फ्लू का टीका सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन विशेष तौर पर बच्चों, बुजुर्गों और ऐसे लोग जो किसी प्रकार की क्रोनिक डीसीज जैसे मधुमेह या हृदय रोग, बाईपास सर्जरी, घुटने की सर्जरी, कैंसर जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हो, चलने फिरने में असमर्थ हो तथा मौसमी एलर्जी, निमोनिया या फ्लू को लेकर संवेदनशील हो,उन्हें फ्लू का टीका अवश्य लगवाना चाहिए.