विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के कई हिस्सों में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में महिलाएं जननांग विकृति यानी खतना का शिकार बनती है. दुनिया भर के लोग धर्म और परंपराओं के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने वाली इस प्रथा को समाप्त करने के लिए एकजुट हो, इसी उद्देश्य के साथ UNICEF , WHO तथा कई सहयोगी संगठनों द्वारा हर वर्ष 6 जनवरी को ' महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहिष्णुता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस ' के रूप में मनाया जाता है. गौरतलब है कि World Health Organisation द्वारा वर्ष 2030 तक महिला जननांग विकृति यानी नारी खतना ( Female circumcision ) को समाप्त करने का लक्ष्य भी रखा गया है. International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation .
दुनिया के कई हिस्सों में धार्मिक परंपरा के नाम पर कई महिलाओं को Female Genital Mutilation ( FGM ) जिसे साधारण भाषा में खतना भी कहा जाता है, जैसी बर्बरता का सामना करना पड़ता है. खतना ( Circumcision ) एक महिला जननांग विकृति है जिसके कारण दुनिया भर में बहुत सी महिलाओं को ना सिर्फ शारीरिक पीड़ा बल्कि मानसिक प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ता है. इसी प्रथा के विरोध में तथा महिला जननांग विकृति के लिए शून्य सहिष्णुता ( Zero Tolerance ) के आंदोलन के रूप में हर साल 6 फरवरी को वैश्विक स्तर पर “ महिला जननांग विकृति के लिए जीरो टॉलरेंस का अंतर्राष्ट्रीय दिवस” ( International Zero Tolerance for Female Genital Mutilation Day ) मनाया जाता है.
गौरतलब है कि इस वर्ष 6 फरवरी 2023 को महिलाओं के सतत विकास के लिए डब्ल्यूएचओ व यूनिसेफ के 2030 Agenda ( 2030 एजेंडा ) के अनुरूप स्थापित ' महिला जननांग विकृति के लिए जीरो टॉलरेंस के अंतर्राष्ट्रीय दिवस ' की 12 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. इस वर्ष यह दिवस “महिला जननांग विकृति को समाप्त करने के लिए तथा सामाजिक और लिंग मानदंडों को बदलने के लिए पुरुषों और लड़कों के साथ साझेदारी" थीम पर मनाया जा रहा है. ( Theme Partnering with men and boys to end female genital mutilation and change social and gender norms )
खतना का इतिहास : History of Circumcision
आमतौर पर लोगों को लगता है कि खतना ( Circumcision ) सिर्फ पुरुषों के लिए होता है. लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में एक खास धर्म में महिलाओं में भी Circumcision प्रथा का भी पालन किया जाता है. Circumcision के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं को एड्स, बांझपन, योनि व प्रजनन तंत्र ( AIDS, infertility, vaginal and reproductive system problems ) संबंधी समस्याओं सहित कई अन्य शारीरिक समस्याओं तथा अवसाद, ट्रॉमा तथा post traumatic disorder जैसे मानसिक विकारों का भी सामना करना पड़ता है.
चूंकि खतना या महिला जननांग विकृति ( Female Genital mutilation ) में गैर-चिकित्सकीय कारणों से महिला जननांग को बदलने या घायल करने वाली कई प्रक्रियाएं अपनाई जाती है इसलिए इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों तथा लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य और अखंडता के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है. महिलाओं के खिलाफ इस क्रूरता ( खतना प्रथा ) के विरोध में सर्वप्रथम वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूनिसेफ तथा यूएनएफपीए के साथ संयुक्त रूप से एक बयान जारी किया था. इसके उपरांत वर्ष 2007 में यूएनएफपीए तथा यूनिसेफ द्वारा एक संयुक्त कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई थी. Female Genital Mutilation .
वर्ष 2012 में राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसके उपरांत हर साल 6 फरवरी को FGM के लिए शून्य सहिष्णुता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई. इस अवसर पर हर साल UNFPA द्वारा महिला जननांग विकृति ( FGM ) को समाप्त करने के लिए A Piece of Me campaign ( ए पीस ऑफ मी अभियान ) के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. International Day of Zero Tolerance for FGM . गौरतलब है कि Female genital mutilation एक सार्वभौमिक समस्या है. यह मुख्य रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व के 30 देशों में ज्यादा प्रचलित हैं . लेकिन एशिया, लैटिन अमेरिका , पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में रहने वाले अप्रवासी आबादी में भी FGM के मामले देखे जाते हैं.