वयस्कों में आजकल कुछ भी खाने के बाद एसिडिटी के कारण एंटासिड खाना आम बात हो गई है. यहां तक कि कई लोग तो किसी शादी या फंक्शन में जाने से पहले ही एंटासिड घर से इस डर से खाकर जाते हैं कि वहां का खाना, कहीं बाद में एसिडिटी ना करे. ज्यादातर लोगों को लगता है एंटासिड बहुत ही सुरक्षित दवा है और इसे कोई भी कभी भी ले सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है. जरूरत से ज्यादा और बिना जरूरत एंटासिड का सेवन ना सिर्फ किडनी फेल होने का कारण बन सकता है बल्कि गैस्ट्रिक कैंसर का कारण भी बन सकता है.दुनिया भर में हुए कई शोधों में इस बात का उल्लेख किया जा चुका है कि लगातार एंटासिड का सेवन पाचन तंत्र व पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाने के साथ ही किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याओं , ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, आंतों से जुड़े गंभीर रोग और यहां तक की एसोफैगस व आंतों के कैंसर का कारण भी बन सकता है. Antacids Side Effects . Acidity medicine .
दरअसल हमारे शरीर की ज्यादातर समस्याएं तथा रोग हमारे पाचन तंत्र से जुड़े माने जाते है. आमतौर पर कई कारणों से पेट में जब भोजन पचाने के लिए जरूरी एसिड ज्यादा मात्रा में बनने लगता है और जब गैस, अपच या एसिडिटी जैसी समस्याएं होने लगती हैं , तो लोग अपने आप एंटासिड का इस्तेमाल कर लेते हैं. यदि एंटासिड का इस्तेमाल कभी कभी ही किया जाए तो निसंदेह यह नुकसानदायक नहीं होता है लेकिन यदि इसका ज्यादा या लंबे समय तक उपयोग होने लगे तो यह शरीर में कई गंभीर समस्याओं का जनक बन सकता है.
एंटासिड के ज्यादा उपयोग से होने वाली समस्याएं और उनके कारण
दुनिया भर के कई शोधों व मेडिकल मैगजीन में प्रकाशित जानकारी, कई सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सीय संस्थाओं द्वारा प्रकाशित व उनकी वेब साइट पर उपलब्ध आधिकारिक सूचना तथा चिकित्सकों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एंटासिड के लंबी अवधि तथा ज्यादा मात्रा में उपयोग के चलते जिन गंभीर रोगों, समस्याओं व अवस्थाओं के होने का जोखिम बढ़ जाता हैं, उनमें से कुछ तथा उनके कारण इस प्रकार हैं .
एंटासिड का ज्यादा उपयोग पाचन क्रिया की रफ्तार को कम करता है क्योंकि यह भोजन को पचाने के लिए जरूरी एसिड की तीव्रता को कम करता है. इससे सिर्फ पाचन क्रिया ही प्रभावित नहीं होती है, बल्कि आहार से पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर भी असर पड़ता है. जिससे शरीर में टॉक्सिन बढ़ने लगते हैं और जरूरी पोषण भी एबजॉर्व नहीं हो पाते हैं. जब पाचन क्रिया सही नहीं होती है तो कभी दस्त तो कभी कब्ज जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है. जिससे ना सिर्फ शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है, साथ ही हमेशा थकान, उल्टी-मतली, सिर-कंधे व बाजुओं में दर्द और यहां तक पेशाब में भी समस्या होने लगती है.
एंटासिड के ज्यादा उपयोग से किडनी को नुकसान हो सकता है. दरअसल कुछ एंटासिड में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं जो लंबे समय तक लेने पर किडनी के लिए हानिकारक और यहां तक की किडनी फेल होने के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं. जैसे प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) आदि. इसके अलावा पाचन क्रिया के सही से ना होने कारण भी किडनी के कार्य पर असर पड़ता है. जो किडनी में समस्या का कारण बन सकता है.
कुछ वर्ष पहले एक वैश्विक अध्ययन में इस बात का उल्लेख किया गया था कि "गैस" और हार्ट बर्न के इलाज के लिए लंबे समय तक पीपीआई केटेगरी के तहत आने वाली एंटी एसिडिटी दवाओं के उपयोग के चलते किडनी की क्षति या उससे जुड़ी अन्य कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं के होने की आशंका, गैस्ट्रिक कैंसर, हड्डियों में कमजोरी या उनका ज्यादा टूटना तथा ऑस्टियोपोरिसिस जैसी समस्याओं का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाता है. दरअसल पीपीआई दवाओं को एसिड रिफ्लक्स और अपच के अलावा आर्थोपेडिक्स, कार्डियोलॉजी, आंतरिक चिकित्सा और सर्जरी में भी दिया जाता है.
सिर्फ पाचन क्रिया में परेशानी के कारण ही नहीं बल्कि कई बार एस्पिरिन युक्त एंटासिड का इस्तेमाल भी ह्रदय से जुड़ी समस्याओं व उच्च रक्तचाप में परेशानी बढ़ने का कारण बन सकता है. रैनिटिडिन युक्त एंटासिड के इस्तेमाल से कैंसर का जोखिम होने का उल्लेख भी कई शोधों में किया जा चुका है. दरअसल रैनिटिडिन में नाइट्रेट मिथाइल माइन (एनडीएमए) नामक एक तत्व पाया जाता है जिसे इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा इंसानों के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक के रूप में वर्गीकृत किया जा चुका है. इसी के चलते भारत में रैनिटिडिन ड्रग जोकि जिनटेक, पेपलोक, एसीलोक तथा रेनटेक आदि नामों से बिकती थी उन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा चुकी है.