कहावत है कि ज्यादा गुस्सा खून जलाता है. यानी ज्यादा गुस्सा मन पर तो असर डालता ही है साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ सकता है. वैसे तो गुस्सा व्यवहार का एक आम भाव है लेकिन हद से ज्यादा गुस्सा ना सिर्फ हमारे सामाजिक, पारिवारिक और कामकाजी जीवन को प्रभावित कर सकता है बल्कि कई बार मानसिक रोग, अवस्थाओं या क्लीनिकल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है.
रोगी भी बना सकता है ज्यादा गुस्सा
गुस्सा हर इंसान को आता है चाहे वह बच्चा हो, व्यस्क हो या बुजुर्ग, महिला हो या पुरुष. पढ़ाई, काम, रिश्ते, शारीरिक समस्याएं तथा बहुत से ऐसे कारण होते हैं जो लोगों में गुस्से का कारण बन सकते हैं. आमतौर पर लोग गुस्सा करते हैं और अपनी बात या भावना को जाहिर करने के थोड़ी देर बाद शांत भी हो जाते हैं. लेकिन कई बार कुछ लोग अपने गुस्से पर नियंत्रण ही नहीं रख पाते हैं. उन्हे हर बात पर गुस्सा आता है और बार-बार आता है. यहां तक कि कई बार यह गुस्सा इस हद तक बढ़ जाता है कि वे हिंसक भी होने लगते हैं.
मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसी अवस्था लोगों में समस्या का कारण बन सकती है . ना सिर्फ जरूरत से ज्यादा गुस्सा लोगों के सामान्य व कामकाजी जीवन को प्रभावित कर सकता है, उन्हें किसी मनोविकार का शिकार बना सकता है, बल्कि गुस्से की अधिकता कई बार व्यक्ति को हिंसा व अपराध की ओर भी ले जा सकती है.
बढ़ रहे हैं लोगों में एंगर इश्यू
अमेरिकन फिजियोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा दी गई गुस्से की परिभाषा के अनुसार,“विपरीत परिस्थितियों में गुस्सा एक सहज अभिव्यक्ति है, जो अपने ऊपर लगे आरोपों या अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए जरूरी होती है.” वहीं हमारे भारतीय साहित्य में भी गुस्से को एक अहम रस या भाव माना जाता है. लेकिन वर्तमान समय में दुनिया भर में लोगों में अलग-अलग कारणों गुस्से तथा तनाव जैसी समस्या बढ़ रही है. वहीं लोगों में इसे नियंत्रित रखने की क्षमता पर भी असर पड़ रहा है. जिसके चलते दुनिया भर में गुस्से या एंगर इश्यू तथा उसके कारण ट्रिगर होने वाले क्लीनिकल डिसॉर्डर के मामले बढ़ रहे हैं.
इस बात की पुष्टि दुनिया भर में हो चुके कई शोधों में भी की गई है. इसी के चलते दुनिया भर के मनोवैज्ञानिक व समाजशास्त्री आज के युग को 'एज ऑफ एनजायटी' युग के नाम से भी संबोधित कर रहे रहें हैं.
मानसिक समस्याएं बढ़ा सकता है गुस्सा
उत्तराखंड की मनोवैज्ञानिक डॉ रेणुका शर्मा बताती हैं कि सिवीयर एंगर इश्यू होना अपने आप में एक बड़ी समस्या है, लेकिन यह कई बार कुछ अन्य मानसिक समस्याओं तथा विकारों को भी ट्रिगर कर सकती है या पहले से किसी मनोविकार के शिकार व्यक्ति की स्थिति को बिगाड़ सकती है.
वह बताती हैं कि गुस्सा जब डिसऑर्डर में बदल जाता है, तो यह ना सिर्फ हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालने लगता है, बल्कि हमारे जीवन की गुणवत्ता को भी खराब कर सकता है. वर्तमान समय में क्लीनिकल एंजायटी डिसऑर्डर सहित ऐसे कई मनोविकारों के पीड़ितों की संख्या काफी बढ़ रही है, जिसके लिए जिम्मेदार कारकों में से अत्यधिक गुस्सा भी एक हैं. जैसे सोशल एंजाइटी, फोबिया, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर या पैनिक जैसी समस्याएं आदि.
वह बताती हैं कि एंगर इश्यू या बहुत ज्यादा गुस्से की समस्या के चलते लोगों का कामकाजी, सामाजिक व पारिवारिक जीवन, कार्यक्षमता, सोचने समझने की क्षमता और यहां तक की उनका यौन जीवन भी प्रभावित हो सकता है. इसके अलावा जरूरत से ज्यादा गुस्सा व्यक्ति में अपराध, हिंसा, गलत या असामाजिक काम करने की भावना के उत्पन्न होने या उसके बढ़ने का कारण भी बन सकता है.
शारीरिक समस्याओं का कारण भी बनता है गुस्सा
डॉ रेणुका बताती हैं कि इस समस्या के चलते सिर्फ व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है. जैसे बहुत ज्यादा गुस्सा करने वाले व्यक्ति में उच्च रक्तचाप तथा सिरदर्द की समस्या आमतौर पर देखने में आती है. यही नहीं ऐसे लोगों में हृदय रोग, हार्ट अटैक तथा स्ट्रोक होने की आशंका भी ज्यादा होती है. इसके अलावा ऐसे लोगों में कई बार हार्मोन में असंतुलन की समस्या भी हो सकती है.
इनके अलावा भी कई अन्य प्रकार की शारीरिक समस्याएं हैं जो गुस्से के विकार बनने पर पीड़ित को परेशान कर सकती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
· नींद ना आने की बीमारी