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हम जो कुछ भी देखते हैं वह मस्तिष्क की अंतिम 15 सेकंड की दृश्य जानकारी का मिश्रण होता है - University of Aberdeen

एबरडीन विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की सहायक प्रोफेसर मौरो मानसी और बर्कले कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान प्रोफेसर डेविड व्हिटनी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एक ओर, प्रकाश, देखने का कोण और अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण दृश्य दुनिया लगातार बदलती रहती है. दूसरी ओर, पलक झपकने और हमारी आंखों, सिर और शरीर के लगातार गति में रहने से हमारा दृश्य संसार लगातार बदलता रहता है.

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Published : Jan 28, 2022, 8:27 AM IST

बर्कले:हमारी आंखों के सामने से लगातार बड़ी मात्रा में दृश्य जानकारी गुजरती रहती है, जिसमें हमारे चारों ओर फैले लाखों आकार, रंग और कभी-कभी बदलती गति शामिल होती है. मस्तिष्क के लिए, यह कोई आसान काम नहीं है. एक ओर, प्रकाश, देखने का कोण और अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण दृश्य दुनिया लगातार बदलती रहती है. दूसरी ओर, पलक झपकने और हमारी आंखों, सिर और शरीर के लगातार गति में रहने से हमारा दृश्य संसार लगातार बदलता रहता है.

आंखों के जरिए दिमाग तक पहुंचने वाले इस दृश्य इनपुट के 'शोर' का अंदाजा लगाने के लिए, अपनी आंखों के सामने एक फोन रखें और जब आप घूम रहे हों और विभिन्न चीजों को देख रहे हों तो एक लाइव वीडियो रिकॉर्ड करें. आपके दृश्य अनुभव के हर पल में आपका मस्तिष्क भी ठीक उसी तरह से गड्डमड्ड छवियों से जूझता रहता है. हालांकि, हमारे लिए चीजों को देखना कभी भी किसी काम जैसा नहीं होता. हमें लगता है कि यह अपने आप होने वाली सहज प्रक्रिया है. किसी वीडियो द्वारा रिकॉर्ड किए जा सकने वाले उतार-चढ़ाव और दृश्य शोर को समझने के बजाय, हम लगातार स्थिर वातावरण का अनुभव करते हैं. तो हमारा मस्तिष्क स्थिरता का यह भ्रम कैसे पैदा करता है? इस प्रक्रिया ने सदियों से वैज्ञानिकों को आकर्षित किया है और यह दृष्टि विज्ञान के मूलभूत प्रश्नों में से एक है.

टाइम मशीन दिमाग

हमारे नवीनतम शोध में, हमने एक नए तंत्र की खोज की, जो अन्य बातों के अलावा, इस भ्रामक स्थिरता की व्याख्या कर सकता है. मस्तिष्क समय के साथ हमारे दृश्य इनपुट को स्वचालित रूप से सुचारू करता है. हर एक दृश्य स्नैपशॉट का विश्लेषण करने के बजाय, हम एक निश्चित क्षण में पिछले 15 सेकंड में हमने जो देखा उसका औसत देखते हैं. इसलिए, वस्तुओं को एक दूसरे के समान दिखाने के लिए उन्हें एक साथ खींचकर, हमारा मस्तिष्क हमें एक स्थिर वातावरण की कल्पना करने के लिए प्रेरित करता है. दूसरे शब्दों में, मस्तिष्क एक टाइम मशीन की तरह है जो हमें बीते समय में वापस भेजता रहता है. यह एक ऐप की तरह है जो हर 15 सेकंड में हमारे विजुअल इनपुट को एक इंप्रेशन में समेकित करता है ताकि हम रोजमर्रा की जिंदगी को काबू में रख सकें.

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यदि हमारा दिमाग हमेशा वही सब दिखाता रहे जो दृष्टि के माध्यम से उस तक पहुंच रहा है तो, दुनिया एक अराजक जगह की तरह महसूस होगी जिसमें प्रकाश, छाया और गति में लगातार उतार-चढ़ाव आते रहेंगे. हमें ऐसा लगेगा कि हम हर समय मतिभ्रम का शिकार हैं.

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