बर्कले:हमारी आंखों के सामने से लगातार बड़ी मात्रा में दृश्य जानकारी गुजरती रहती है, जिसमें हमारे चारों ओर फैले लाखों आकार, रंग और कभी-कभी बदलती गति शामिल होती है. मस्तिष्क के लिए, यह कोई आसान काम नहीं है. एक ओर, प्रकाश, देखने का कोण और अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण दृश्य दुनिया लगातार बदलती रहती है. दूसरी ओर, पलक झपकने और हमारी आंखों, सिर और शरीर के लगातार गति में रहने से हमारा दृश्य संसार लगातार बदलता रहता है.
आंखों के जरिए दिमाग तक पहुंचने वाले इस दृश्य इनपुट के 'शोर' का अंदाजा लगाने के लिए, अपनी आंखों के सामने एक फोन रखें और जब आप घूम रहे हों और विभिन्न चीजों को देख रहे हों तो एक लाइव वीडियो रिकॉर्ड करें. आपके दृश्य अनुभव के हर पल में आपका मस्तिष्क भी ठीक उसी तरह से गड्डमड्ड छवियों से जूझता रहता है. हालांकि, हमारे लिए चीजों को देखना कभी भी किसी काम जैसा नहीं होता. हमें लगता है कि यह अपने आप होने वाली सहज प्रक्रिया है. किसी वीडियो द्वारा रिकॉर्ड किए जा सकने वाले उतार-चढ़ाव और दृश्य शोर को समझने के बजाय, हम लगातार स्थिर वातावरण का अनुभव करते हैं. तो हमारा मस्तिष्क स्थिरता का यह भ्रम कैसे पैदा करता है? इस प्रक्रिया ने सदियों से वैज्ञानिकों को आकर्षित किया है और यह दृष्टि विज्ञान के मूलभूत प्रश्नों में से एक है.
टाइम मशीन दिमाग