सर्दी का मौसम शुरू होते ही शरीर में आलस, बीमारियां तथा मानसिक तनाव जैसी समस्याएं भी नजर आने लगती हैं. कैसे इन सर्दियों में अपनी दिनचर्या में थोड़े से बदलाव के साथ हम मौसम का आनंद ले सकते हैं, इस बारे में टीटीडी, एसएसवी आयुर्वेदिक कॉलेज, तिरुपति के द्रव्यगुण विभाग के प्रवक्ता डॉक्टर बुलूसू सीताराम ने ETV भारत सुखीभवा की टीम से बात करते हुए कुछ टिप्स दिए हैं.
लाइफस्टाइल टिप्स
- सोने और जागने का समय निर्धारित
डॉक्टर सीताराम कहते हैं, सर्दी के मौसम में सुबह जल्दी उठना और रजाई की गर्माहट को छोड़ना बहुत भारी काम लगता है. लेकिन इस आदत का शरीर की कार्य क्षमता पर काफी असर पड़ता है. वहीं हमारी त्वचा और बालों पर भी इसका असर नजर आता है. सर्दी के मौसम में सोने का आदर्श समय रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक का है. नियमित तथा अनुशासित नींद का पैटर्न ना सिर्फ हमें कई बीमारियों से बचा सकता है, बल्कि शरीर में चुस्ती और फुर्ती भी बढ़ा देता है.
सर्दी के मौसम में अपने शरीर के रक्त संचार को सुनिश्चित करने के लिए बहुत जरूरी है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए, जहां तक संभव हो अपनी दिन की शुरुआत हल्के-फुल्के व्यायाम से करें. दरअसल सर्दी के मौसम में हमारी मसल्स थोड़ी शिथिल तथा सख्त हो जाती हैं. व्यायाम करने से शरीर में गर्माहट आती है तथा मसल्स स्वस्थ रहती हैं.
- तेल मालिश
शरीर के लिए तेल मालिश जरूरी
सर्दी के मौसम में रोजाना नहाने से पहले शरीर की हल्के गर्म तेल से मालिश भी जादू जैसा कार्य करती है. इससे त्वचा में नमी भी बनी रहती है और शरीर में रक्त संचार भी बढ़ता है. शरीर पर तेल की मालिश के लिए नारियल का तेल या तिल का तेल आदर्श माना जाता है.
शरीर पर तेल की मालिश के उपरांत हल्के गर्म या गुनगुने पानी से नहाने से शरीर खुलता है यानी शरीर में होने वाली जकड़न और अकड़न से आराम मिलता है. सर्दी के मौसम में त्वचा को बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि तेल की मालिश के उपरांत जब नहाया जाए, तो कड़े केमिकल वाला साबुन इस्तेमाल ना किया जाए. हर्बल साबुन के अलावा नहाने के लिए स्टार्च पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे त्वचा की नमी बनी रहेगी और सर्दी में त्वचा बेहतर होगी.
डॉक्टर सीताराम बताते हैं कि सर्दियों में जरा सी सक्रियता और अनुशासित जीवन शैली का पालन कर हम ना सिर्फ शारीरिक बीमारियों को स्वयं से दूर रख सकते हैं, बल्कि इस मौसम में आम तौर पर देखे जाने वाले तनाव और अवसाद से भी बच सकते हैं.