टिनिटस : यदि आपको भी कानों में कुछ अवधि के लिए या हर समय घंटी बजने, गुंजन या भिनभिनाने जैसी आवाजे लगातार आती रहती है! तो हो सकता है कि आप टिनिटस से पीड़ित हैं. टिनिटस दरअसल कान से जुड़ी एक आम समस्या है जिसमें एक या दोनों कानों में कभी-कभी या लगातार आवाज या शोर महसूस होता रहता है. इसे आम भाषा में कान बजना भी कहा जाता है. टिनिटस या कान बजने की समस्या वैसे तो एक आम समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है. लेकिन इस समस्या पर यदि समय रहते ध्यान ना दिया जाय तथा इसका इलाज ना कराया जाय तो यह सुनने में कमजोरी के साथ मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण भी हो सकती है.
जयपुर राजस्थान के नाक कान गला विशेषज्ञ डॉ आर के पुंडीर बताते हैं कि टिनिटस कानों में होने वाली एक आम समस्या है तथा इसे कई बार कुछ अन्य समस्याओं या रोगों के लक्षणों में भी गिना जाता है. कारणों के आधार पर कुछ लोगों में यह समस्या कभी-कभी अस्थाई रूप से नजर आ सकती है यानी एक बार होने के कुछ समय बाद यह अपने आप ठीक भी हो जाती है. वहीं कुछ लोगों के कान लगातार बजते रहते हैं. वह बताते हैं टिनिटस से पीड़ित लोगों को आमतौर पर शांत वातावरण में, सोते समय या ध्यान लगाते समय ज्यादा परेशानी महसूस होने लगती है क्योंकि ऐसे वातावरण में उन्हे आवाजें ज्यादा तेज महसूस हो सकती है.
ऐसी अवस्था में कुछ पीड़ित ध्वनि को लेकर ज्यादा संवेदनशील भी हो सकते हैं. वह बताते हैं कि यदि टिनिटस को ट्रिगर करने वाले कारण गंभीर हो और सही समय पर उनका इलाज ना हो तो यह श्रवण हानी के साथ पीड़ित में मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण भी बन सकता है. Dr R K Pundir बताते हैं कि टिनिटस के लिए सिर्फ कानों से जुड़ी समस्याएं ही नहीं बल्कि कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं.
टिनिटस का कारण
- कानों में संक्रमण
- कानों में ज्यादा वैक्स का इकट्ठा हो जाना
- प्रेस्बीक्यूसिस या उम्र ज्यादा बढ़ने पर श्रवण समस्या
- ज्यादा देर तक तेज आवाज या शोर वाले वातावरण में रहना
- सिर या गर्दन में चोट
- कान के आसपास के किसी अंग में चोट या समस्या के कारण कानों की संवेदी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचना
- कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्याएं या संवहनी रोग
- मेनियार्स रोग
- टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट सिंड्रोम
- साइनस इन्फेक्शन
- ज्यादा सर्दी, जुकाम या कंजेशन के कारण
- वेस्टिबुलर स्कवान्नोमा
- कुछ एंटीबायोटिक, एंटीडिप्रेसेंट्स या एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं के सेवन के पार्श्व प्रभाव स्वरूप
- उच्च रक्तचाप, मधुमेह, खून की कमी, हृदय रोग तथा कुछ अन्य परिसंचरण संबंधी समस्याएं
- अंडरएक्टिव थायरॉयड/ हाइपोथाइरॉएडिज़्म
- स्वप्रतिरक्षित रोग/ऑटोइम्यून रोग
- ओटोस्क्लेरोसिस
तनाव या कुछ मानसिक अवस्थाएं व विकार
वह बताते हैं कि इसके अलावा जिन लोगों को माइग्रेन या वर्टिगो की समस्या हो, ऐसे लोग जो लंबे समय तक कारखानों या शोरगुल भरे माहौल में काम करते हैं या फिर ऐसे लोग तो बहुत तेज आवाज में विशेषकर कानों में ईयर प्लग लगाकर तेज आवाज में संगीत सुनते हों, उनमें टिनिटस होने का जोखिम काफी ज्यादा होता है. इसके अलावा कई बार ज्यादा तनाव या कुछ मानसिक विकारों के कारण भी कानों में आवाज आने की समस्या होने लगती है. ऐसी अवस्था में भी इलाज तथा समस्या का प्रबंधन बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार इस कारण से जब कानों में आवाज ज्यादा तेज होने लगती हैं तो कई अन्य मानसिक समस्याओं के ट्रिगर होने का कारण भी बन सकती हैं.