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नजरअंदाज न करें नवजात या छोटे बच्चों में आँखों के बार बार चिपकने की समस्या - kids health

जन्म के बाद बच्चा बेहद संवेदनशील अवस्था में होता है. ऐसे में कई बार देख-रेख या साफ सफाई में कमी या फिर कई अन्य कारणों से उसे अलग-अलग प्रकार के संक्रमण या समस्या होने की आशंका की रहती है. जिन पर समय रहते ध्यान ना दिया जाय तो वह गंभीर भी हो सकती है. बच्चों की आँखों में चिपचिपे तरल के कारण आँखों का चिपकना भी ऐसी ही एक आम समस्या है. जिसकी तरफ ध्यान ना देना कई बार भारी भी पड़ सकता है.

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नजरअंदाज न करें नवजात या छोटे बच्चों में आँखों के बार बार चिपकने की समस्या

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Published : Feb 5, 2022, 4:49 PM IST

जन्म के बाद कुछ समय तक छोटे बच्चों में आँखों में हल्की फुल्की समस्याएं नजर आना आम बात है. ऐसी ही एक आम समस्या है बच्चों की आँखों से निकलने वाले तरल पदार्थ के कारण उनकी आंखे चिपक जाना या आँखों के किनारों पर उस द्रव्य के सूख जाने के कारण आँखों का पूरी तरह से नही खुल पाना. यह बहुत आम अवस्था है जिसे जरा सा ध्यान देकर तथा साफ सफाई का ख्याल रख कर सुलझाया जा सकता है. लेकिन यदि आँखों से चिपचिपा तरल पदार्थ ज्यादा निकलने लगे और आँखों के चिपकने की समस्या ज्यादा नजर आने लगे तो यह किसी बीमारी या संक्रमण का संकेत भी हो सकती है.

सावधानी से संभव है बचाव

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कृतिका कालिया बताती हैं कि आमतौर पर जन्म के बाद से साल भर तक के बच्चों में इस तरह की समस्याएं नजर आना आम होता हैं. जिसका निवारण साफ सफाई का ध्यान रख कर तथा थोड़ी सी सावधानी बरत कर किया जा सकता है. लेकिन यदि आँखों में चिपचिपापन बढ़ने के साथ आँखों के किनारों पर पीला या सफेद तरल पदार्थ ज्यादा मात्रा में नजर आए, सोकर उठने पर बच्चे को आंखें खोलने में ज्यादा परेशानी हो, आँखों के आसपास या नीचे हल्की लालिमा और सूजन हो तथा आंखों के आस पास पीले-हरे रंग का पानी नजर आने लगे तो यह किसी रोग या संक्रमण का संकेत हो सकता है.

क्या है कारण

डॉ कृतिका बताती हैं कि इस अवस्था के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • ऑफ्थैलमिया नियोनेटोरम
    डॉ कृतिका बताती हैं कि ऑफ्थैलमिया नियोनेटोरम नवजात बच्चों में काफी आम है. इस संक्रमण का प्रभाव जन्म से लेकर तीन से चार हफ्ते के अंदर ही बच्चों पर नजर आ सकता है. इस संक्रमण का कारण आमतौर पर बच्चे के जन्म के समय या उसके उपरांत साफ सफाई में लापरवाही या कुछ बीमारियों को माना जा सकता है. ऐसे में बच्चे की आंख से पानी आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना तथा आंखों में लालिमा जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.
  • नेजोलेक्राइमल डक्ट में रूकावट
    बच्चों के नेजोलेक्राइमल डक्ट में समस्या या रूकावट होने पर भी बच्चों की आँखों में समस्या होने लगती है. दरअसल नेजोलेक्राइमल डक्ट आंख में आंसू वह नली होती है जो नाक के नीचे के हिस्से में जाकर खुलती है. इस नली की वजह से ही आंख में लगातार आने वाले आंसू नाक के रास्ते गले में चले जाते हैं, लेकिन यदि इस नाली में रूकावट आ जाए तो आँसू गले में जाने की बजाय बच्चे का आंख से ही बहने लगते हैं, जिससे आंख में संक्रमण विशेषकर कंजंक्टिवाइटिस बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. जिसके चलते भी बच्चों की आँखों में चिपचिपापन आने लगता है. यह समस्या बहुत आम है तथा अमूनन 20 प्रतिशत बच्चों में जन्म के समय यह समस्या पाई जाती है. हालांकि दिन में तीन से चार बार आंसू की नली के ऊपरी हिस्से पर हल्के हाथ से मालिश करने और चिकित्सीय सलाह पर एंटी बॅायोटिक आई ड्राप के इस्तेमाल करने से इस समस्या से राहत मिल जाती है, लेकिन यदि ऐसा ना हो तो एक छोटे से ऑपरेशन से इस समस्या का इलाज संभव है.

डॉ कृतिका बताती हैं कि इसके अलावा भी जन्म के उपरांत बच्चों में आंख की पुतली यानी कॉर्निया का संक्रमण, रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी, स्टाई यानी आंख में फुंसी तथा जन्मजात मोतियाबिंद जैसी समस्याओं के चलते आँखों में चिपचिपेपन की समस्या या संक्रमण हो सकता है. वह बताती हैं कि यदि तमाम सावधानियों के बावजूद भी बच्चों की आँख में संक्रमण या किसी भी प्रकार की समस्या के लक्षण नजर आए तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है.

कैसे करें आँखों की सफाई

  • छोटे बच्चों की आँखों की सफाई के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • बच्चों की आँखों को साफ से पहले हमेशा अपने हाथों को अच्छे से पानी से धो लेना तथा साफ कर लेना चाहिए.
  • बच्चे की आँख को साफ करने करने लिए हमेशा साफ तथा गुनगुना पानी तथा स्टरलाइज्ड रूई ही लेनी चाहिए. रूई को पानी में अच्छे से भिगोकर हल्के हाथों से निचोड़ कर आंखों के अंदरूनी कोने से बाहरी कोनों की ओर बहुत हल्के हाथ तथा सावधानी से पोंछना चाहिए.
  • एक बार इस्तेमाल की गई रूई को दोबारा इस्तेमाल नही करना चाहिए.
  • चिकित्सक की सलाह पर आँखों को साफ करने के लिए स्लाइन वॉटर का भी उपयोग किया जा सकता है.
  • किसी भी अवस्था में बिना चिकित्सक से परामर्श लिए बच्चे की आँखों में किसी भी प्रकार की आइड्रॉप नही डालनी चाहिए.
  • डॉ कृतिका बताती हैं कि बच्चों की आँखों में चिपचिपेपन के साथ आंखों में लालिमा, खुजली, बुखार, लगातार पानी आना, पलकों का सूज जाना तथा नाक में सूजन जैसी समस्याएं भी नजर आने लगे तो उन्हे तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

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