भारत की पहली स्वदेशी एमआरएनए तकनीक आधारित वाली कोरोना वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से पहले और दूसरे चरण के मानव नैदानिक परीक्षण (ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल) की मंजूरी मिल गई है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इस एचजीसीओ-19 वैक्सीन को पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स बना रही है और ये भारत में एमआरएनए तकनीक वाली कोविड-19 की पहली वैक्सीन है, जिसे पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिली है. इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के आईएनडी-सीईपीआई मिशन के तहत अनुदान भी मिला है.
यह वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का उत्पादन करने के लिए पारंपरिक मॉडल का उपयोग नहीं करती है. एमआरएनए तकनीक में वैक्सीन की मदद से मानव कोशिकाओं को जेनेटिक निर्देश मिलता है, जिससे वह वायरस से लड़ने के लिए प्रोटीन विकसित कर सके. यानी इस तकनीक से बनी वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं में ऐसे प्रोटीन बनाती है, जो वायरस के प्रोटीन की नकल कर सके. इससे संक्रमण होने पर इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और वायरस को नष्ट करने में मदद मिलती है.