नई दिल्ली :अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नागपुर में किए गए एक शोध के दौरान शोधकर्ताओं को एक दुर्लभ बात पता चली. कोविड-19 महामारी के पीछे का वायरस सार्स-कोव-2 उन रोगियों के आंसुओं में पाया गया, जिन्हें आंखों की कोई बीमारी नहीं थी.
क्यूरियस जर्नल में प्रकाशित शोध निष्कर्ष के मुताबिक, शोध के लिए चुने गए 40 मरीजों में से 26 (65 प्रतिशत) को मध्यम कोविड, छह (15 प्रतिशत) को गंभीर कोविड और शेष को हल्के कोविड के रूप में वर्गीकृत किया गया था.
40 रोगियों में से पांच (12 प्रतिशत) ने आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया. जब इनके आंसू के नमूने की जांच की गई तो उसमें सार्स-कोव-2 वायरस पाया गया. इन पांच सकारात्मक मामलों में सिर्फ 20 फीसदी में नेत्र संबंधी लक्षण प्रदर्शित हुए, जबकि शेष 80 प्रतिशत में नेत्र संबंधी लक्षणों का कोई लक्षण नहीं दिखा.
इसके अलावा, सात रोगियों (17 प्रतिशत) में नेत्र संबंधी लक्षण जैसे कि कंजंक्टिवल हाइपरमिया, एपिफोरा, पानी आना और खुजली दिखाई दी, जिनमें से केवल 14 प्रतिशत के आरटी-पीसीआर आंसू नमूनों में सार्स-कोव-2 वायरस पाया गया.
शेष छह रोगियों के आंसू नमूनों में सार्स-कोव-2 वायरस नहीं पाया गया. एम्स-नागपुर के नेत्र विज्ञान विभाग के कनिष्क सिंह और टीम ने शाधपत्र में कहा, 'हमने नेत्र संबंधी लक्षणों वाले और बिना नेत्र संबंधी लक्षणों वाले दोनों रोगियों में एक सकारात्मक कोविड -19 आंसू के नमूने का पता लगाया है.'