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क्यों देते हैं चिकित्सक कोविड-19 से लड़ने के लिए जिंक के सेवन की सलाह !

कोविड-19 के शुरुआती दौर से ही चिकित्सक लोगों को शरीर में ज़िंक और विटामिन सी की आपूर्ति के लिए प्राकृतिक आहार तथा सप्लीमेंट लेने की सलाह देते रहे हैं। क्योंकि यह दोनों तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। लेकिन जैसा की माना जाता हैं की हर चीज की अति यानी जरूरत से ज्यादा उपयोग नुकसानदायक होती है, जिंक का भी आवश्यकता से ज्यादा उपयोग शरीर पर नकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है।

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Published : May 31, 2021, 5:38 PM IST

कोविड-19 के दौर में चिकित्सक तथा जानकार सभी आमजन को अपने शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रेरित तथा प्रोत्साहित करते रहे हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर उनका शरीर न सिर्फ कोरोना जैसे संक्रमण बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों से भी लड़ सके। इसके लिए चिकित्सक लोगों को पौष्टिक भोजन के साथ साथ अतिरिक्त मात्रा में विटामिन सी तथा ज़िंक के सेवन की भी सलाह देते हैं।

लेकिन आमतौर पर लोग शरीर में इन तत्वों की आपूर्ति के लिए सामान्य प्राकृतिक भोज्य पदार्थों की बजाय सप्लीमेंट यानी दवाइयों पर ज्यादा निर्भर करते है। जिसका एक कारण यह भी है की ज्यादातर लोगों को ज़िंक के प्राकृतिक स्त्रोतों के बारें में जानकारी है ही नहीं।

चिकित्सक तथा जानकार सभी मानते हैं कि पोषक तत्वों को प्राकृतिक रूप में लेना हमेशा ही एक बेहतर विकल्प होता है। विटामिन सी के प्राकृतिक स्त्रोतों के बारें में आमतौर पर लोगों में काफी ज्यादा जागरूकता है जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग अपने भोजन में विटामिन सी की भरपूर मात्रा लेते हैं। लेकिन यदि ज़िंक की बात करे तो ज्यादातर लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं होती है कि किस प्रकार के और कौन से भोजन में जिंक की मात्रा ज्यादा होती है। इसी बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत सुखी भव ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज तथा नेहरू चिल्ड्रन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर की पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर संगीता मालू से बात की।

ज़िंक के फायदे

डॉक्टर संगीता मालू बताती है कि ज़िंक हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, घावों को भरने, शरीर की चयापचय प्रक्रिया को सुचारू रखने, त्वचा संबंधी समस्या को दूर रखने तथा ना सिर्फ त्वचा बल्कि शरीर पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही नहीं बच्चे के संपूर्ण और सही तरीके से शारीरिक विकास में यह शरीर में प्रोटीन तथा डीएनए सिंथेसिस के कार्यों में मदद करता है।

ज़िंक कोरोना महामारी से बचने में कैसे कर सकता है मदद

ऐसे लोग जिनके शरीर में जिंक की मात्रा जरूरत के अनुसार नहीं होती है, आमतौर पर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती है। इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव तथा उससे लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना कितना जरूरी है। इसीलिए चिकित्सक कोरोना के दौर में लोगों को जरूरी मात्रा में जिंक के सेवन की सलाह देते हैं । इसके साथ ही विटामिन सी, विटामिन डी तथा व्यक्ति की आयु तथा उसकी शारीरिक अवस्था के अनुरूप उसे विभिन्न पोषक तत्व लेने की सलाह दी जाती है।

डॉक्टर संगीता मालू बताती है कि अलग-अलग व्यक्तियों में उनकी शारीरिक अवस्था के अनुसार ज़िंक की जरूरत अलग-अलग मात्रा में हो सकती है।

लिंग के आधार पर बात करें तो आमतौर पर पुरुषों में ज़िंक की जरूरत 17 एमजी, महिलाओं में 13.2 एमजी, गर्भवती महिलाओं में 14.5 एमजी तथा दूध पिलाने वाली महिलाओं में 14.2 एमजी ज़िंक की आवश्यकता होती है। यहां यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि महिला हो या पुरुष शरीर में प्रतिदिन 40 एमजी ज्यादा मात्रा में ज़िंक का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। लेकिन कई बार व्यक्ति की आयु तथा उसकी चिकित्सीय अवस्था के आधार पर उसके शरीर में जिंक की आवश्यकता दिए गए अनुपात से इतर हो सकती है।

पढ़ें :कोरोना संक्रमण के दौरान तथा उससे ठीक होने के उपरांत कैसा हो मरीज का भोजन

इंटीग्रेटेड मेडिकल जनरल में “एडवांसेस” द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र मे माना गया है कि जरूरत के अनुसार प्रतिदिन जिंक का सेवन करने से ना सिर्फ सामान्य स्वास्थ्य वाले व्यक्ति, बल्कि ऐसे लोग जिनकी उम्र ज्यादा है तथा जो किसी न किसी प्रकार की कोमोरबीटी या गंभीर रोग का शिकार हों, उनमें भी संक्रमण होने की आशंका अपेक्षाकृत कम होती है। यहीं नही जिंक का निर्देशानुसार नियमित सेवन करने वाले लोगों में संक्रमण होने के उपरांत उसके ठीक होने की समय अवधि तथा उसकी गंभीरता, दोनों में कमी आती है।

वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया के स्कूल ऑफ मेडिसिन में व्याख्याता डॉ स्कॉट रीड ने भी अपने एक वक्तव्य में जिंक के शरीर पर असर के संबंध में किए गए विभिन्न शोधों के हवाले से बताया हैं की जिंक का नियमित सेवन करने वाले लोगों में ना सिर्फ कोरोना संक्रमण बल्कि ऑक्सीडेटिव तनाव तथा सूजन उत्पन्न करने वाले साईटोकिन का प्रभाव कम मात्रा में देखने में आता है ।

जिंक के मुख्य प्राकृतिक स्त्रोत्र

माना जाता है कि वीगन तथा शाकाहारी लोगों में आमतौर पर ज़िंक की कमी देखने में आती है। ऐसी अवस्था में लोग शरीर में इस पोषक तत्व की सही मात्रा में आपूर्ति के लिए पोषण विशेषज्ञ से सलाह कर सकते हैं, तथा उनकी सलाह पर एक डाइट चार्ट बनाकर उसका पालन भी कर सकते हैं।

ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें आमतौर पर जिंक से भरपूर माना जाता है उनकी सूची इस प्रकार है।

  • मीट ( बीफ, लैंब, पोर्क)
  • शैल फिश ( ओयस्टर, क्रैब, क्लेम्स)
  • सूखे मेवे ( अखरोट, काजू, बादाम, मूंगफली)
  • बीज ( कद्दू के बीज, तिल तथा हैम्प सीड यानी भांग के बीज़)
  • दूध तथा डेयरी उत्पाद जैसे पनीर
  • अंडे
  • राजमा, छोले तथा दालें
  • साबुत अनाज जैसे ओट्स, कीनोवा तथा गेहूं
  • सब्जियां (आलू, केल का साग, चुकंदर, मटर तथा एस्पैररेगस)
  • डार्क चॉकलेट
  • हरी पत्तेदार सब्जियां
  • सिंघाड़ा
  • फल जैसे कस्टर्ड एप्पल यानी सीताफल

किस तरह नुकसान पहुंचा सकता है जरूरत से ज्यादा ज़िंक का सेवन?

डॉक्टर संगीता मालू बताती हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में बहुत सारे लोग बगैर यह जाने की उनके शरीर में ज़िंक की आवश्यकता है या नही, यदि है तो कितनी मात्रा में है, तथा उन्हे कितने लंबे समय तक ज़िंक का सेवन करना चाहिए, अपने मन के अनुसार या दूसरों की बातें सुनकर इसका सेवन कर रहें है। ज़िंक का अत्यधिक मात्रा में सेवन व्यक्ति के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। इन परिस्थितियों में व्यक्ति को नोशिया, डायरिया, पेट में मरोड़, सिर में दर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी तथा शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर के कम होने जैसी समस्याएं नजर आ सकती हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि चिकित्सक से सलाह के अनुसार शरीर में जिंक की जरूरत के बारे में जानकारी लेने के उपरांत ही निर्देशानुसार निर्धारित मात्रा में ज़िंक तथा उसके साथ विटामिन सी का सेवन करना चाहिए।

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