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कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू ने बढ़ाई चिंताएं - ए-एच7एन9

कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू ने लोगों की नींद उड़ाई हुई है. लगभग प्रतिदिन इस संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में पक्षियों की मृत्यु की घटनाओं के चलते लोग इस चिंता में है की कही यह संक्रमण भी कोरोना की भांति उनकी जान पर तो भारी नहीं पड़ जाएगा.

Bird flu increases worries
बर्ड फ्लू ने बढ़ाई चिंता

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Published : Jan 9, 2021, 2:48 PM IST

जहां एक ओर अभी तक लोग कोरोना के डर और त्रासदी से बाहर नहीं निकल पा रहे है, एक नए डर ने उनकी घबराहट बढ़ा दी है. कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू लोगों को डरा रहा है. बर्ड फ्लू जिसे एवीअन फ्लू या एच5एन1 वायरस के नाम से भी जाना जाता है, कितना खतरनाक है और किस तरह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने पारंपरिक फुफ्फूसीय रोग विशेषज्ञ तथा डीएनबी फुफ्फूसीय चिकित्सा डॉ. प्रदीप किरण पंचदी से बात की.

क्या है बर्ड फ्लू तथा कैसे फैलता है?

डॉ. प्रदीप बताते है की एवीअन फ्लू यानी बर्ड फ्लू एक फैलने वाला संक्रमण है, जो पक्षियों(मुर्गी, बतख वगैरह) के कारण फैलता है. इस संक्रमण की संवाहक जल, जमीन और हवा में रहने वाली किसी भी प्रकार की पक्षियों से हो सकती है. यह संक्रमण उनके पेशाब, लार तथा उनके मल से एक पक्षी से दूसरी पक्षी में फैलता है. कभी-कभी यह वायरस सूअरों, घोड़ों, बिल्लियों और कुत्तों जैसे स्तनधारियों को भी अपनी चपेट में ले लेता है. हालांकि इंसानों में यह संक्रमण बहुत सरलता से नहीं फैलता है, लेकिन फिर भी जो लोग संक्रमित मुर्गियों या सूअरों के संपर्क में रहते हैं, जैसे मुर्गी फार्म में रहने वाले किसान तथा दूसरे कार्य करने वाले लोग, वह संक्रमण की चपेट में आ सकते है.

डॉ. प्रदीप बताते है की सबसे पहली वर्ष 1997 में चाइना में बर्ड फ्लू यानी एचपीएआई ए (एच5एन1) वायरस नजर आया था. दरअसल हमारे वातावरण में कई प्रकार के वायरस मिलते है, लेकिन उनमें से मुख्यतः केवल ए-एच5एन1 तथा ए-एच7एन9, दो ही प्रकार है, जो इंसानों को गंभीर रूप से प्रभावित करते है. इनके अतिरिक्त एच7एन3, एच7एन7 तथा एच9एन2 वायरस भी मनुष्य जाति को प्रभावित कर सकती है.

बर्ड फ्लू के लक्षण तथा उसके गंभीरता

डॉ. प्रदीप के अनुसार इस संक्रमण के लक्षण भी अन्य फैलने वाले संक्रमणों के लक्षणों जैसे ही होते है. लेकिन अवस्था बिगड़ने पर पीड़ित के स्वसन तंत्र पर असर पड़ने लगता है. और उसे निमोनिया, मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम सहित कई गंभीर समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है. लेकिन यहां यह जान लेना भी जरूरी है की इस संक्रमण के चलते जान जाने का खतरा ज्यादा नहीं होता है, इसलिए यह कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी नहीं है.

इस संक्रमण के प्रारंभिक तथा मुख्य लक्षण इस प्रकार है;

  • सर्दी
  • बहती नाक
  • बुखार
  • छींके आना
  • गला खराब होना
  • कफ
  • शरीर तथा मांसपेशियों में दर्द
  • सांस लेने में समस्या
  • नाक से खून आना

कैसे करें बचाव

कहावत है की इलाज से बेहतर बचाव है, इसलिए बहुत जरूरी है इस संक्रमण से बचाव के लिए सभी सुरक्षा नियमों का पालन करें. और यदि इस संक्रमण के प्रभाव में आ भी जाए, तो चिकित्सक की सलाह तथा सुझावों का कड़ाई से पालन करें.

बर्ड फ्लू से बचाव के लिए कुछ विशेष कदम उठाए जा सकते है;

  1. बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने की अवस्था में ऐसा स्थान या पोल्ट्री फार्म जहां मुर्गी मृत अवस्था में मिली है या जहां संक्रमण की पुष्टि हुई है, उससे कम से कम 1 किलोमीटर तक के दायरे को प्रतिबंधित कर देना चाहिए.
  2. यदि संभव हो तो संक्रमण से ग्रस्त मुर्गियों को मार देना चाहिए, जिससे संक्रमण अन्य मुर्गियों को अपने प्रभाव में ना ले पाए. बड़ी संख्या में मुर्गियों को संक्रमण से बचाने का यही तरीका है.
  3. पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले किसान तथा कर्मचारी कार्य करते समय हमेशा मास्क तथा दस्तानों का उपयोग करें.
  4. यदि किसी व्यक्ति में इस संक्रमण के लक्षण नजर आने लगते है, तो उसे स्वयं को क्वारंटाइन कर लेना चाहिए तथा चिकित्सक की सलाह का पालन करना चाहिए.
  5. यदि संभव है तो समूह में पाली जाने वाली घरेलू पक्षियों का टीकाकरण करवा लेना चाहिए.
  6. कच्चा या कम पका मीट तथा अंडे खाने से बचना चाहिए.

बर्ड फ्लू का इलाज

डॉ. प्रदीप कहते है की संक्रमण के लक्षण नजर आते ही सबसे पहले चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. ऐसा होने की अवस्था में अपने आप अपना चिकित्सक नहीं बनना चाहिए तथा उनके द्वारा दी गई दवाइयों तथा चिकित्सीय निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए.

इनके अतिरिक्त बाजार में विभिन्न दवाइयां भी मिलती है, जिन्हे चिकित्सक इस रोग के रोगियों को दवाई के पर्चे पर लिख कर देते है, जैसे जैनामीवीर, पैरामिविर, बालोजेवीयर मारबॉक्सिल तथा ओसलटेमीवीर आदि.

बर्ड फ्लू और कोविड-19

कोविड-19 और बर्ड फ्लू

कोरोना वायरस की बात करें तो यह व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है और उससे कमजोर बना देता है. जिससे उनमें अन्य संक्रमण फैलने की आशंका भी बढ़ जाती है. इसी कारण से कोविड-19 के मरीजों के बर्ड फ्लू संक्रमण की चपेट में आने की आशंका काफी अधिक है.

डॉ. प्रदीप बताते है की वर्तमान में बर्ड फ्लू के बढ़ते मामले देखकर बड़ी संख्या में शोधकर्ता तथा चिकित्सा वैज्ञानिक चिंता तथा आशंका जता रहे है की कहीं यह दोनों वायरस मिल कर कोई नया संक्रमण ना बना दें. यदि ऐसा होता है, तो स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है.

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