कोविड-19 के दौरान पिछले एक साल में स्वास्थ्य के अलावा कई अनदेखी अनजानी समस्याओं ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया। ऐसी ही एक समस्या रही पालतू जानवरों की देखभाल। कोविड-19 के दौरान कोरोनावायरस की उग्रता ने जब लोगों को घरों में बंद रहने, तथा अस्पताल में व घर से अलग क्वॉरेंटाइन रहने को मजबूर कर दिया, उस समय उनके पालतू जानवरों की देखभाल बहुत बड़ी समस्या बन कर उभरी। वेटरनरी फिजिशियन तथा विशेष तौर पर रेबीज के खिलाफ चलाए जा रहे मिशन में सक्रिय भूमिका निभा रही डॉ. अनुराधा वी पाय ने ईटीवी भारत सुखीभवा को बताया की कोरोना के साये में बीता वर्ष 2020 पालतू जानवरों के लिए भी काफी भारी रहा।
पेट्स की देखभाल ने बढ़ाई चिंता
डॉ. अनुराधा बताती हैं कि कोरोनावायरस ने जितना बीते साल में लोगों को उनकी सेहत के लिए डराया उतना ही संक्रमित पेट्स-पेरेंट्स यानि पालतू जानवरों के कोरोना पीड़ित परिजनों को उनकी देखभाल की चिंता ने परेशान किया। कोरोनाकाल में पालतू जानवरों की देखभाल को लेकर उत्पन्न हुई समस्या से संबंधित अपना एक अनुभव साझा करते हुए डॉ. अनुराधा बताती हैं उनके पास नियमित तौर पर आने वाले एक तीन सदस्यीय परिवार के दो सदस्यों को गंभीर अवस्था में कोरोना हुआ था, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। लेकिन सिर्फ अपने पेट्स की देखभाल के कारण इस परिवार के बेटे ने अस्पताल की बजाय होम क्वॉरेंटाइन होने को प्राथमिकता दी। लेकिन सभी पालतू जानवर इतने भाग्यशाली नहीं रहे। लगभग ऐसी ही परिस्थितियों के चलते बड़ी संख्या में लोगों को अपने पालतू जानवरों को डे केयर या रिश्तेदारों के घर पर छोड़ना पड़ा। वहीं कुछ पेट्स ऐसे भी रहे जिन्हें इस अवस्था के कारण बेघर होना पड़ा। इन परिस्थिति के चलते न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी बेघर जानवरों की संख्या बढ़ गई। हालांकि इस दौरान जानवरों को गोद लेने वाली तथा उनकी देखभाल के लिए कार्य करने वाली कई संस्थाओं ने सक्रियता के साथ काम करते हुए इन जानवरों के भोजन पानी की व्यवस्था भी की।
डॉ. अनुराधा बताती हैं कोरोना काल के दौरान देश-विदेश से सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली ऐसी वीडियो जिनमें जानवरों को सड़क पर छोड़ देने तथा इसके चलते उनके सामने भोजन पानी की समस्या उत्पन्न होने जैसी खबरे दिखाई जा रही थी, जिससे प्रेरित होकर बहुत से लोगों ने अपनी जानवरों को स्वयं विभिन्न कैनलिंग ऑनलाइन एप्स यानी जानवरों को प्रशिक्षण देने वाली एप्स तथा संबंधित वीडियो की मदद से टॉयलेट ट्रेनिंग देने का प्रयास किया जो कि कुछ हद तक सफल भी रहा।