कोविड 19 संक्रमण से ठीक होने के लंबे समय बाद तक भी पीड़ितों में अलग-अलग तरह के पार्श्व प्रभाव नजर आने के मामले काफी ज्यादा देखे जा रहे हैं. इन प्रभावों में अस्थाई मनोभ्रंश के साथ याददाश्त में कमी भी काफी आम है. लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि कोरोना से ठीक हो चुके बुजुर्गों में एक साल बाद भी अल्जाइमर रोग विकसित होने का जोखिम काफी ज्यादा होता है. विशेषतौर पर यह जोखिम 85 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में अपेक्षाकृत ज्यादा देखा जा सकता है. Corona infected recovered elders have more alzheimer risk .
केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Case Western Reserve University School of Medicine) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में कोविड 19 और अल्जाइमर के बीच संबंध को जानने के लिए यह शोध किया था. शोध में कहा गया है कि हालांकि इस बात को लेकर अधिक शोध कि आवश्यकता है कि कोविड 19 संक्रमण अल्जाइमर के होने का कारण बन सकता है या फिर अल्जाइमर पीड़ितों को संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है, या ये दोनों ही रोग एक दूसरे की गंभीरता को बढ़ा सकते हैं, लेकिन इस शोध में इस बात की पुष्टि जरूर हुई है कि इन दोनों रोगों के बीच में संबंध होता है. और एक समस्या से पीड़ित व्यक्ति में दूसरी समस्या होने का जोखिम (Alzheimer risk) ज्यादा होता है.
क्या कहता है शोध :जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिजीज (Journal of Alzheimer's Disease) में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि कोविड 19 संक्रमण का शिकार रहे वृद्ध लोगों में अल्जाइमर रोग विकसित होने के जोखिम दोगुना होता है, और यह संक्रमण से ठीक होने एक साल भी पीड़ित को प्रभावित कर सकता है. शोध की सह-लेखक तथा प्रोफेसर डॉ पामेला डेविस (Dr. Pamela Davis) ने शोध के निष्कर्ष में बताया है कि अल्जाइमर रोग से जुड़े कारक व्यक्ति में संज्ञानात्मक हानि का कारण बनते हैं. ऐसे में कोविड-19 के चलते स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे तीव्र सूजन तथा तंत्रिका तंत्र व मस्तिष्क पर प्रभाव पीड़ित में क्या अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ा सकता है! या पहले से ही इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति की अवस्था को प्रभावित कर सकता है !, इसी के बारे में ज्यादा जानने के उद्देश्य से यह शोध किया गया है.
इस अध्ययन में कुछ अन्य संबंधित शोधों के नतीजों का भी विश्लेषण किया गया है. ग़ौरतलब है कि वर्ष 2021 में हुए एक अन्य शोध के नतीजों कहा गया था कि पहले से मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों में कोविड 19 संक्रमण होने, उसके कारण अस्पताल में भर्ती होने और यहाँ तक उनमें मृत्यु का खतरा भी ऐसे लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है जिन्हे डिमेंशिया नहीं हो. Case Western Reserve University School of Medicine के इस नए अध्ययन के निष्कर्ष में भी कोविड 19 और अल्जाइमर रोग के बीच "द्विपक्षीय संबंध" होने, यानी एक समस्या होने पर दूसरे के होने का जोखिम होने तथा उनके प्रभावों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होने की संभावना जताई गई है.