थायराइड एक ऐसी समस्या है जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। जानकारों की माने तो थायराइड शरीर के लगभग हर हिस्से के कार्यों को प्रभावित करता है। इस समस्या के लिए न सिर्फ शारीरिक अवस्थाओं बल्कि खानपान संबंधी असवस्थ आदतों और आसीन जीवनशैली को भी जिम्मेदार माना जाता है। चिकित्सा मानते है की यदि थायराइड से पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयों के नियमित सेवन के साथ खाने पीने की स्वस्थ आदतों को अपनाएं तथा स्वस्थ जीवन शैली का पालन करे को थायराइड के कारण होने वाली समस्याओं से बच सकता है।
क्या है थायराइड
थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि है , जो ट्राईआयोडोथायरॉनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी 4) नामक दो हारमोंस का निर्माण करती है, जो शरीर की मेटाबॉलिक गतिविधियों यानी सामान्य चयापच्य प्रक्रिया को संचालित करते है। तितली के आकार की यह ग्रंथि गर्दन के अंदर और कॉलर बोन के ऊपर होती है।
थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार का माना जाता है, हाइपरथाइरॉएडिज्म तथा हाइपोथाइरॉएडिज्म। यह दोनों की अवस्थाएं शरीर में हार्मोन की मात्रा तथा आयोडिन की मात्रा में कमी या ज्यादा होने के कारण उत्पन्न होती हैं।
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल कोरमंगला बैंगलुरु की पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर शरण्या श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार शरीर में हार्मोन के स्तर सहित व्यक्ति के वजन, तथा स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कई कारकों के चलते शरीर में हाइपरथाइरॉएडिज्म, हाइपोथाइरॉएडिज्म तथा थायरोडिटीज जैसी अवस्था उत्पन्न होती हैं। जिसके चलते व्यक्ति के शरीर में बालों का झड़ना या गंजापन, वजन में कमी या बढ़ोतरी, अनियमित माहवारी, थकान, बचैनी तथा चिचिड़पन जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लक्षणों के आधार पर थायराइड को हाइपरथाइरॉएडिज्म तथा हाइपोथाइरॉएडिज्म में वर्गीकृत किया जाता है जो इस प्रकार हैं।
हाइपरथाइरोडिस्म के लक्षण
बेचैनी, हृदय गति का बढ़ जाना, व्याकुल होना, चिड़चिड़ापन बढ़ जाना, ज्यादा पसीना आना, पतला होना , बिना प्रयास के लगातार वजन का घटता जाना तथा कमजोरी हाइपरथाइरॉयडिज़्म के मुख्य लक्षण हैं।
इस अवस्था के चलते व्यक्ति को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं इस प्रकार हैं।
ग्रेव डिजीज :ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपरथॉयराइडिज्म होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबॉडिज का उत्पादन करने लगती है जो टीएसएच को बढ़ाती है। यह आनुवांशिक बीमारी है ।
थायराइड नोड्यूल्स : थायरॉइड नोड्यूल ठोस या तरल पदार्थ से भरी गांठ होते हैं जो थायरॉयड के भीतर बनते हैं। अक्सर लोगों को थायरॉयड नोड्यूल का तब पता नहीं चलता जब तक चिकित्सक इसकी जांच नही करते है।
थाइरॉएडाइटिस: थायराइड ग्रंथि में सूजन आने की अवस्था थाइरॉएडाइटिस कहलाती है।
आयोडिन संबंधी समस्या : शरीर में आयोडीन का जरूरत से ज्यादा निर्माण होना
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
थकान, त्वचा व बालू का रूखा होना, कमजोरी, हद से ज्यादा वजन बढ़ जाना, तनाव, ठंड तथा ठंडी चीजों को लेकर संवेदनशीलता बढ़ जाना हाइपोथायरॉएडिज्म के मुख्य लक्षण हैं। इस अवस्था के चलते उत्पन्न होने वाली शारीरिक समस्या इस प्रकार हैं।