नई दिल्ली : जलवायु संकट से ब्रिटेन का कॉफी के प्रति प्यार व लगाव खतरे में है. चैरिटी क्रिश्चियन एड की एक नई रिपोर्ट में सोमवार को यह बात कही गई. रिपोर्ट बताती है कि कैसे गरीब देशों में कॉफी किसानों को अमीर देशों से वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है, ताकि किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और इससे होने वाले नुकसान और क्षति को दूर करने में मदद मिल सके.
अकेले ब्रिटेन में, ब्रिट्स एक दिन में 98 मिलियन से अधिक कप कॉफी पीते हैं. Charity Christian Aid (क्रिश्चियन एड) द्वारा गणना के अनुसार, यह नौ से अधिक ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को भरने के लिए पर्याप्त है. हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय विकास चैरिटी के विश्लेषण ने चेतावनी दी है कि कॉफी किसानों को बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा, बीमारी, सूखे और भूस्खलन जैसे जलवायु संबंधी प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है.
विशेषज्ञ पूवार्नुमानों ने चेतावनी दी है कि केवल 1.5-2 डिग्री के तापमान में वृद्धि से सदी के अंत तक कॉफी उगाने के लिए उपयुक्त भूमि आधे से अधिक 54 प्रतिशत तक कम हो जाएगी. इसमें वे दो देश, ब्राजील और वियतनाम शामिल हैं, जहां से यूके अधिकांश कॉफी का आयात करता है. Christian Aid द्वारा कमीशन सावंता के सर्वेक्षण ( Savanta survey ) से पता चलता है कि ब्रिटेन के पांच में से तीन (57 प्रतिशत) वयस्कों का कहना है कि वे चिंतित हैं कि Climate change ब्रिटेन में कॉफी की लागत, स्वाद और उपलब्धता को प्रभावित करेगा.
जलवायु संकट का प्रभाव
सर्वेक्षण यह भी दर्शाता है कि ब्रिटेन के 10 में से लगभग सात (69 प्रतिशत) वयस्कों का कहना है कि वे इस बात से सहमत हैं कि सरकार को ब्रिटेन में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर जलवायु संकट के प्रभाव को कम करने के लिए और अधिक काम करना चाहिए. रिपोर्ट का प्रकाशन - वेक अप एंड स्मेल द कॉफी : द क्लाइमेट क्राइसिस एंड योर कॉफी - क्रिश्चियन एड वीक की शुरुआत का प्रतीक है, जो यूके का सबसे लंबा चलने वाला धन उगाहने वाला सप्ताह है, जो 1957 से शुरू हुआ है.