पिछले साल मेडिकल पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित एक शोध/सर्वे के नतीजों में बताया गया था कि युवाओं में प्रदूषण, क्लाइमेट चेंज व ग्लोबल वार्मिंग के कारण आने वाले समय में धरती तथा उनके जीवन पर पड़ने वाले असर को लेकर डर तथा चिंता काफी ज्यादा बढ़ रही है. जिसके फलस्वरूप वे इको एंजाइटी का शिकार बन रहे हैं. सिर्फ इसी शोध में ही नही बल्कि देश-विदेश में हुए कई अन्य शोधों तथा सर्वे में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रदूषण व बदलते वातावरण का असर हर उम्र के लोगों में डर तथा चिंता को बढ़ा रही है. लेकिन युवाओं पर इसका असर ज्यादा गंभीर स्वरूप में नजर आ रहा है, नतीजतन उनमें इको एंजायटी के मामलों में लगातार बढ़त देखी जा रही है.
इको एंजाइटी को लेकर क्या कहते हैं शोध
लैंसेट में प्रकाशित उक्त शोध में 10 देशों के 16 से 25 साल वाले लगभग 10,000 युवाओं पर सर्वे किया गया था. जिसमें लगभग 45% ने इस बात को माना था कि वातावरण व जलवायु में बदलाव उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या पर नकारात्मक रूप में असर डाल रहा है. सर्वे में लगभग 59% लोगों ने माना था कि वे जलवायु में परिवर्तन तथा इसके चलते पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित हैं. वहीं 84% लोगों ने इस विषय को लेकर अलग-अलग स्तर की चिंता जताई थी . लेकिन सर्वे में 50% लोगों ने इस बात को माना था कि उन्हे पर्यावरण तथा प्रदूषण के चलते वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव तथा उसके चलते भविष्य में अनिश्चितता की आशंका को लेकर बहुत ज्यादा घबराहट, दुख, गुस्सा, असहायता तथा आत्मग्लानि महसूस होती है. शोध में तकरीबन 75% लोगों ने माना कि भविष्य डरावना लग रहा है.
इस सर्वे के नतीजों में बताया गया था कि ग्लोबल वॉर्मिंग, प्रदूषण तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य संकटों की वजह से भविष्य, नौकरी और आने वाले समय में पैदा हो सकने वाले संकट व अनिश्चितता तथा पर्यावरण संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठा पाने की ग्लानि का चलते लोगोंन विशेषकर युवाओं में इको एंजायटी के मामले काफी बढ़ रहें हैं.
इससे पूर्व वर्ष 2017 में “ कोलोरेडो बौल्डर यूनिवर्सिटी” के शोधकर्ताओं द्वारा इसी विषय पर एक शोध किया गया था. जिसमें तकरीबन 114 विद्यार्थियों को विषय बनाया गया था. शोध में प्रतिभागियों से पर्यावरण के बदलते स्वरूप, प्रदूषण, ग्लोबल वॉर्मिंग तथा उनके भविष्य पर पड़ने वाले संभावित असर को लेकर उनकी चिंताओं के संबंध में उनसे सवाल पूछे गए थे. जिसके नतीजों में सामने आया था कि इन सभी मुद्दों को लेकर बच्चों में तनाव का स्तर काफी ज्यादा था.
वहीं वर्ष 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ एंड ग्लोबल फ्यूचर थिंकटैंक के एक सर्वे में भी लोगों में क्लाइमेट चेंज को लेकर ईको एंजाइटी के बढ़ने की पुष्टि हुई थी. इस सर्वे में लगभग 78% लोगों ने माना था कि वातावरण/जलवायु में परिवर्तन के चलते वह कुछ हद तक डर महसूस करते हैं लेकिन 41% लोगों ने माना था कि यह विषय उन्हें बहुत ज्यादा डराता है. सीओपी26 ग्लासगो में इस शोध का उल्लेख किया गया था.