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ओमीक्रोन: सुरक्षा मानकों में लापरवाही पड़ सकती है भारी

कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन लोगों के समक्ष चिंता का विषय बनता जा रहा है. लोगों में इसके फैलने की रफ्तार काफी तेज मानी जा रही है. इसके बावजूद आम लोगों में ओमीक्रोन को लेकर लापरवाही भरा रवैया साफ नजर आ रहा है. इसके अतिरिक्त एक अन्य समस्या भी है जो इस समय काफी परेशानी भरी साबित हो सकती है, वह है ओमीक्रोन को लेकर लोगों में फैला भ्रम तथा जानकारी का अभाव.

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ओमीक्रोन: सुरक्षा मानकों में लापरवाही पड़ सकती है भारी

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Published : Dec 28, 2021, 2:35 PM IST

कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट (omicron variant) एक बार फिर से देशवासियों के सिर पर चिंता की घंटी बजाते हुए नजर आ रहा है लेकिन सबसे चिंतनीय बात यह है कि ज्यादातर लोग उस घंटी को सुन नहीं पा रहें हैं या फिर उसे सुनकर भी अनसुना कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि व्यक्तिगत तौर पर बड़ी संख्या में लोग सुरक्षा मानकों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ/WHO) की तरफ से “चिंताजनक” यानी “वैरीएंट ऑफ कंसर्न” (variant of concern) घोषित किए जा चुके ओमीक्रोन के पीड़ितों की संख्या हमारे देश में भी अब लगातार बढ़ती जा रही है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से भी ज्यादा प्रकार की म्यूटेशन पाई गई है जो कि कोरोना के पिछले किसी भी स्ट्रेन में नहीं थी. यही नही ओमीक्रोन के फैलने की रफ्तार कोरोना के बाकी वैरीएंट के मुकाबले काफी ज्यादा है. इस संक्रमण को लेकर एक चिंतनीय पहलू यह भी है कि लोगों में अभी भी इस नए वेरिएंट को लेकर जानकारी का अभाव है. क्या ओमीक्रोन जानलेवा है? क्या इसके लक्षण कोरोना के दूसरे वेरिएंट से भिन्न है? क्या इसका इलाज अलग तरह से होता है? तथा इसके प्रभाव कितने गंभीर नजर आ सकते हैं? जैसे बहुत से ऐसे सवाल हैं जिन को लेकर आम जनता में तमाम तरह के भ्रम व्याप्त हैं. लोगों के इन्ही प्रश्नों के जवाब जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने बेंगलुरु के जनरल फिजिशियन डॉ जी.सी चौरे से बात की.

अलग नही है जांच का तरीका

ओमीक्रोन के बारें में जानकारी देते हुए डॉ चौरे बताते हैं कि कोरोना के इस नए वेरिएंट की जांच और इलाज का तरीका कोरोना के डेल्टा तथा अन्य वेरिएंट से अलग नहीं है. ओमीक्रोन की टेस्टिंग के लिए पहले व्यक्ति का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है तथा उसके उपरांत ओमीक्रोन वेरिएंट की पुष्टि के लिए संभावित संक्रमित व्यक्ति का सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाता है. वही इस प्रकार के संक्रमण से पीड़ित लोगों का इलाज भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ही किया जाता है. गौरतलब है कि कोरोना के सभी वेरिएंट के इलाज का प्रोटोकॉल विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से निर्धारित किया गया है.

कितने भिन्न हैं लक्षण

डॉ चौरे बताते हैं कि इस संक्रमण के लक्षणों की बात करें तो कोरोना के डेल्टा तथा वेरिएंट में जहां पीड़ित में गंभीर प्रकार के लक्षण नजर आते थे जैसे तेज बुखार, लगातार खांसी, सूंघने और स्वाद की क्षमता कम होना या खत्म हो जाना, साइन में दर्द, दर्द सांस लेने में तकलीफ तथा ऑक्सीजन लेवल का अचानक कम हो जाना आदि. वही इस वेरिएंट के लक्षण काफी माइल्ड यानी हल्के नजर आते हैं जैसे बहुत ज्यादा थकान होना, गले में चुभन होना, हल्का बुखारआना, रात को पसीना आना, शरीर में दर्द महसूस होना और सुखी खांसी आदि. यही नही बहुत से लोगों में तो लक्षण नजर आते ही नही हैं.

वह बताते हैं कि अभी तक इस वेरिएंट के लक्षणों में मरीजों में खाने के स्वाद या सुगंध में कमी, तेज बुखार या सांस से जुड़ी गंभीर समस्याएं महसूस होने जैसे लक्षण नहीं नजर आए हैं. इसलिए माना जा रहा है कि फेफड़ों के स्वास्थ्य पर इसका ज्यादा असर नही पड़ेगा. लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि कोरोना के सभी वेरिएन्ट के मूल स्वरूप के लक्षणों में समय के साथ साथ परिवर्तन होते रहें हैं , इसलिए भविष्य में इसके लक्षण बदलने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है.

सावधानी जरूरी

डॉ चौरे बताते हैं कि हालांकि अभी तक ओमिक्रोन के किसी भी पीड़ित में संक्रमण के बहुत ज्यादा गंभीर प्रभाव नजर नही आए हैं. जिसके चलते यह माना जा रहा है कि ओमिक्रोन का वर्तमान स्वरूप स्वास्थ्य पर ज्यादा गंभीर असर नही डालता है. लेकिन फिर भी सुरक्षा के मद्देनजर लोगों को ज्यादा चौकन्ना रहने की जरूरत है.

रोग का प्रभाव शरीर पर चाहे गंभीर हो या हल्का, वह शरीर को प्रभावित करता ही है. इसलिए बहुत जरूरी है कि तमाम सावधानियों तथा कोरोना सुरक्षा संबंधी मानकों को अपनाते हुए लोग इस संक्रमण से बचने का भरपूर प्रयास करें. जिसके लिए जहां तक संभव हो भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें. मास्क अवश्य पहने अपने हाथों को नियमित तौर पर सैनिटाइज या साफ करते रहें और जहां तक संभव हो लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग रखें.

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