कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट (omicron variant) एक बार फिर से देशवासियों के सिर पर चिंता की घंटी बजाते हुए नजर आ रहा है लेकिन सबसे चिंतनीय बात यह है कि ज्यादातर लोग उस घंटी को सुन नहीं पा रहें हैं या फिर उसे सुनकर भी अनसुना कर रहे हैं. जिसका नतीजा है कि व्यक्तिगत तौर पर बड़ी संख्या में लोग सुरक्षा मानकों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ/WHO) की तरफ से “चिंताजनक” यानी “वैरीएंट ऑफ कंसर्न” (variant of concern) घोषित किए जा चुके ओमीक्रोन के पीड़ितों की संख्या हमारे देश में भी अब लगातार बढ़ती जा रही है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से भी ज्यादा प्रकार की म्यूटेशन पाई गई है जो कि कोरोना के पिछले किसी भी स्ट्रेन में नहीं थी. यही नही ओमीक्रोन के फैलने की रफ्तार कोरोना के बाकी वैरीएंट के मुकाबले काफी ज्यादा है. इस संक्रमण को लेकर एक चिंतनीय पहलू यह भी है कि लोगों में अभी भी इस नए वेरिएंट को लेकर जानकारी का अभाव है. क्या ओमीक्रोन जानलेवा है? क्या इसके लक्षण कोरोना के दूसरे वेरिएंट से भिन्न है? क्या इसका इलाज अलग तरह से होता है? तथा इसके प्रभाव कितने गंभीर नजर आ सकते हैं? जैसे बहुत से ऐसे सवाल हैं जिन को लेकर आम जनता में तमाम तरह के भ्रम व्याप्त हैं. लोगों के इन्ही प्रश्नों के जवाब जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने बेंगलुरु के जनरल फिजिशियन डॉ जी.सी चौरे से बात की.
अलग नही है जांच का तरीका
ओमीक्रोन के बारें में जानकारी देते हुए डॉ चौरे बताते हैं कि कोरोना के इस नए वेरिएंट की जांच और इलाज का तरीका कोरोना के डेल्टा तथा अन्य वेरिएंट से अलग नहीं है. ओमीक्रोन की टेस्टिंग के लिए पहले व्यक्ति का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है तथा उसके उपरांत ओमीक्रोन वेरिएंट की पुष्टि के लिए संभावित संक्रमित व्यक्ति का सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जाता है. वही इस प्रकार के संक्रमण से पीड़ित लोगों का इलाज भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ही किया जाता है. गौरतलब है कि कोरोना के सभी वेरिएंट के इलाज का प्रोटोकॉल विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से निर्धारित किया गया है.
कितने भिन्न हैं लक्षण