फ्लोरिडा :मलेरिया बीमारी मौजूदा दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होती जा रही है. यूसीएफ शोधकर्ताओं का एक समूह नए, जीवन रक्षक मलेरिया उपचार के विकास में तेजी लाने के लिए कैंसर फार्मास्यूटिकल्स का उपयोग करने का प्रयास कर रहा है. अध्ययन के निष्कर्ष एसीएस संक्रामक रोग पत्रिका में प्रकाशित हुए थे.
मलेरिया, दुनिया की सबसे आम संक्रामक बीमारियों में से एक, प्लास्मोडियम प्रजाति के परजीवियों के कारण होने वाली संभावित घातक स्थिति है. यह संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है. इससे हर साल 600,000 से अधिक लोग मारते हैं. उप-सहारा अफ्रीका में ज्यादातर मौतें होती हैं. इनमें से लगभग 80 प्रतिशत मौतों में पांच साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं. शोध से जुड़े वैज्ञानिक चक्रवर्ती कहते हैं, 'समय के साथ, मलेरिया परजीवी का आनुवंशिक उत्परिवर्तन इसे मौजूदा दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बना देता है.'
'विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि मलेरिया परजीवी तेजी से मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वर्तमान चिकित्सा के प्रति प्रतिरोधी होते जा रहे हैं, जिसे 1990 के दशक में खोजा गया था. इसलिए, मलेरिया के लिए नई और अधिक प्रभावी दवाएं लंबे समय से लंबित हैं क्योंकि लगभग 30 साल बीत चुके हैं. बाजार में मलेरिया के खिलाफ यौगिकों की एक नई श्रेणी मौजूद है.'
चक्रवर्ती ने बताया, लेकिन दवा की खोज में वर्षों, यहां तक कि दशकों का समय भी लग सकता है, क्योंकि प्रभावकारिता और सुरक्षा के लिए यौगिकों को परीक्षण के कई चरणों से गुजरना पड़ता है.
चक्रवर्ती ने कहा, 'नए उपचार विकल्पों की खोज में तेजी लाने का एक तरीका मौजूदा दवाओं का उपयोग करना है जो पहले से ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा अनुमोदित हैं.' 'इसे पिग्गीबैक दृष्टिकोण अपनाना कहा जाता है, बाजार में पहले से मौजूद मौजूदा दवाओं को देखकर यह देखना कि उनमें मलेरिया-रोधी गुण हैं या नहीं. इससे दवा की खोज के शुरुआती चरणों को छोटा करने में मदद मिलेगी जो आमतौर पर काफी समय लेने वाली होती है.'